बिहार में वेल्डर का काम करने वाले के बेटे को माइक्रोसॉफ्ट में मिला 1.02 करोड़ का पैकेज

iit_vastsalayबिहार कथा. कोटा। तमाम अवरोधोंं के बावजूद सफलता हासिल करने की प्रेरक कहानी की तरह आईआईटी खड़गपुर के अंतिम वर्ष के छात्र को अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने 1.02 करोड़ रुपए की शुरुआती पैकेज पर नौकरी दी है। इक्कीस साल के वात्सल्य सिंह चौहान के पिता बिहार के खगड़िया में एक वेल्डिंग की दुकान चलाते हैं। आईआईटी खड़गपुर के निदेशक पार्थ प्रतिम चक्रवर्ती ने कल अपने फेसबुक पेज पर वात्सल्य को बधाई दी थी। वात्सल्य का कहना है कि उसने 2009 में एक कोचिंग सेन्टर में अपने खराब रिजल्ट को सुधारते हुए आईआईटी प्रवेश परीक्षा में अखिल भारतीय 382 रैंक प्राप्त किया। उसने कहा, मुझे माइक्रोसॉफ्ट की ओर से 1.02 करोड़ रूपए का वार्षिक पैकेज मिला है और मैं इस वर्ष अक्तूबर से ज्वाइन करूंगा। अपनी सफलता का श्रेय दो शिक्षकों को देते हुए उसने कहा कि जब सबकुछ छोड़ कर घर वापस जाने की सोच रहा था, उन्होंने मुझे रोका और मेरा साथ दिया। वात्सल्य के पिता चन्द्र कांत सिंह चौहान का कहना है कि वह अपने बेटे की सफलता से बहुत खुश हैं और चाहते हैं कि बेटा देश को मान दिलाए। उन्होंंने कहा, मेरी 20 साल की तपस्या का फल मिला है और मेरा सपना सच हुआ है। मेरा बेटा भारत से बाहर जा रहा है और मैं चाहता हूं कि वह देश के लिए काम करे और बाहर देश का नाम रोशन करे।

कोचिंग के लिए नहीं थे पैसे…
बिहार के छोटे से कस्बे खगड़िया के रहने वाले वात्सल्य के घर की हालत ऐसी नहीं थी कि आईआईटी की पढ़ाई पूरी कर सकें। हालांकि, 12 वीं के बाद उनका सपना यही था। कॉम्पिटीशन और कोचिंग की तैयारी के पैसे नहीं थे। उनके पिता कोटा आ गए कि शायद यहां कोई हल निकले। पिता के साथ वात्सल्य एक कोचिंग के इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर से मिले। वात्सल्य की लगन से इम्प्रेस डायरेक्टर ने उन्हें फ्री क्लास अटेंड करने की इजाजत दे दी। इतना ही नहीं फ्री हॉस्टल की फैसिलिटी भी दी।
दूसरे प्रयास में मिली सक्सेस
वात्सल्य ने दूसरे अटेम्प्ट में जेईई-2012 में 382वीं रैंक हासिल की। इसके बाद उन्होंने ककळ खड़गपुर में एडमिशन लिया। यहां कैंपस में माइक्रोसाफ्ट ने 1.20 करोड़ रुपए सालाना पैकेज का आॅफर दिया। आईआईटी में कैंपस प्लेसमेंट 1 से 20 दिसंबर के बीच हुआ था। अब जून-2016 में वो बीटेक पूरी कर कंपनी से जुड़ेंगे।
IITan के साथ मिलकर खोलेंगे स्कूल
कोचिंग ने जो हेल्प वात्सल्य के लिए की थी, उसी जज्बे के साथ अब वात्सल्य भी गरीब छात्रों को पढ़ाते हैं। ककळ में भी वे आॅटो चालकों के बच्चों को फ्री में पढ़ाते हैं। वे अपने दोस्तों के साथ मिलकर अपने कस्बे में एक मॉडल स्कूल खोलने की सोच रहे हैं। इसमें ककळ छात्र चार महीने की छुट्टियों लेकर पढ़ाएंगे। बाकी समय अन्य टीचर्स एजुकेशन देंगे। वे बिहार में नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बच्चों को एजुकेशन से जोड़ना चाहते हैं।
अपने बैचमेट के साथ मिलकर इस होनहार स्टूडेंट ने एक इनोवेशन भी किया है। उन्होंने एक मिनी स्मार्ट डिवाइस बनाई है, जिसे हाथ की रिंग में लगाकर इंटरनेट एक्सेस किया जा सकता है। रिसर्च में इंटरेस्ट की वजह से वे एडवांस्ड टेक्नोलॉजी बेस्ड प्रोजेक्ट करना चाहते हैं।






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