Tuesday, March 8th, 2016
इतिहास का अंधकूप बनाम बंद गलियों का रूह -चुह
गया में यौनकर्म और यौनकर्मी : अंतिम क़िस्त संजीव चन्दन ( यह आलेख २००९ में एक शोध के सिलसिले में किये गये केस स्टडी का एक हिस्सा है :दो किस्तों में प्रकाशित , अंतिम क़िस्त ) “यद्यपि गया का रेड लाइट एरिया शहर के केन्द्र में टावर चैक के समीप बसा है। इसकी मौजूदगी आज भी है और कल भी थी, लेकिन ‘कल’ के इतिहास को व्यक्त करता कोई दस्तावेज नहीं है। तमाम दूसरे स्थानों, क्षेत्र अथवा राज्यों की तरह मगध और गया का इतिहास भी राजा-रजवाड़ों की सामारिक गतिविधियों से भराRead More
सिवान जेल में शहाबुद्दीन से मिलने पहुंचे मंत्री अब्दुल गफूर
-पूर्व बाहुबली सांसद पर हत्या के हैं नौ मामले -उम्र कैद की सजा काट रहे हैं शहाबुद्दीन -भाजपा ने सरकार को घेरा, विवाद के बाद मंत्री ने कहा, समान्य मुलाकात -लालू ने किया बचाव, कहा-वे भी जेल में थे तो मिलने वाले के साथ नाश्ता करते थे बिहार कथा.सिवान। सिवान के पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन के साथ नीतीश सरकार के मंत्री अब्दुल गफूर की जेल में मुलाकात की तस्वीरें सामने आर्इं हैं। शहाबुद्दीन फिलहाल बिहार की सिवान जेल में बंद हैं और उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। तस्वीरों केRead More
इतिहास का अंधकूप बनाम बंद गलियों का रूह-चुह
गया में यौनकर्म और यौनकर्मी : पहली क़िस्त संजीव चंदन ( यह आलेख २००९ में एक शोध के सिलसिले में किये गये केस स्टडी का एक हिस्सा है :दो किस्तों में प्रकाश्य ) यद्यपि गया का रेड लाइट एरिया शहर के केन्द्र में टावर चैक के समीप बसा है। इसकी मौजूदगी आज भी है और कल भी थी, लेकिन ‘कल’ के इतिहास को व्यक्त करता कोई दस्तावेज नहीं है। तमाम दूसरे स्थानों, क्षेत्र अथवा राज्यों की तरह मगध और गया का इतिहास भी राजा-रजवाड़ों की सामारिक गतिविधियों से भरा है याRead More
अनुभव हमें बनाता है ज़िंदगी का बादशाह
मनोज बाजपेयी, (राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त अभिनेता) मैं जब मुंबई की गाड़ी में बैठा तो दिमाग में एक ही बात थी कि मन का काम करूंगा, नहीं तो घर बैठूंगा। जब काम करूंगा तो उसके मुझे कुछ पैसे मिल जाए। आगे चलकर परिवार होगा, तो परिवार भी चल जाए और बीमार पड़ जाऊं तो मेरा इलाज हो जाए। इससे ज्यादा अपेक्षा नहीं थी।Read More
भोजपुरी कहावतों में नारी
-अर्चना उपाध्याय कहावतें मनुष्य के संपूर्ण जीवन के अनुभव तथा ज्ञान का समुच्चय होती हैं। मानव अनादिकाल से जो कुछ भी देखता-सुनता तथा अनुभव करता रहा है, उसे ही उसने सूत्र-शैली में व्यक्त किया है। ये ही सूत्र वास्तव में कहावत हैं। सभ्यता के विकास के साथ ही सामान्य जन-जीवन में कहावतों की परंपरा विकसित हुई होगी। लोक-साहित्य की अन्य विधओं की ही भाँति इसका जन्म लिखित साहित्य के पूर्व हो चुका था। सभ्यता के विकास के साथ ही लोक-जीवन के मध्य कहावतों का भी प्रचलन हुआ होगा। ऐसा अनुमानRead More