बिहार चुनाव में जयप्रकाश नारायण आंदोलन फिर सुर्ख़ियों में है. जयप्रकाश नारायण एक समाजवादी नेता थे, जिन्होंने 1977 में कांग्रेस पार्टी के ख़िलाफ़ आंदोलन चलाया था और भारतीय राजनीति की तस्वीर बदल दी थी. आज़ादी के बाद पहली बार 1977 के आम चुनावों में जेपी आंदोलन के कारण कांग्रेस पार्टी हार गई. इससे पहले देश में आपातकाल लागू था. कांग्रेस विरोधी समूहों से मिलकर बनी जनता पार्टी ने दिल्ली की सत्ता पर क़ब्ज़ा तो जमा लिया लेकिन वो महज़ दो साल तक ही शासन कर सकी. हालांकि 1977 में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में जनता पार्टी ने 324 सीटों में से 214 पर जीत दर्ज की.लेकिन 1980 के दशक में जनता पार्टी बिहार में भी टूटनी शुरू हो गई और इससे कई ग्रुप निकले. राज्य में मौजूदा दो प्रमुख पार्टियां राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) इसी से निकले थे और 1990 के दशक में राज्य स्तर की महत्वपूर्ण पार्टी के रूप में उभरे. ये दोनों पार्टियां जाति आधारित वोट बैंक और एक दूसरे की धुर-विरोधी के रूप में जानी जाती रही हैं और इस साल के चुनावों में कांग्रेस के साथ हैं. यह विडंबना ही है क्योंकि जनता पार्टी 1970 के दशक में कांग्रेस के ‘तानाशाही’ रवैये के विरोध से ही उभरी थी.
*आईएनसी (इंडियन नेशनल कांग्रेस), आईएनसी-यू (इंडियान नेशनल कांग्रेस यूनाइटेड), बीजेएस (भारतीय जन संघ), सीपीआई, सीपीएम, एनसीओ (नेशनल कांग्रेस आर्गेनाइजेशन) एसओपी (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी), एसडब्ल्यूए (स्वतंत्र पार्टी), जेएनपी (जनता पार्टी), जेएनपी-जेपी (जनता पार्टी जय प्रकाश), जेएनपी-एससी (जनता पार्टी सेक्युलर- चरण सिंह), जेएनपी-एसआर (जनता पार्टी सेक्युलर राज नारायण), बीजेपी, एलकेडी (लोकदल), आईसीएस (इंडियन कांग्रेस सोशलिस्ट), जेडी (जनता दल), बीएसपी (बहुजन समाज पार्टी), एनसीपी (नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी).
इस साल के चुनाव में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस ने मिलकर महागठबंधन बनाया है. इनका मुख्य विरोधी गठबंधन है नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए), जिसमें बीजेपी, लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी), राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (सेक्युलर) शामिल हैं. इसके अलावा समाजवादी पार्टी (एसपी), एनसीपी, जन अधिकार पार्टी (जेएपी) का एक गठबंधन है और कम्युनिस्ट पार्टियों सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई(एमएल), सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ़ इंडिया (एसयूसीआई), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (एफ़बी) और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) का अलग गठबंधन है.
*एफ़बीएल (ऑल इंडिया फ़ारवर्ड ब्लॉक), एमयूएल (इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग), बीकेडी (भारतीय क्रांति दल), आरपीआई (रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया), आईसीजे (इंडियन कांग्रेस जगजीवन), आईएमएल (इंडियन मुस्लिम लीग), जेएमएम (झारखंड मुक्ति मोर्चा), आईसीएस (इंडियन कांग्रेस सोशलिस्ट), जेपीपी (झारखंड पीपुल्स पार्टी), एसएपी (समता पार्टी), एसजेपी-राष्ट्रीय (समाजवादी जनता पार्टी- राष्ट्रीय), यूजीडीपी (यूनाइडेट गोअन्स डेमोक्रेटिक पार्टी).
जनता पार्टी से लगातार नए दल और गठबंधन बनते रहे हैं. प्रदर्शन के आधार पर राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय चुनावों में इनका दर्जा राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय दल के बीच आगे पीछे होता रहता है.
कौन है राष्ट्रीय पार्टी
भारत में किसी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा तब मिलता है जब वो लोकसभा में चार या इससे अधिक सीटों पर चुनाव लड़े. उसे चार या उससे अधिक राज्यों में राज्य स्तर का दर्जा मिला हो. इसके अलावा उसे लोकसभा की कुल सीटों में दो प्रतिशत सीटों पर जीतना ज़रूरी है.
कौन है राज्य स्तर की पार्टी
किसी खास राज्य में राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा तभी मिलता है जब उसे उस राज्य से लोकसभा और विधानसभा में कम से कम 6 प्रतिशत वोट मिले हों. इसके अलावा पार्टी के पास एक सांसद और दो विधायक होना ज़रूरी है.
from bbchindi.com
Comments are Closed