दो वक्त की रोटी के लिए करती थी देह व्यापार, अब है इज्जत की जिंदगी
-स्वंय सेवी संस्था प्रयास द्वारा चलाए जाने वाले रेस्टोरेंट आहार 7 टू 7 में काम करती महिलाएं।
-पहले पहचान छिपाती ती निशा, अब सम्मान से करती है काम
पटना. पटना में काम करने वाली प्रयास नाम की संस्था ऐसी महिलाओं को आसरा देती है, जिसे अपनों ने धोखा दिया, उसे रेड लाइट इलाके में बेचा दिया या जबरन जिस्मफरोशी के लिए मजबूर किया। यह संस्था ऐसी महिलाओं को भी काम सिखाती है, जिसने किसी मजबूरी के चलते गलत रास्ता अपना लिया। एक ऐसी ही महिला है निशा। पति की मौत के बात वह दो वक्त की रोटी के लिए देह व्यापार करने को मजबूर हो गई थी। निशा पहले अपनी पहचान बताने से कतराती थी। लोगों से नजर बचाकर अपने लिए ग्राहक खोजा करती थी, लेकिन अब वह समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है। पहले वह अपनों से नजरें छिपाती थी, आज उनके साथ इज्जत से बात करती है। निशा कोई अकेली नहीं है, ऐसी चार और महिलाएं हैं, जो बदनाम गलियों से निकलकर सम्मान से पैसा कमा रहीं हैं। ये महिलाएं पटना के फ्रेजर रोड स्थित ‘सेवन टू सेवन’ नाम के रेस्टोरेंट में काम करती हैं।
पुलिस रेड से बदल गई लाइफ
निशा और उसके पांच साथियों के बदनाम गलियों से निकलकर मुख्य धारा से जुड़ने की कहानी रोचक है। पेट की आग बुझाने के लिए जिस्म का धंधा करने वाली इन महिलाओं की लाइफ पुलिस रेड से बदल गई। अप्रैल 2014 में पुलिस ने शहर के पॉश इलाके में छापेमारी की थी। यहां से देह व्यापार में संलिप्त सात महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज दिया गया। जेल में बंद इन महिलाओं से स्वंय सेवी संस्था प्रयास के लोगों ने संपर्क किया और देह व्यापार छोड़ने के बदले काम सिखाने और आसरा देने का आॅफर दिया। जेल से निकलने के बाद ए महिलाएं प्रयास से जुड़ गईं और खाना बनाना और रेस्टोरेंट चलाना सीखा।
दो साल के बच्चे को कैसे भूखा रख सकती थी
निशा कहती है कि पति की मौत के बाद जब अपनों ने दो जून की रोटी देना भी बंद कर दिया तो मेरे पास और कोई रास्ता नहीं बचा था। अपनी भूख तो सह भी लेती, लेकिन दो साल के बच्चे की भूख सहा नहीं गया। काम मांगने पर किसी ने काम नहीं दिया, फिर मेरे पास और कोई रास्ता नहीं बचा। इस कारण मैंने गलत रास्ता अपनाया। कुछ ही कहानी और पांचों की भी है। अब ए अतीत को भूल, ए अपनी मेहनत से अपना किस्मत संवार रही हैं।
इनके हुनर को निखारा
संस्था की निदेशक डॉ. सुमन बताती हैं कि यहां काम करने वाली सभी लड़कियां कभी देह व्यापार में फंसी थीं, लेकिन इनमें अच्छा खाना बनाने का हुनर था। हमने उनके इसी हुनर को उनका औजार बनाया और समाज को एक नया संदेश दिया। वह पुराने समय को याद करते हुए कहती हैं कि संस्था ने जब इन लड़कियों से पहली बार संपर्क किया था, तब ए दिन के उजाले में किसी को अपना परिचय भी नहीं देता चाहती थीं, लेकिन आज ए पूरी इज्जत से जीवन जी रही हैं। सेवन टू सेवन की शुरुआत सात लड़कियों से हुआ था। इनमें तीन को उनके परिवार के लोगों ने अपना लिया। वे उनके साथ चली गई। उम्मीद है बची चार को भी उनके परिवार के लोग स्वीकार कर लेंगे।
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