मोदी की रैली ने निकाला किसानों का दिवाला
पंकज प्रियदर्शी
हाजीपुर के निकट सुल्तानपुर गांव का वो इलाका आज सुनसान है, जहाँ रविवार को प्रधानमंत्री मोदी की रैली की खूब चर्चा थी। रैली के लिए जो तैयारियाँ की गई थीं, बांस और बल्ली लगाए गए थे, अब हटाए जा रहे हैं। छोटे-छोटे ट्रकों से सामान ढोया जा रहा है, कुछ दिनों पहले जो मजदूर मंच बनाने और घेराबंदी करने में लगे थे, अब वही मजदूर उसे हटाने में लगे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री की रैली के लिए जिन किसानों की धान की खेती काट दी गई, उनमें से कुछ नाराज हैं, कुछ लोगों को मुआवजे की कम राशि पर ऐतराज है, तो कुछ लोग चुनिंदा लोगों के विरोध को राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो राजनीतिक तौर पर नरेंद्र मोदी का विरोध कर रहे हैं, लेकिन वे मुआवजे की राशि से संतुष्ट हैं। रैली वाले क्षेत्र में बिंदेश्वर राय के पास दो एकड़ से ज्यादा जमीन है, चार-पांच कट्ठा छोड़कर उनकी बाकी जमीन से धान की फसल काट दी गई। वे कहते हैं, हम रैली में नहीं गए थे। मेरी नाराजगी इसलिए हैं क्योंकि लोगों को अलग-अलग मुआवजे की राशि मिली है। कुछ लोगों को पांच हजार का मुआवजा मिला, मुझे सिर्फ़ 1900 मिला है। मेरा पंप सेट टूट गया और शीशम के एक पेड़ को भी नुकसान पहुंचा है।
फसल चौपट होने से किसानों में नाराजगी
और तो और जिसके खेत में हेलिपैड बनाया गया था, वो तो और निराश हैं, क्योंकि ईंट, बालू और सीमेंट के इस्तेमाल के कारण उन्हें अपने खेत को उपजाऊ बनाने में लंबा समय लगेगा। लालऊ सिंह कहते हैं, हेलिपैड बनाने के लिए जमीन का इस्तेमाल हुआ। लेकिन मुआवजा उतना ही मिला, जितना सबको मिला। लेकिन इसे खेती लायक बनाने में दो-ढाई साल का समय लग जाएगा। लेकिन इस रैली के कारण प्रभावित हुए लोगों में एक और तबका बटाईदारों का है, जो खेत के मालिक नहीं हैं, उन्होंने पूंजी तो पूरी लगाई, लेकिन मुआवजा खेत के मालिकों को मिला और उन्हें इसका बहुत कम हिस्सा मिला। एक बटाईदार कहते हैं, मुझे तो मुआवजा भी कम मिला है, पूंजी पूरी लगाई। लेकिन मुआवजा मालिक को ज्यादा मिला। रैली के विरोध को लेकर भी लोग एकमत नहीं है, कई लोगों का कहना है कि गाँव में किसी ने रैली का विरोध नहीं किया। कुछ लोग अगर रैली में नहीं आए, तो ऐसा राजनीतिक विरोध के चलते था न कि मुआवजा के कारण।
समर्थकों ने कहा- नहीं है कोई नाराजगी
पप्पू पासवान कहते हैं, देखिए मुआवजा सबको मिला है, लेकिन अब जिनको आना ही नहीं था, वे रैली में नहीं आए। लेकिन गांव के 99 प्रतिशत लोग रैली में आए थे। सुल्तानपुर गांव के रामजनम रॉय खुलकर नरेंद्र मोदी का विरोध तो करते हैं, लेकिन कहते हैं कि मुआवजे की राशि उचित थी और गांव में किसी ने रैली का बहिष्कार नहीं किया था। वे कहते हैं कि कम बारिश के कारण धान की खेती पर काफी असर था, अगर मुआवजा नहीं मिलता तो वैसे भी खेती बर्बाद ही हो रही थी। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि आरोप बेबुनियाद हैं और किसानों को उचित मुआवजा दिया गया है। वैशाली के जिÞला भाजपा प्रमुख संजय सिंह कहते हैं कि किसानों की सहमति से ही सब कुछ हुआ है। लेकिन इतना तो तय है कि ए एक जगह की बात नहीं है, बड़े नेताओं की रैली के कारण किसानों की खेती पर असर पड़ता है और मुआवजे की राशि को लेकर नाराजगी भी इसी का एक हिस्सा है।(बीबीसी)
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