झोपड़ी में चलते हैं बिहार के कई थाने, खूंटे में बांधे जाते थे गिरफ्तार लोग

purushotampur thana pachim champratबिहार कथा.बिहार में कई थानों की पुलिस कठिन हालात में काम कर रही है। ना रहने का जगह है और ना ही खाने का ठिकाना। सूबे के मंत्री, नेता और अधिकारियों को जानने की फुर्सत नहीं है कि आखिर पुलिस कैसे हालात में काम कर रही है। आज भी कई थाने ऐसे हैं जो झोपड़ी में चल रहे हैं। पुलिस को खुद पर हमला होने का भी डर सताता है। बरसात में होती है बहुत परेशानी…
मनीष कुमार, पटना
सूबे में कई ऐसे थाने हैं, जिसका आजतक भवन नहीं बन सका। कई थाने हैं जो किराया के मकान में चलते हैं। कई ऐसे भी थाने हैं जो झोपड़ी में चल रहे हैं। इन थानों की पुलिस साल भर परेशान रहती है। बरसात में पानी और सांप, बिच्छू का डर रहता है। पानी अंदर आने पर फाइलों से लेकर हथियार तक को भींगने से बचाना पड़ता है। कई झोपड़ी वाले थाना में हाजत की व्यवस्था नहीं है। मधुबनी जिले के भेजा थाना में पुलिस द्वारा करीब दो साल पहले एक गिरफ्तार व्यक्ति को खूंटा में बांधने का मामला सामने आया था। इसको लेकर काफी हंगामा भी हुआ था।
नक्सल प्रभावित इलाके में भी झोपड़ी में है थानाkatihar-baliya_belon_
बक्सर जिले में तिलक राय का हाता, नैनीजोर, आरा जिले के चांदी, सिन्हा ओपी, कटिहार का बलिया बलौन, पश्चिम चंपारण के कंगली, पुरुषोतमपुर थाना आज भी झोपड़ी में चल रहे हैं। नेपाल से सटी सीमा के पास भेजा और खिरहर थाने झोपड़ी में चल रहे हैं। नक्सल प्रभावित पूर्वी चंपारण में आठ थाने झोपड़ी में चल रहे हैं।bhojpur rk singha op
थाना पर हो चुका है हमला
थाने की स्थिति जर्जर होने का फायदा अपराधी और नक्सली उठाते हैं। कई बार हमला भी हो चूका है। पूर्वी चंपारण के शिकारगंज, पलनवा, पीपराकोठी, नकरदेई और हरपुर थानों पर तो कई बार नक्सली हमले हो चुके हैं। समस्तीपुर के रीगा थाने पर भी नक्सली हमला हुआ था। 2002 और 2006 में नक्सली हमले के बाद इसे एक स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया था।
आग लगने से जले थे कई राइफल
बक्सर के नैनीजोर थाना में करीब चार साल पहले आग लगने से पुलिसकर्मियों के हथियार और कारतूस जल गए थे। यह थाना भी झोपड़ी में चलता है। ऐसे थाना में रहने वाले पुलिसकर्मी झोपड़ी के बगल में ही खाना बनाते हैं। ऐसे में आग लगने की संभावना अधिक रहती है।






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