ताडी नहीं ताड से कमाई करवाएंगे सुशासन बाबू, जानिए क्या है ताडी पर नीति

Tadi-drink-in bihar subtitute of deshi wine tarkulNitish-kumar-on-liquor-ban bihar विशेष संवाददाता, बिहार कथा
पटना। बिहार के पूर्णरूप से शराबबंदी को लेकर किए गए प्रेस कान्फ्रेंस में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि प्रदेश में शराबबंदी के पक्ष में जो माहौल बना और इसको लेकर लोग जो आवाज बुलंद कर रहे हैं उसी को ध्यान में रखते हुए उन्हें आज दिल से बहुत खुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि ताडी को लेकर कुछ गलतफहमियां इन दिनों उत्पन्न हो रही थी। ताडी के बारे में हमलोगों ने कोई नया निर्णय नहीं लिया है। इसके बारे में जो निर्णय 1991 का है, वही निर्णय अभी भी लागू रहेगा। 1991 के ताडी को लेकर निर्णय और उसके व्यापार को लेकर जो व्यवस्था है उसके आज सूचना निर्गत कर दी गई है। नीतीश ने कहा कि ताडी को लेकर उत्पाद एवं मद्य निषेध की अधिसूचना-187 दिनांक एक अप्रैल 1991 के तहत यह स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि इन आदेशों को प्रभावकारी तरीके से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ताडी को ताड के साथ जोडकर इसे व्यवसाय बताकर रोजगार खत्म करने की बात कही जा रही जिसके बारे वे कहना चाहते हैं कि ताड का उत्पाद बहुत गुणकारी, उपयोगी और स्वास्थवर्द्धक है लेकिन ताडी नहीं है। ताडी में मादक गुण आ जाते हैं जिसके कारण वह गुणकारी नहीं है। ताड का वह उत्पाद जो ताडी का रूप लेने से पहले सुबह का पेय जिसे ‘नीरा’ कहा जाता है, जो गुणकारी है। उन्होंने कहा कि नीरा को लेकर हमने एक योजना बनायी है और उसके बारे में एक कमेटी भी बना दी है। नीतीश ने कहा कि सबसे अधिक ताड का पेड तमिलनाडु में है और इंडियन काउंसिल आफ रिसर्च की मदद से वहां के कृषि विश्वविद्यालय द्वारा पिछले 25 वर्षों से ताड के उत्पादों पर गहन अनुसंधान हुआ है। इनके सबसे बड़े जो वैज्ञानिक हैं उनसे भी संपर्क किया गया है और पूरी जानकारी ली गई और उसके आधार पर हमलोग भी ताड के उत्पादों पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि खादी ग्रामोद्योग द्वारा भी नीरा को प्रोत्साहित किया जाता था। हम फिर नए सिरे से नीरा को प्रोत्साहित करेंगे।
नीतीश ने कहा कि सूर्य की किरण उगने से पहले जो ताड का उत्पाद को तैयार करके नीरा के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा और उसके अलावा ताड के अन्य उत्पाद खेदा आदि में भी अनेक प्रकार के गुण पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि ताड के उत्पाद नीरा की चार महीने के दौरान उपलब्धता के बाद बाकी अन्य आठ महीनों के दौरान ताड के अन्य उत्पादों का अनेक प्रकार से उपयोग किया जा सकता है और इस पर तमिलनाडु में हुए विस्तृत अनुसंधान को हम लेकर अपने यहां की आवश्यक्ताओं के अनुरूप इसको विकसित करेंगे। इसमें थोड़ा वक्त लगेगा। इस साल के वैशाख में सबसे अधिक ताड से नीरा निकलता है हम कुछ नहीं कर सकते हैं। इसलिए अगले साल से हमारा लक्ष्य है कि इसे लागू करेंगे तथा इसके लिए एक विस्तृत योजना बनायी है जिसमें आज मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है।
नीतीश ने कहा कि इसके लिए ताड से जुडे हुए लोगों का स्वयं सहायता समूह अथवा सहकारिता सोसायटी बनाएंगे और कम्फेड (दुग्ध सहकारी समिति) के तर्ज पर इसका युनियन एवं फेडरेशन भी बनवाएंगे और इन्हीं के माध्यम से कलेक्शन और प्रोसेसिंग कराएंगे। मार्केटिंग में राज्य सरकार सहायता करेगी और इसके विस्तृत योजना को तैयार करने के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी बनायी गयी है जिसमें उद्योग, वन एवं पर्यावरण, उत्पाद, पशु एवं मत्स्य संसाधन और सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव अथवा सचिव तथा कम्फेड के प्रबंधक निदेशक रहेंगे। उन्होंने कहा कि उद्योग विभाग इसका नोडल विभाग होगा और जैसे पूर्व में नीरा को बढावा दिया जाता था हम नये सिरे से उसे बढावा देंगे तथा कम्फेड सहित अन्य विभाग इसमें सहयोग करेंगे। नीतीश ने कहा कि नीतीश ने कहा कि हमलोगों को जो आंकडे प्राप्त हुए उसके अनुसार एक ताड के पेड से एक साल में छह हजार रूपये से अधिक की आमदनी होगी। ताडी बेचकर वह आमदनी नहीं होती है उससे अधिक आमदनी होगी। इसलिए हमें लोगों के बेहतर रोजगार की पूरी चिंता है। ताडी का रोजगार कोई बढिया रोजगार नहीं है।
नीतीश ने कहा कि हम लोगों की कोशिश होगी कि इस पूरे साल इस पर मेहनत करके इसका संस्थागत ढांचा खडा कर इसे अगले साल से लांच कर दिया जाए ताकि अगले सत्र से उसके कलेक्शन, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग का भी प्रबंध हो इसके लिए इसे प्रचारित किया जाएगा तथा लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि मंत्रिमंडल के तत्काल प्रभाव से संपूर्ण राज्य में विदेशी शराब के थोक, खुदरा व्यापार एवं उपभोग को प्रतिबंधित कर दिए जाने को मंजूरी दिए जाने के बाद प्रदेश में पूर्णशराबबंदी के लागू हो जाने पर बीएसबीएल के पास जो विदेश शराब का स्टाक है उसका क्या होगा नीतीश ने कहा कि इसके बारे में उसे अपनी कार्ययोजना बनाने को कहा गया है उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग को अधिकृत कर दिया गया है। प्रदेश में इसके निर्माणशाला के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा कि यहां उनके उत्पाद की खपत की अब कोई गुंजाइश नहीं है। बिहार में अब शराब के कारखाने और उसके उद्योग को इस प्रदेश में प्रोत्साहित नहीं किया जाएगा।






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