देश भर में धाक जमाने के लिए नया चुनाव चिन्ह चाहती है जदयू

nitish sharad yadav  jdu in programeनई दिल्ली। बिहार की सत्तारुढ़ पार्टी जद यू कुछ महीने पहले हुये राज्य विधानसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के रथ को रोकने के बाद अपना विस्तार प्रांत से बाहर करने की योजना के तहत जल्द ही नया चुनाव चिह्न हासिल कर सकती है। इसके वर्तमान ‘तीर’ चुनाव चिह्न से मतदाताओं के बीच ‘भ्रम’ की स्थिति को देखते हुये पार्टी ने मकर संक्रांंति के बाद किसी दिन चुनाव आयोग से मिलने और इसके जगह पर अपने पसंदीदा चिह्नों की एक सूची सौंपने की योजना बनायी है। मकर संक्रांति गुरुवार को है और इसलिए इस पर आगे की बात अगले सप्ताह होने की उम्मीद है। जदयू के सूत्रों ने बताया कि पांच राज्यों असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल और केरल में निर्धारित विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी नया चुनाव चिह्न चाहती है जहां पर राजग को पराजित करने के लिए बिहार में बनाये गये ‘महा गठबंधन’ की तर्ज पर इसके एक हिस्से के रूप में चुनाव लड़ने की योजना है। उन्होंने बताया कि पार्टी तीन चिह्नों पेड़, हल चलाता किसान और झोपड़ी में से एक चुनाव चिह्न चाहती है। बरगद का पेड़ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी जबकि झोपड़ी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का चुनाव चिह्न था। हल चलाने वाले किसान का चिह्न लोक दल का था। ये सभी किसी न किसी समय में एक बड़े जनता परिवार का हिस्सा रहे हैं।

लालटेन, तीर छोड़कर ‘चक्र’ से चक्रव्यूह रचेंगे लालू और नीतीश

पुरानी पार्टी जनता दल का चक्र चुनाव चिन्ह पाने के प्रति उत्सुकता व्यक्त करने के बाद जद यू ने जनता दल (सेक्यूलर) के समर्थन की संभावना नहीं होने के कारण इसकी उम्मीद छोड़ दी है। बिहार चुनाव के तत्काल बाद जदयू के एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव चिह्न पर चर्चा करने के लिए बिहार चुनाव आयोग से मुलाकात की थी। चक्र चिह्न के उनकी मांग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये ईसी ने उनसे कहा था कि चक्र चिह्न उन्हें तभी दिया जा सकता है जब जद (एस) को इस पर आपत्ति नहीं हो। पार्टी के सूत्रों ने बताया कि मकर संक्रांति के बाद पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल इस मुद्दे को लेकर ईसी से मुलाकात करेंगे। जदयू को उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक उसे नया चिह्न मिल जाएगा। लोगों के बीच अपने चुनाव चिह्न के कुछ अधिक पहचान योग्य होने की जरूरत महसूस करने के बाद जदयू ने नये चिह्न के लिए खोज शुरू की है। इसके अलावा, जदयू का तीर चुनाव चिह्न झारखंड मुक्ति मोर्चा और शिवसेना के तीर और धनुष से भी मेल खाता है। पार्टी का यह भी मानना रहा है कि शिवसेना और जेएमएम के साथ इसके चिह्न के मेल खाने के कारण इस विधानसभा चुनाव में जदयू को अच्छा खासा वोट गंवाना पड़ा जिसके कारण बिहार में इसे कुछ सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।

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