जंगलराज नहीं, दिल्ली के कारण गठबंधन में गांठ!
बिहार कथा. नई दिल्ली। भाजपा के खिलाफ बिहार का सियासी प्रयोग पावर आने के साथ ही खिंचाव महसूस करने लगा है। राजद, कांग्रेस और जदयू के नेताओं ने महागठबंधन का ईजाद हालांकि आमचुनाव से पहले नई राजनीतिक इबारत लिखी थी। राजद के ‘जनाजे’ से पनपे जदयू के नेताओं ने पुराने बैर भुलाकर साथ-साथ चलने की कसम खाई। मगर, यह कसम अब टूटती नजर आ रही है। राज्य की खराब होती कानून व्यवस्था पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद बिदके तो जदयू नेताओं को रास नहीं आया। राज्य की कमान नीतीश कुमार के हाथ में है। बतौर मुख्यमंत्री वे बिहार की पहली पसंद बनकर उभरे थे। राजद सुप्रीमो ने तीन इंजीनियरों की हत्या के बाद कानून व्यवस्था को ठीक करने के बहाने मुख्यमंत्री को जमकर खरीखोटी सुनाई। जंगलराज के प्रतीक के तौर से लालू प्रसाद अपना पीछा छुड़ाना चाहते हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि सत्ता की बागडोर नीतीश कुमार के हाथ में है तो सवाल किससे होगा? जनता ने विधि व्यवस्था ठीक रखने के लिए चुनकर भेजा है। उसमें कमी होगी तो सरकार को खबरदार करने का काम गलत है क्या?
बात दरसअल, इतनी भर नहीं है। राजद-जदयू महागठबंधन में सबसे बड़ी रार है बिहार से बाहर निकलकर राष्टÑीय छवि बनाने में भिड़े नीतीश कुमार। असम विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस और स्थानीय कुछ दलों का गठबंधन बनाने को प्रयासरत हैं। यही बात लालू प्रसाद को नहीं सुहा रही। राजद के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि नीतीश कुमार भी नरेंद्र मोदी सा व्यवहार कर रहे हैं। सत्ता मिली है बिहार की, चाकचौबंद व्यवस्था के साथ राजकाज देने की, इसके उलट वे देश के नेता बनने की जल्दबाजी में हैं। राजद रणनीतिकारों में शुमार उक्त नेता ने कहा कि ठीक है उनकी पार्टी है। उसका कार्यक्रम है, मगर यह तय हो जाना चाहिए कि महागठबंधन केवल बिहार तक है क्या? अगर ऐसा है तो फिर राजद की रणनीति जाहिर तौर पर अलग होगी। लालू प्रसाद दिल्ली की राजनीति के इच्छुक हैं। नीतीश कुमार को वे बिहार की बागडोर तक सीमित रहने का दबाव अप्रत्यक्ष तौर पर डाल रहे हैं। लालू प्रसाद के बेहद करीब एक राजद नेता ने कहा कि जदयू के 70 विधायक हैं तो राजद के 80 हैं। नीतीश कुमार अगर 17 मंत्रियों के नेता हैं तो लालू प्रसाद 22 मंत्रियों के नेता हैं, यह बात मुख्यमंत्री समेत जदयू के उन तमाम नेताओं को समझना होगा जो बयानवीर बने हुए हैं। इशारा साफ है ‘बिग ब्रदर’ की भूमिका में राजद सुप्रीमो की नसीहत को मानना होगा। राज्यसभा के लिए होने वाले चुनाव में जदयू को कोई रियायत न देने के कारण भी जदयू के नेता बिदके हुए हैं। राज्यसभा से शरद यादव समेत 5 सांसद रिटायर हो रहे हैं और तय 41 वोटों के लिहाज से जदयू अपने बल पर केवल एक ही सीट जीतने में सक्षम है। कांग्रेस 27 विधायकों के साथ अपने लिए भी एक सीट चाहती है। राजद की ओर से राबड़ी देव और मीसा भारती का नाम कमोबेश फाइनल हो चुका है।
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