अपने ही घर में घिरे अश्विनी चौबे
भागलपुर में कैसी हवा चल रही, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रचार के पहले सप्ताह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पांच तथा लालू प्रसाद तीन सभाएं कर चुके हैं। जिन सीटों पर लालू के उम्मीदवार खड़े हैं नीतीश वहां भी पूरे जोश से सभाएं कर रहे। सोनिया गांधी कहलगांव आ रही हैं। पीरपैंती में अमित शाह का दौरा होना है। यानी सभी दल पूरी ताकत से क्षेत्र को मथ देने में जुटे हैं। नीतीश जो कभी विकास के मुद्दे से भटकते नहीं थे, अपने को ठेठ बिहारी बताने लगे हैं। चुनाव को जात-जमात के साथ ही बिहारी बनाम गुजराती मोड़ देने का प्रयास किया जा रहा है। भाजपा विकास गीत गा रही लेकिन घर में संग्राम छिड़ा है। हिंदुस्तान के स्थानीय संपादक विश्वेश्वर कुमार की रिपोर्ट।
शुरू में पूर्व मंत्री व सांसद अश्विनी चौबे के बारे में दो शब्द। चौबे की गिनती भाजपा के ऐसे ब्राह्मण नेताओं में होती रही है जो मौका पड़ने पर पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के खिलाफ भी मोर्चा लेने से पीछे नहीं हटते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की माला तो तब से फेर रहे जब जदयू-भाजपा गठबंधन की सरकार मजे में चल रही थी और सत्ता के गलियारों में नीतीश कुमार व सुशील मोदी की जोड़ी को राम-लक्ष्मण तक की संज्ञा दी जाती थी। मुद्दा यह कि चौबे का नाम स्टार प्रचारकों की सूची में दर्ज था लेकिन पुत्र मोह में अपने ही गढ़ में घिर गए हैं। माना जा रहा कि अर्जित को टिकट देने के पीछे एक खेमे की रणनीति है कि वह भागलपुर से बाहर नहीं निकल सकें।
ताजा सीन यह कि बेटे का परचा दाखिल कराने के बाद से अश्विनी चौबे पार्टी के विरोध को थामने के लिए भागलपुर में ही डटे हैं। संघ के स्तर पर कई बैठकें हो चुकी हैं लेकिन बागी विजय साह मैदान छोड़ने को राजी नहीं हैं। गृहमंत्री राजनाथ सिंह, उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, राजीव प्रताप रूड़ी, नंद किशोर यादव सरीखे नेता आसपास की सीटों पर तो सभाएं कर रहे, लेकिन भागलपुर से परहेज कर रहे हैं। जानकार कहते हैं कि सुशील मोदी एक बार कह दें तो विजय साह तुरंत घर बैठ जाएंगे लेकिन क्या कारण है कि बगावत की कहानी लंबी खिंच रही? पार्टी के एक नेता ने याद दिलाया कि लोकसभा के समय चौबे ने शाहनवाज हुसैन को सुपौल अथवा किशनगंज जाने की सलाह दी थी। नरेंद्र मोदी की लहर में शाहनवाज नौ हजार मतों से हार गए, और हां 13 हजार नोटा वोट कैसे पड़ गए? भाजपा के पूर्व जिलाघ्यक्ष नभय चौधरी उप चुनाव की हार अबतक नहीं भूल पा रहे हैं।
भागलपुर सीट ब्राह्मण की है या भूमिहार की अथवा वैश्य समाज की इस जातीय गुणाभाग से अलग विरोध यह कि चौबे भाषणों में परिवारवाद की खिलाफत करते रहे हैं और राजनीतिक विरासत सौंपने की बात आई तो बेटे को आगे कर दिया।
भाजपा के अंदर छिड़े संग्राम और परिवारवाद पर नीतीश कुमार ने भी चुटकी ली। इशारो-इशारों में तटस्थ भाजपा नेता भी परिवारवाद की याद दिलाने से नहीं चूकते। गुरुवार को भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन भागलपुर में थे, आए थे बांका में पीएम रैली के लिए लेकिन दिखाने को पार्टी का विरोध शांत करते नजर आए। उनका बयान था कि राजद सांसद बुलो मंडल पार्टी में परिवारवाद को बढ़Þावा दे रहे हैं। बुलो की पत्नी वषार्रानी किचन से निकलकर सीधे चुनाव (बिहपुर सीट) में कूद गई हैं। चौबे पर पूछा गया तो घुमाकर बोले, वह बक्सर से सांसद हैं और उनके पुत्र ने संगठन के लिए अमूल्य योगदान दिया है। पता नहीं शाहनवाज ने यह बात दिल से कही अथवा व्यंग्य था लेकिन कोतवाली के पास अर्जित के चुनाव कार्यालय पर टंगे बैनर-पोस्टर में सब नेता हैं, सिर्फ शाहनवाज को छोड़कर।
शहरी मुद्दे पर किसी नेता के पास कुछ नहीं
अश्विनी चौबे के बीटेक पुत्र अर्जित तिकोने मुकाबले में फंसे हैं। सामने हैं 24 साल बनाम 14 माह का नारा देकर उप-चुनाव जीते कांग्रेस के अजीत शर्मा, जिनको पार्टी का एक खेमा अंदरखाने काट रहा है।
यहां हार जीत इस बात पर निर्भर करेगी कि बागी विजय साह कितनी ताकत से चुनाव लड़ते हैं। रही बात विकास की तो किसी के पास गिनाने के लिए कुछ नहीं है। चौबे कई टर्म विधायक रहे, धरना चौबे के नाम से चर्चित हुए, आठ साल मंत्री भी रह लिए लेकिन बिजली, पानी व सड़क की समस्या जस की तस है। नागरिक विकास समिति के रमन कर्ण, व्यवसाई शंभू झुनझुनवाला व उद्यमी विनोद अग्रवाल कहते हैं कि राज्य का यह दूसरा सबसे बड़ा शहर सुबह से रात तक जाम रहता है। बाईपास, फ्लाईओवर व हवाई सेवा जैसी सुविधाएं सपना हैं। मेयर दीपक भुवानिया चुनाव की चरचा पर स्मार्ट सिटी का सुरीला गीत गाते हैं लेकिन सभी जानते हैं कि यह दूर की कौड़ी है। जोश में कहते हैं कि 5000 करोड़ की योजना है, बस पहले चरण में नाम आ जाए तो शहर चमक जाएगा। पीएम की रैली हो चुकी है, उनके भाषण में कहीं भागलपुर नहीं था। कांग्रेस के अजीत शर्मा व्यंग्य करते हैं कि पीएम विक्रमशिला विवि व स्मार्ट सिटी की ही चरचा कर देते तो लोग खुश हो जाते। from livehindustan.com
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