जेल में हीटर पर पेशाब कराते थे दबंग
कैदी ने की जान देने की कोशिश, रंगदारी न देने पर देते थे यादनाएं
राकेश कुमार नीरज. दरभंगा.
दरभंगा के जेल में 50 हजार रुपए रंगदारी नहीं देने पर दबंग कैदी दिल्ली लॉ कॉलेज के तृतीय वर्ष के छात्र विवेक कुमार को प्रताड़ित करते थे। उसके साथ मारपीट की जाती थी और इलेक्ट्रिक हीटर पर पेशाब कराया जाता था। इससे परेशान होकर विवेक ने बुधवार दो मार्च को सुबह खुदकुशी की कोशिश की। उसने दो मंजिला छत पर चढ़कर छलांग लगा दी। जेल प्रशासन ने उसे इलाज के लिए डीएमसीएच के कैदी वार्ड में भर्ती कराया है। जेल के अंदर पहले से ही बंद और सजायाफ्ता कैदी दीपक राय ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर नए कैदी विवेक कुमार के साथ पहले पिटाई की। इसके बाद रंगदारी की मांग की। दीपक पैसा नहीं देने पर विवेक को यातनाएं देता था। विवेक को जबरन पकड़कर हीटर पर पेशाब करवाने ले जा रहा था, तभी उसने जान देने का फैसला कर लिया। एसडीपीओ ने कहा कि इस मामले में जेल में बंद अपराधी दीपक राय को भी नामजद कर कई बिंदुओं पर जांच करने का निर्देश दिया गया है। पुलिस के अनुसार विवेक सदर थाना क्षेत्र के गांधीनगर कटरहिया मोहल्ला निवासी उपेंद्र कुमार का पुत्र है। वह दिल्ली में पढ़ाई कर रहा था। घर आने पर वह 25 फरवरी की रात स्टेशन अपने दोस्तों के साथ गया था। वहां से देर रात अकेले लौटने के दौरान उसे भैलूचक मोहल्ला के कुछ युवकों ने मारपीट कर चोरी का आरोप लगाते हुए सदर थाना पुलिस के हवाले किया था। हालांकि उस रात चार घरों में चोरी की घटना भी हुई थी।
हत्या के मामले में जेल में बंद है दीपक
पुलिस ने भी बिना जांचे उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। उसने बताया कि वह जेल के अंदर गया तो वहां वार्ड नं.6 में हत्या मामले के अपराधी दीपक राय ने उससे 50 हजार रुपए की रंगदारी के लिए प्रताड़ित करना शुरू किया। एक दिन पहले विवेक को वार्ड नं.1 में रखा गया। इस बीच अपराधी दीपक राय ने अपने अन्य शातिरों के साथ मिलकर वहां भी प्रताड़ित किया। उससे रंगदारी के लिए उसके पिता से फोन पर भी बात कराई। जेल में दीपक के रिश्ते अन्य लोगों के अलावा जेल प्रशासन से भी होने की वजह से वह प्रताड़ना से तंग होकर बुधवार की सुबह दो मंजिला छत पर चढ़कर छलांग लगा दी। उसने आत्महत्या की नीयत से छत से कूदने की बात कही है।
मिल चुके हैं आपत्तिजनक सामान
मंडलकारा की बदहाली के बीच वहां की कार्य संस्कृति और सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे हैं। जेल से सटे लहेरियासराय बस स्टैंड, मुख्यमार्ग और असामाजिक तत्वों की आवाजाही के बीच दीवार के ऊपर से ही जेल के अन्दर कुछ फेंकना या फिर पहुंचाना आसान है। जेल के अन्दर खुफिया कैमरा, मोबाइल फोन, गांजा, शराब आदि का समय-समय पर बरामद होना और फिर जेल से फोन पर धमकाने की बात व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। पिछले साल चार अप्रैल को ही खुफिया कैमरा समेत कई आपत्तिजनक सामान जेल में छोपमारी के दौरान मिले थे।
जेल की तीसरी नजर हुई गड़बड़
जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर कड़ी नजर रखने के लिए लगी तीसरी आंखे यानि सीसीटीवी कैमरा बंद हो गई है। सीसीटीवी कैमरा बंद होने के साथ-साथ कैदियों पर नजर खने के लिए तैनात कर्मियों की संख्या भी कम रहने की वजह से सुरक्षा पर प्रश्न उठने लगा है। यहां 15 सीसीटीवी लगे थे मगर वे बंद हैं। मुख्यालय स्तर पर कार्रवाई के लिए पहल शुरू होने की संभावना बनी है।
कैदियों पर नियंत्रण व निगरानी रखने की व्यवस्था बदहाल है। जेल के अन्दर कुख्यात मनमानी करते हैं। जेल की दीवार सड़कों के ऊंचे होने की वजह से ऊंची नहीं रह गई है। कर्मियों की कमी की वजह से जेल गेट पर भी मुलाकातियों के आने पर खाने-पीने की वस्तुओं में अन्दर डालकर मोबाइल फोन, सिम कार्ड या फिर कोई आपत्तिजनक सामान पहुंचाना बड़ी बात नहीं रह गई है। आए दिन यहां छापेमारी में कुछ ना कुछ आपत्तिजन सामान का मिलना इस बात को पुष्ट करता है।
क्या है बदहाली का आलम?
655 क्षमता वाले दरभंगा मंडलकारा में कैदियों की संख्या एक दिन पहले तक 306 थी। इसमें 10 महिला कैदी हैं और उनके साथ 2 नवजात बच्चे जो गिनती में नहीं हैं। हालांकि महिला बंदियों की क्षमता यहां 10 ही है। इसके नियंत्रण और निगरानी व प्रशासनिक व्यवस्था आदि के लिए कर्मियों की कमी सबसे बड़ी समस्या है। कक्षपाल के स्वीकृत पद यहां 135 है। इसके जगह पर यहां 22 के सहारे काम चल रहा है। जेलर को ही अधीक्षक बना दिया गया है। उपाधीक्षक का एक पद है वह भी रिक्त है। सहायक अधीक्षक का चार पद हैं, जिसमें तीन रिक्त हैं। लिपिक दो के बदले एक है। बात करें सीसीटीवी कैमरा की तो पद्रहों कैमरा बेकाम है। जेल गेट पर लगे मेटल डिडेक्टर डोर की संख्या दो है मगर वह भी काम के नहीं रहे। from bhaskar.com
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