बिजली मंगाई, फिर अस्पताल खुलवाया, अब लड़ रहा शुद्ध पानी की लड़ाई

alok ranjan19 साल की उम्र में ही लड़ रहे भ्रष्टाचार से , आजाद सोशल सोल्जर संस्था भी बनाई
इंटर की पढ़ाई के दौरान छेड़ी लड़ाई
अमन कुमार सिंह. छपरा।
हौसला बुलंद हो तो कुछ भी असंभव नहीं। मढ़ौरा के भुआलपुर आजादचक निवासी 24 साल के आलोक रंजन ने इसी बूते गांव में जरूरी सुविधाओं की लड़ाई लड़ी और सूरत बदल दी। गांव में पहले बिजली मंगाई, फिर अस्पताल खुलवाया। फिलवक्त शुद्ध पेयजल के लिए संघर्षरत हैं। 19 साल की उम्र में ही भ्रष्टाचार से लड़ने के मकसद से आलोक ने आजाद सोशल सोल्जर संस्था भी बनाई थी।
छपरा जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर अपने गांव में बिजली और स्वास्थ्य सेवा बहाल करने के लिए जंग छेड़ी। तब आलोक इंटर की पढ़ाई कर रहा था। उसने देखा कि गांव में बिजली नहीं है। गांव ढिबरी युग तले जी रहा है। आसपास के गांव रोशन हैं। उसने ठाना कि चाहे जैसे भी हो अपने गांव में भी बिजली पहुंचाएगा। उसने सूचना के अधिकार के तहत बिजली विभाग के अफसर से जानकारी मांगी कि 1100 परिवारों वाले आजादचक में सर्वे के बाद भी बिजली क्यों नहीं पहुंची। फिर अपने यूथ संगठन के बैनर तले जिला मुख्यालय पर धरना दिया। प्रशासन का टालू रवैया बना रहा। आलोक ने उम्मीद नहीं छोड़ी। क्रमबद्ध भूख हड़ताल शुरू किया। अंतत: प्रशासन नतमस्तक हुआ। गांव में तार व खंभे गिराना शुरू किया। छह वर्षों के संघर्ष का नतीजा है कि आज पूरा गांव बिजली से रोशन है। बता दें कि स्थानीय विधायक जीतेंद्र राय भी भुआलपुर पंचायत के ही हैं।
बंद अस्पताल में चालू हुर्इं स्वास्थ्य सेवाएं
गांव का अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र 2005 से ही बंद पड़ा था। मामूली बीमारियों के इलाज के लिए भी गांव के लोगों को बाहर जाना पड़ता था। यह देख आलोक ने अस्पताल अधीक्षक से अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र के बारे में आरटीआई से जानकारी मांगी तो विभाग की पोल खुल गई। पता चला कि अस्पताल में तो डॉक्टरों की पोस्टिंग ही नहीं की गई है। आनन-फानन में प्रभार में चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति हुई। आज अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं चालू हो गई हैं। नियमित चिकित्सकों की बहाली और स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ करने और गांव में शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की आलोक की लड़ाई अभी जारी है।
जब खोली डीलर के फर्जीवाड़े की पोल
भुआलपुर आजादचक के एक डीलर ने उपभोक्ताओं को बगैर राशन-केरोसिन ही नहीं और सारा सामान बेच दिया गया। गांव के लोगों ने इसकी शिकायत डीएम से की। कोई सुनवाई नहीं हुई। लोग काफी परेशान थे। राशन न मिलने से कई लोगों के सामने पेट भरने का संकट आ गया। अंत में आलोक ने आरटीआई के तहत सूचना इकट्ठा कर फजीर्वाड़े की पोल खोल दी। डीएम ने मामले का संज्ञान लिया है और जांच शुरू कर दी है। from bhaskar.com






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