जानिए, मगध से बिहार बनने की कहानी

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104 साल का बिहार :                                            बिहार कथा.गोपालगंज / पटना।
इतिहास के किताबों में मगध से बिहार बनने की कहानी तो दर्ज है कि 22 मार्च 1912 को बंगाल से अलग होकर बिहार बना था। लेकिन इससे लोग अंजान थे। 2010 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार दिवस की शुरुआत की थी। ब्रिटिश हुकूमत ने 22 मार्च, 1912 को बंगाल प्रेसीडेंसी से बिहार को अलग कर दिया था। ऐतिहासिक किताबों के अनुसार बिहार का ऐतिहासिक नाम मगध है। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी, जो अब पटना के नाम से जाना जाता है। प्राचीन काल में मगध का सम्राज्य देश के सबसे शक्तिशाली सम्राज्यों में से एक था। यहां से मौर्य वंश, गुप्त वंश व अन्य कई राजवंशों ने देश के अधिकतर हिस्सों पर राज किया। यहीं से बौद्ध धर्म का उद्भव हुआ।
द जर्नल आफ बिहार रिसर्च सोसाइटी की किताब के मुताबिक बिहार नाम की शुरुआत सच्चिदानन्द सिन्हा से शुरू होता है। राजनीतिक स्तर पर उन्होंने ने ही सबसे पहले यह बात उठाई थी। बताया जाता है कि सच्चिदानंद सिन्हा फरवरी 1893 में इंग्लैंड से जब वकालत कर वापस लौट रहे थे, तब उनसे एक पंजाबी वकील ने पूछा था कि आपका प्रांत कौन सा है। तब सिन्हा ने उस वकील को बिहार बताया था। उस पर उसने आश्चर्य वयक्त करते हुए कहा था कि इस नाम का तो कोई राज्य नहीं है। सिन्हा उसे कहा था कि नहीं है, तो जल्द ही होगा। उसके बाद अलग बिहार की मुहिम तेज होने लगी। इस कड़ी में महेश नारायण, अनुग्रह नारायण सिंह, नंद किशोर लाल, राय बहादुर व कृष्ण सहाय का नाम जुड़ गया। जगह-जगह पर अलग बिहार की मांग को लेकर आंदोलन होने लगे।

जमाना ब्रांडिंग का है, बाजार में उतरना है तो अपनी क्षमता का एहसास करवाना ही होगा और बिहार की यह कोशिश है, हम इसमें पीछे न रह जाए। इसी मकसद के साथ 22 मार्च 2010 को बिहार दिवस की शुरूआत हुई थी। उसके बाद यह दिन बिहार के लिए किसी उत्सव से कम नहीं होता है। सरकारी स्तर पर हर साल इस दिन भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम में बिहार की कला एवं संस्कृति की छटा दिखती है। दिल्ली व मुंबई में भी इसकी धूम रहती है।

बिहार से निकलने वाले अखबार भी इसके समर्थन में आ गए। इनकी संख्या बहुत कम थी। बंगाली अखबार इस पृथक्करण का विरोध करते थे। 1907 में महेश नारायण की मृत्यु के बाद डॉ. सिन्हा अकेले हो गए। उनके मृत्यु के बाद वे कमजोर तो जरुर हुए पर मुहिम पर कोई असर नहीं पड़ा। 1911 में अपने मित्र सर अली इमाम से मिलकर केन्द्रीय विधान परिषद में बिहार का मामला रखने के लिए उत्साहित किया। इसका असर यह हुआ कि 12 दिसम्बर 1911 को अंग्रेजी हुकूमत ने बिहार व उड़ीसा के लिए लेफ्टिनेंट गवर्नर इन कौंसिल की घोषणा कर दी। धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लाइ और 22 मार्च 1912 को बिहार बंगाल से अलग हो स्वतंत्र राज्य हो गया। स्रोत : ईनाडु इंडिया

Patna : Bihar Chief Minister Nitish Kumar lighting a lamp during inauguration of two-day 'Bihar Diwas' function at Gandhi Maidan in Patna on Tuesday. PTI Photo

Patna : Bihar Chief Minister Nitish Kumar lighting a lamp during inauguration of two-day ‘Bihar Diwas’ function at Gandhi Maidan in Patna on Tuesday. PTI Photo






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