सैंडविच की तरह है मीरगंज, पर बदहाली कब दूर भागेगी

mirganj goaplganjप्रकाश गुप्ता.मीरगंज (गोपालगंज)।
गोपालगंज जिले के हथुआ विधानसभा क्षेत्र में मीरगंज प्रमुख नगर है। यह दो जिले गोपालगंज और सीवानके बीच एक सैंडविच की तरह है। लेकिन यह नगर अनेक समस्याओं से त्रस्त है। हर बार चुनाव में नेता यहां की समस्याओं को दूर करने का वादा करते हैं, लेकिन चुनाव बाद कुछ भी ठोस कार्य नहीं होता है जिससे मीरगंज की सूरत बदले। विधानसभा क्षेत्र हथुआ में ऊंचकागांव ब्लॉक मीरगंज से करीब 13 किलोमीटर की दूरी पर है। लेकिन वाहनों की कमी के कारण लोगों को इस प्रमुख नगर से आवागमन में भारी दिक्कत होती है। अनेक युवाओं को इस ब्लॉक में छोटे छोटे कार्यों के लिए भारी परेशानी होती है। एक मामूली प्रमाण पत्र बनाने के लिए यदि यहां के ब्लॉक में जाओ तो कई बार निराशा होती है। क्योंकि ब्लॉक में जाने के बाद पता चलता है कि कर्मचारी अपनी सीट पर नहीं है। कभी साहब देर से पहुंचते हैं, तो कभी कहां रहते हैं, पता ही नहीं चलता है। कर्मचारी सीधे मुंह बात नहीं करते हैं। पूछने पर टेड़ा जवाब देते हुए कहते हैं साहब राऊंड पर चले गए, कल आइए। मीरगंज से महज दो किलोमीटर की दूरी हथुआ ब्लॉक है, लेकिन मीरगंज के कई इलाकों को उंचका गांव ब्लॉक से जोड़ देने पर भारी परेशानी होती है।
मीरगंज में ही हथुआ जंक्शन के नाम से रेलवे स्टेशन है, लेकिन यह जंक्शन केवल नाम के लिए है। यहां से गुजरने वली छपरा-लखनऊ एक्सप्रेस का यहा स्टॉपेज नहीं है। इसलिए इस ट्रेन से गुजरने वाले यात्री यहां उतरने के लिए चैन पुलिंग करते हैं। इससे हादसे का अंदेशा बना रहता है। जंक्शन होते हुए भी हथुआ स्टेशन से अभी तक एक कोई भी एक्सप्रेस ट्रेन नहीं खुलती और नहीं रूकती है। मीरगंज प्रमुख नगर होते हुए भी यहां का बस स्टैंड बदहाल है। न यात्रियों को बैठने के लिए कहीं कोई सरकारी व्यवस्था है न ही कोई ऐसा स्थान चिन्हित है जहां बस के इंतजार में कोई खड़ा हो सके। वाहन चलाकों की पूरी मनमर्जी चलती है। इससे आए दिन सड़क जाम की समस्या होती है। मीरगंज में पावर हाउस भी है। लेकिन पावर हाउस में 22 घंटे बिजली रहती है और बाकी इलाके बिजली से कटे रहते हैं। सड़कों को स्ट्रीट लाइट की भी समुचित व्यवस्था नहीं होती है। गंदगी, साफ-सफाई, रोड लाइट का भी संकट विकराल है। जबकि यहां दो फौग लाइट भी लगी हैं, लेकिन अधिकतर समय यह बंद ही रहती है। नाले की बेहतर व्यवस्था नहीं होने से गंदे पानी का निकास नहीं हो पाता है। बजबजाते नाले बीमारियों को निमंत्रण देते हैं। पासपोर्ट की इंक्वारी की समस्या मीरगंज क्या पूरे जिले में विकराल है। किसी भी थाने में जाइए, बिना रिश्वत दिए पासपोर्ट की इंक्वारी पर पूरी नहीं होती है।
पेयजल और हर मोड़ पर शौचालय नहीं होने से मीरगंज में आने जाने वालों को बड़ी परेशानी होती है। न ही शहर में सरकारी समुदायिक विवाह भवन है न ही कोई नेता इसके बारे में सोचता है। लिहाजा शादी विवाह के दौरान लोगों को महंगे टेंट का सहारा लेना पड़ता है। बच्चों को खेलेन के लिए न कोई स्वतंत्र मैदान है ओर न ही बड़े बुजुर्गों को टहलने के लिए पार्क। मीरगंज में शिक्षा का स्तर भी बहुत निम्म हो गया है। प्रमुख स्कूलों में यदि अभिभावक व नगर पलिका सछसयों को जोड़ कर ही स्कूल संचालन समिति बनाइ जाए तो कोई बात बने।
मीरगंज में चीनी मील का इतिहास पुराना रहा है। हर वार नेता इस मील को शुरू कराने का वादा करते हैं, लेकिन उनका वादा कोरा बकवास ही होता है। मील का भवन जर्जर हो चुका है। मशीने जंक खा चुकी है। इसलिए मील को नए तरीके से शुरू करना होेगा। इसके लिए सरकारी दृढ़ता चाहिए, लेनिन सरकार में यह दृढ़ता कौन जगाएगा?। गोपालगंज का प्रमुख शहर होने के कारण मीरगंज में छोटी-मोटी फैक्ट्रियों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी प्रोत्साहन मिलना चाहिए। असानी से बैंक कर्ज मिले तो कई लोगों को रोजगार मिल सकता है। इन प्रमुख मुद्दों के अलावा मीरगंज में और भी कई मुद्दे हैं, लेकिन जनता इतनी सचेत नहीं है कि वह नेताओं से दमदारी के साथ अपने हक की बात करें। अगर को मीरगंज को अच्छा देखना है तो एक अच्छा नेता चुनना होगा। एक ऐसा नेता चुनना होगा जो इन तमाम समस्याओं से लउÞे।

Prakash Gupta Mirganj, gopalganj Bihar , Student NIT Aggartalla

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यहां की समस्या को विधानसभा में उठा सके और सरकार का ध्यान इस ओर खींच सके। यदि ऐसा हुआ तो मीरगंज भविष्य में तेजी से बढ़ता हुआ शहर होगा। सीवान ओर गोपालगंज के बीच स्थिति मीरगंज नगर दोनों जिलों को अपने क्रियाकलापों से प्रभावित कर सकता है। यदि जनता कल के बारे में सोच कर मतदान करें तो कोई शक नहीं कि मीरगंज की सूरत बदलते देर नहीं लगेगी। (प्रकाश गुप्ता, मीरगंज निवासी है तथा वर्तमान में एनआईटी अगरतल्ला में अध्ययनरत हैं)






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