महागठबंधन के लिए सिरदर्द बनी ओबैसी की पार्टी
बिहार कथा, पटना।
बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू, राजद और कांग्रेस के महागठबंधन को भाजपा और उसके सहयोगियों से ही नहीं बल्कि असदुद्दीन ओवैसी की मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एमआईएम) जैसी छोटी पार्टियों से भी परेशानी महसूस हो रही है। ओवैसी अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को सीमांचल की सीटों पर मैदान में उतारेंगे। महागठबंधन को आशंका है कि इससे मुस्लिम वोट बंटेंगे और नुकसान होगा। यही वजह है कि सीमांचल में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी दो रैलियों को संबोधित करेंगे ताकि मुस्लिम वोटों को महागठबंधन के पक्ष में रखा जा सके। महागठबंधन की ओर से राहुल गांधी की ए रैलियां किशनगंज और कटिहार जिलों में 30 अक्टूबर को होंगी।
किशनगंज और कटिहार दोनों ही जिलों में काफी बड़ी तादाद में मुस्लिम आबादी है, जो नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाती है। इस बार ओवैसी भी पहली बार बिहार में कदम रख रहे हैं और सीमांचल क्षेत्र में ही अपने उम्मीदवार खड़े कर रहे हैं, जिनमें स्थापित राजनैतिक दलों के बागी भी शामिल हैं। इस कारण से माना जा रहा है कि एमआईएम के चलते महागठबंधन की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
इन दोनों जिलों में आखिरी चरण में 5 नवंबर को मतदान होगा, और विधानसभा सीटों के लिहाज से यह सबसे बड़ा चरण होगा, जिसमें 57 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। बिहार में कुल 243 सदस्ईय विधानसभा के लिए 12 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच पांच चरणों में चुनाव हे रहे हैं, और मतगणना 8 नवंबर को की जाएगी।
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