सात दिन अरब में रुका, जिंदगी बन गई जहन्नुम
मैं सात वहां रुका, जिंदगी जहन्नुम बन गई। यह कहना है सऊदी से लौटे बहराइच निवासी ताहिर का। वे ड्राइवर की जॉब के लिए वीजा लेकर वहां गए थे। सऊदी से लौटे ताहिर, इमरान और वहां काम कर रहे रामेंद्र ने बताई दर्दनाक दास्तां…
बिहार कथा. लखनऊ/पटना। बहराइच के ताहिर बताते हैं, मैं सिर्फ सात वहां रुका था, लेकिन जिंदगी जहन्नुम बन गई थी। वह ड्राइवर की जॉब के लिए वीजा लेकर सऊदी पहुंचे थे। एयरपोर्ट पर उतरते ही उन्हें लगा कि गलत फैसला ले लिया। गए लोगों को रिसीव करने एजेंसी के किसी एजेंट को एयरपोर्ट आना होता है, लेकिन कोई नहीं पहुंचा। ऐसे में टैक्सी करके आॅफिस पहुंचे। दो-तीन दिन एजेंसी में ही एक छोटे से रूम में रखा गया। वहां काम के सिलसिले में छह-सात लोग और रुके हुए थे। मुझे जिसके यहां काम करना था वह मालिक तीसरे दिन आया (मालिक को कफील कहते हैं)। मालिक पेशे से पुलिसवाला था। वह अपने साथ मुझे ले गया। एक-दो दिन उसने मुझे अपनी गाड़ी से बाजार वगैरह दिखाया। बच्चों का स्कूल दिखाया ताकि मैं उसकी गाड़ी चला सकूं। रहने के लिए घर में ही एक छोटा कमरा दिया था। एक दिन काम नहीं होने पर उसने मुझसे घर में झाड़ू और टॉयलेट साफ करने के लिए कहा। मैंने मना कर दिया। आमतौर पर घरवाले खाना देते हैं, लेकिन मुझसे खाना बनाकर खाने को कहता था। उसे भी मैंने मना कर दिया। मेरी दोस्ती एक बंगलादेशी से हुई तो उसे भी डांट दिया। किसी अन्य से बातचीत करने पर भी मनाही थी। बाहर जाने पर मनाही थी। एक दिन मैं छिपकर एजेंट के आॅफिस भाग आया। वहां रह रहे अपने लोगों की मदद से फिर मैं एक हफ्ते में ही इंडिया लौट आया।
सऊदी में काम कर रहे सीतापुर के रामेंद्र का कहना है कि वहां भारतीयों की हालत बहुत खराब है। कई की तो जिंदगी नर्क बन गई है। जान चली जाती है और लाश तक नहीं मिलती। जांच-पड़ताल करने के बाद ही वहां जाना चाहिए। 8 साल सऊदी में जॉब करने वाले इमरान सिद्दीकी का कहना है कि इमरान ने बताया कि वहां इंडियन एंबेसी काफी कमजोर है। पेपर्स के नाम पर अनपढ़ मजदूरों को दौड़ाते हैं। कभी-कभी तो पैसे भी मांगते हैं। ज्यादातर वही लोग फंसते हैं जो घरों में काम करने के लिए जाते हैं। उन्हें बुलाया तो दूसरे काम के लिए जाता है, लेकिन काम कुछ और लिया जाता है। वहां एक 10/8 के कमरे में 5 से 7 लोगों को रखा जाता है। भोले-भाले लोगों का बहुत शोषण किया जाता है।
बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लाखों युवा रोजगार के लिए अरब देशों में गए हैं। भारी ब्याज पर कर्ज लेकर एजेंट के माध्यम से अरब देशों में पहुंच तो जाते हैं, लेकिन सब इतने खुशकिस्मती नहीं रहते हैं कि उन्हें अच्छी कंपनी मिले और अच्छी सुविधाएं मिले। नरक जैसी जिंदगी भोग कर अपने यहां घर पैसे भेज कर बदहाली दूर करने वाले अनेक लोगों का कहना है कि वे मजबूरी में ही वहां जाते हैं, यदि अपने ही प्रदेश में अच्छा मौका मिले तो कभी भी वहां न जाएं।
यूपी के बहराइच जिले के नानपारा कस्बा निवासी मो. खालिक ने बताया कि मेरा बेटा 11 दिसंबर 2015 को जॉब के लिए सऊदी अरब गया था। 4 जनवरी 2016 को उसके मौत की खबर आई। हमें अभी तक उसकी लाश भी नहीं मिली है। उनके बेटे ने प्लेसमेंट एजेंसी अल्साना टूर एंड ट्रैवल में अरब देश में जाने के लिए संपर्क किया था। एजेंसी के माध्यम से उसे सऊदी अरब में कंपनी एएस अल सैयद कॉन्ट्रैक्टिंग में काम करने के लिए वीजा दिया गया। इसके बाद जासिम रियाद के लिए मुंबई एयरपोर्ट से रवाना हो गया। 4 जनवरी 2016 को रात साढ़े 10 बजे फोन पर जासिम की मौत की सूचना मिली। इसके बाद प्लेसमेंट एजेंसी में संपर्क किया गया, तो वहां के मैनेजर ने गाली-गलौच और बदतमीजी करके भगा दिया। हमने विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय में भी संपर्क किया, लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा, जिस तरह युवाओं को गुमराह करके उन्हें बर्बाद किया जा रहा है, मैं चाहता हूं कि ऐसी कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।
सऊदी जा रहे हैं तो इन बातों का रखें ध्यान
-अरब देशों में अच्छी नौकरी का लालच देकर लाखों वसूलने वाले दलालों से बचना चाहिए।
– अगर आप सऊदी जा रहे हों तो वहां की सरकारी हेल्पलाइन और इंडियन एंबेसी की गाइडलाइन की जानकारी कर लें, ताकि इमरजेंसी में आपके काम आ सके।
-इमरजेंसी में कोई भी शख्स सऊदी अरब में मिनिस्ट्री आॅफ लेबर से संपर्क कर सकता है।
-वहां पहुंचकर अपने परिवार से समय-समय पर बातचीत करते रहें, जिससे उन्हें आपकी खैरियत की जानकारी होती रहे।
-जिस जॉब का वादा प्लेसमेंट एजेंसी आपसे कर रही हो, उसके बारे में पूरी जांच-पड़ताल पहले ही कर लें।
-अरब में रहने वाले अपने किसी परिचित से जॉब और प्लेसमेंट एजेंसी की पड़ताल करवाएं।
-अपना पासपोर्ट अपने पास रखें। किसी शेख या एजेंट को न दें।
– अपने किसी जानने वाले से ही वीजा आदि की फॉर्मलिटी पूरी करें।
क्या कहते हैं प्लेसमेंट सर्विसेज के लोग
-अरब अल इमीरेट प्लेसमेंट सर्विसेज के हबीबुल्लाह ने बताया कि अक्सर गांवों में रहने वाले युवा पहले दलालों के जरिए पासपोर्ट बनवाते हैं, इससे बचना चाहिए।
-इसके बाद प्लेसमेंट कंपनियों के नौकरी की चाह में चक्कर काटने लगते हैं।
-कई प्लेसमेंट एजेंसियां लोगों को बेवकूफ बनाकर सिक्युरिटी मनी के नाम पर लाखों रुपए ऐंठ लेती हैं, जबकि ऐसा कोई चलन नहीं है।
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