जदयू-राजद के लिए अग्निरीक्षा है नालंदा

nalandaआनंद मिश्रा. नालंदा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृहक्षेत्र नालंदा जदयू-राजद गठबंधन के लिए अग्निपरीक्षा साबित होगा क्योंकि क्षेत्र की प्रभावशाली जातियां…कुर्मी और यादव… लंबे समय से एक-दूसरे की प्रतिद्वंद्वी रही हैं। वृहद ओबीसी एकता के नाम पर ये जातियां नालंदा में एक-दूसरे से हाथ मिलाती हैं या नहीं, इसी से बिहार में महागठबंधन के लिए मतदान के रुझान का पता चलेगा । भाजपा ने नालंदा में मतदान के दिन से मतगणना के दिन तक विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त करने की मांग की है। इस धारणा के बीच कि पहले दो चरणों के मतदान में राजग पिछड़ गया है, भाजपा नीत गठबंधन 28 अक्तूबर को छह जिलों में 50 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में होने वाले मतदान पर काफी दांव लगाए बैठा है। हालांकि यह शहरी क्षेत्रों में सारन, भोजपुर और बक्सर सहित पटना और भाजपा जैसे भाजपा के गढ़ों में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है, लेकिन पार्टी नालंदा में सबको आश्चर्यचकित करने की कोशिशों के तहत कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। राज्य में कुल मतदाताओं में यादवों की संख्या 14 प्रतिशत है, जबकि कुर्मी चार प्रतिशत हैं । यादव जहां समूचे राज्य में फैले हैं, वहीं कुर्मी मुख्यत: नालंदा और कुछ अन्य क्षेत्रों तक ही सीमित हैं । हालांकि नालंदा में उनके करीब 30 प्रतिशत वोट हैं। संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 19.49 लाख मतदाताओं में से 5.5 लाख कुर्मी मतदाता हैं। नालंदा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस को तीन बार 1996, 1989 और 1999 में लोकसभा भेज चुका है । 2004 में यहां से नीतीश कुमार जीते थे । 2005 में नीतीश जब मुख्यमंत्री बने तो सीट करीबी सहयोगी कौशलेंद्र कुमार को चली गई । उन्होंने 2009 में भी इसे बरकरार रखा। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी की लहर के बावजूद कौशलेंद्र सीट को जीतने में कामयाब रहे, लेकिन 9,627 मतों के मामूली अंतराल से जिससे नीतीश कुमार के आँगन में लोगों के बदलते मूड का संकेत मिला। लोजपा के सत्यानंद शर्मा रनरअप थे। रामविलास पासवान की पार्टी ने सात विधासभा सीटों में से तीन-हिल्सा, अस्थवां और हरनौत में उम्मीदवार उतारे हैं, जहां नीतीश कुमार का पैतृक गांव स्थित है। पिछली बार भाजपा के साथ गठबंधन में जदयू ने जिले में सात में से छह सीट जीती थीं। राजनीतिक बाध्यताओं ने नीतीश और लालू को एक साथ आने पर विवश कर दिया, लेकिन नालंदा में दोनों समुदायों के बीच प्रतिद्वंद्विता का इतिहास रहा है।






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