सीवान के डीएम-एसपी को खास हिदायत, दंगा हुआ तो वे ही जिम्मेदार
नीतीश कुमार ने कानून व्यवस्था पर ली लंबी बैठक
पटना। महागठबंधन की सरकार की बागडोर संभालने के एक दिन बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की अपनी भूमिका निभाने में मुस्तैदी से जुट गए। राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए एसपी और डीएम के साथ बातचीत में उन्होंने निर्देश दिया कि कानून का राज बनाए रखने के लिए वे बिना किसी डर या पक्षपात के काम करें। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दंगा होने पर वहां के डीएम और एसपी को जिम्मेदार माना जाएगा। राज्य में अपराध के बढ़Þ रहे मामले को देखते हुए नीतीश ने वैशाली, दरभंगा, कटिहार और सिवान जिलों के एसपी और डीएम के साथ विडियोकॉन्फ्रेंसिंग कीं। इन जिलों में हाल के समय में हुई सांप्रदायिक घटनाओं के सिलसिले में नीतीश ने संज्ञान लेते हुए साफ किया कि अगर भविष्य में किसी भी तरह की सांप्रदायिक घटना होती है तो वहां के जिलाधिकारी और एसपी को जिम्मेदारी माना जाएगा। ऐसे मामलों से निपटने के लिए हालांकि नीतीश ने अधिकारियों को खुला हाथ देते हुए यह भी कहा कि उन्हें किसी से डरने या किसी पक्षपात के प्रभाव में आने की जरूरत नहीं है। सीएम ने अधिकारियों से कहा कि कानून पर अमल करते समय किसी भी तरह का भेदभाव या पक्षपात नहीं होना चाहिए। इस विडियोकॉन्फ्रेंसिंग के दौरान सीएम ने अधिकारियों को राज्य के दूर-दराज के इलाकों में रह रहे लोगों तक संपर्क बनाने का निर्देश देते हुए यह सुनिश्चित करने को कहा कि उनका किसी भी तरह से शोषण नहीं होना चाहिए। सीएम ने ताकीद की कि जायदाद से जुड़े विवाद में अधिकारी किसी भी स्थिति में खुद किसी पक्ष में शामिल ना हों, ना ही वे ऐसे मामलों में खुद विवाद का हिस्सा बनें।
सांप्रदायिक विवाद के मसले को वरीयता देते हुए सीएम ने अधिकारियों से कहा कि वे ऐसे मामलों में समझदारी से काम लें। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े मामलों में किसी भी तरह की ढीलाई की जगह नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभालने के बाद नीतीश की कानून-व्यवस्था की समीक्षा करने के सिलसिले में यह पहली बैठक थी। उन्होंने सभी एसपी और जिलाधिकारियों से अपील की कि वे ब्लॉक आॅफिस और पुलिस थानों का नियमित दौरा करें और भ्रष्टाचार व उत्पीड़न पर नजर बनाए रखें। नीतीश ने कहा, ह्यजिलाधिकारी और एसपी से उम्मीद की जाती है कि वे गतिशील रहें और अपने इलाकों में अपराध व भ्रष्टाचार के प्रति कोई नर्मी ना दिखाएं।
सीएम ने कहा कि हाल के दिनों में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले प्रशासन की विफलता का नतीजा हैं। उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारियों को समय रहते अपने इलाके की स्थिति के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी और इसी के नतीजे के तौर पर सांप्रदायिक घटनाएं घटीं। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन समय रहते कार्रवाई करता तो ऐसी घटनाओं को होने से रोका जा सकता था।
कटिहार, वैशाली, सिवान व दरभंगा सांप्रदायिक हिंसा के नजरिए से काफी संवेदनशील इलाके माने जाते हैं। इस बैठक में शामिल हुए एक अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इन चारों जिलों के अधिकारियों से आपराधिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया। खासतौर पर वैशाली में हालात पर काबू रखने का निर्देश दिया गया। वैशाली में एक नाबालिग लड़के और पुलिस सब-इंस्पेक्टर की सांप्रदायिक घटनाओं की चपेट में आकर मौत हो गई थी।
नीतीश ने साफ किया कि बिहार में उनके शासन के दौरान बनी कानून-व्यवस्था की मजबूत स्थिति को फिर से लागू किया जाए। उन्होंने शिकायतों के त्वरित निपटारे और सांप्रदायिक सद्भावना कायम रखने पर जोर दिया। साल 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने राज्य में अपराध व अपराधियों पर लगाम लगाने की मंशा से आपराधिक मामलों में जल्द सुनवाई की व्यवस्था बनाई थी। उन्होंने आपराधिक मामलों में जल्द फैसला सुनाए जाने की जरूरत पर जोर दिया था।
शनिवार की अपनी समीक्षा बैठक में भी उन्होंने कहा कि जमीन पर तैनात अधिकारी ही सरकार की आंख और कान का काम करते हैं, इसलिए जनता के बीच अधिकारियों की मौजूदगी जरूरी है। इस बैठक में शामिल हुए एक अधिकारी ने बताया, ह्यमुख्यमंत्री ने काफी मजबूती से कहा कि हर किसी को कानून की गर्मी महसूस होनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अपराध की जगह पर पहुंचकर कार्रवाई करने में देर नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने पुलिस से अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियों की जगह जनता की सुरक्षा पर ध्यान देने को कहा। इस बैठक में राज्य के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, गृह सचिव सुधीर कुमार राकेश, डीजीपी पी.के. ठाकुर, प्रखंडीय कमिश्नर, एडीजी स्तर के अधिकारी, जोनल आईजी और रेंज डीआईजी शामिल हुए थे।
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