Wednesday, September 30th, 2015
एक वह छात्रसंघ,एक यह लोकतंत्र
संजय स्वदेश स्कूलों में पढ़ते हुए ही हमें परिभाषा बताई जाती है कि- लोकतंत्र- जनता की सरकार, जनता के लिए जनता के द्वारा चुनी जाती है। कुल मिलाकर यह समझाया जाता है कि जनता अपने ऊपर शासन स्वयं करती है। इस लिहाज से देश में जनता ही सर्वोच्च हुई, लेकिन हकीकत ऐसी है नहीं। देश की बहुसंख्यक जनता को दरकिनार कर दिया जाता है। जनता ने जब अपने ऊपर अपने शासन के लिए जनप्रतिनिधियों को अधिकार दे दिया तो उन्होंने खुद को सर्वोच्च मान लिया। जितनी समय अवधि के लिएRead More