राजस्थान में 19 व 20 नवंबर को होने जा रहे रिसर्जेंट राजस्थान (आरआर) में देश के 70 बड़े औद्योगिक घरानों समेत 500 से ज्यादा बिजनेसमैन शामिल होंगे। इसमें अनिल अग्रवाल का नाम भी शामिल है।
15 साल की उम्र में छोड़ दिया था स्कूल
अनिल ने महज 15 साल की उम्र में अपने पिता के बिजनेस के लिए स्कूल छोड़ दिया था और मुंबई आ गए थे। इसके बाद पिता के बिजनेस में हाथ बंटाने लगे। उन्होंने अपना करियर स्क्रैप डीलर के तौर पर शुरू किया था और आज देश के टॉप बिजनेसमैन की लिस्ट में शुमार हैं और वह धातु और तेल एवं गैस के कारोबार से जुड़े हैं।
करेंगे 21000 करोड़ रुपए दान
वेदांता रिसोर्सेज के मालिक अनिल अग्रवाल अपनी 75 फीसदी संपत्ति दान करेंगे। उनके पास 21,385 करोड़ रुपए की संपत्ति है। यानी अग्रवाल परिवार करीब 16,000 करोड़ रु. की संपत्ति दान करेगा। वे भारतीय अमीरों में 51वें स्थान पर हैं। लंदन स्टॉक एक्सचेंज में वेदांता की लिस्टिंग के 10 साल होने पर अनिल ने दान की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि पैसा ही सबकुछ नहीं है, जो कमाया उसे समाज को लौटाना चाहता हूं। उन्होंने बिल गेट्स से मिलने के बाद दान का फैसला किया है।
सबसे बड़े दानवीर
1. बिल गेट्स 171100
2. वारेन बफेट 105400
3. जॉर्ज सोरोस 51900
4. गॉर्डन मूर 30500
5. अजीम प्रेमजी 12800
भाई भी साथ में देखते हैं कारोबार
वेदांता ग्रुप को करीब से जानने वाले बताते हैं कि वर्तमान में अनिल अग्रवाल के साथ-साथ उनके दो भाई नवीन अग्रवाल और प्रवीण अग्रवाल और पुत्र अग्निवेश अग्रवाल और प्रिया अग्रवाल देखते हैं। अग्निवेश दुबई में रहते हैं। वह हिन्दुस्तान जिंक के बोर्ड में भी हैं। उनका दुबई में अपना मेटल का भी मोटा कारोबार है। बेटी केयर्न बोर्ड में हैं। उसने आकर्षक हेब्बार नाम के बैंकर से विवाह किया हुआ है। वह पहले विज्ञापन पेशेवर थी।
सेवानिवृत्त होने के बाद करेंगे चैरिटी का काम
अग्रवाल समूह की सभी कंपनियों से सेवानिवृत्त होने के बाद भारत में चैरिटी का काम करेंगे। अपनी संपत्ति दान में देने का निर्णय उन्होंने दुनिया के सबसे धनी उद्योगपति बिल गेट्स के साथ बैठक के बाद किया। गेट्स ने अपनी 82 अरब डॉलर की संपत्ति में से 28 अरब डॉलर की संपत्ति को चैरिटी कार्यों के लिए दिया है। गेट्स फाउंडेशन को अरबपति वारेन बफेट ने भी 41 अरब डॉलर का दान दिया है। गेट्स ने भारत में सामाजिक कार्यों के लिए 1 अरब डॉलर का दान दिया है वहीं पोलियो उन्मूलन में भी अहम भूमिका अदा की है। इन्फोसिस के संस्थापक क्रिस गोपाल कृष्णन ने भी भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलूर को 225 करोड़ रुपये का दान दिया था, वहीं नंदन नीलेकणि ने 480 करोड़ रुपये का दान नैशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकानॉमिक रिसर्च को दिया है। from dainikbhaskar.com
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