कोई भी जीते, सेहरा राजस्थान के सिर बंधना तय
एनडीए की रणनीति में राजस्थान का चुनावी मंत्र
श्रवण सिंह राठौड़. नई दिल्ली/पटना
बिहार विधानसभा में जीत किसी की भी हो, लेकिन जीत का सेहरा राजस्थान के सिर पर बंधना तय है। क्योंकि भाजपा और कांग्रेस दोनों के प्रदेश प्रभारी राजस्थान से हैं। भाजपा के लिए भूपेंद्र यादव और कांग्रेस के लिए डॉ सीपी जोशी ने मोर्चा संभाल रखा है। भाजपा महासचिव भूपेंद्र यादव मोदी लहर में राजस्थान और झारखंड में पार्टी को जीत दिलाने में भूमिका निभा चुके हैं। हां, अगर बिहार में एनडीए जीता तो भाजपा के साथ-साथ भूपेंद्र यादव का कद लालू- मुलायम की तरह यादव समाज में भी राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ÞÞेगा। वहीं राजस्थान कांग्रेस के कद्दावर नेता डा. सीपी जोशी के लिए यह चुनाव राहुल गांधी की उम्मीदों पर खरा उतरने और प्रधानमंत्री मोदी के भाजपा की चुनावी जीत के मंसूबों को विफल करके भाजपा के मनोबल को तोड़ना है।
राजस्थान में वसुंधरा के नेतृत्व में जीतने वाली भाजपा के लिए भूपेंद्र यादव सुराज यात्रा के प्रभारी के रूप प्रमुख चुनावी रणनीतिकार रहे। 200 में 163 सीटों पर जीत के लिए भाजपा ने बूथ मैनेजमेंट और विपक्ष पर आक्रामक हमले की जो रणनीति अपनाई थी, वो सब नए कलेवर के साथ वहां के प्रभारी भूपेंद्र यादव बिहार के चुनावी मैनेजमेंट में अपना रहे हैं। साथ ही प्रधानमंत्री की चुनावी रैलियों के प्रबंधन का काम भी देख रहे हैं।
सीटों के बंटवारे का जिम्मा
भाजपा आलाकमान ने बिहार की 243 सीटों में सहयोगी दलों के साथ बंटवारे के लिए बातचीत का जिम्मा भूपेंद्र यादव को सौंप रखा है। सहयोगी दल दबाव बना रहे हैं कि नीतिश के साथ भाजपा को 100 सीटें मिली थीं, इस बार भी उतनी सीटों पर चुनाव लड़े।
प्रत्याशियों के चयन में भूमिका
राजस्थान की तर्ज पर भूपेंद्र यादव ने सभी सीटों पर कई एजेंसियों से अलग- अलग सर्वे करवाए हैं। साथ ही भाजपा कार्यकतार्ओं से रायशुमारी करवाई है। दावेदारों में जो सामने आए है, वो वहां की सोशल इंजीनियरिंग और सहयोगी दलों की स्थिति को ध्यान में रखते प्रत्याशियों का चयन करना है।
सीपी जोशी का भाजपा हराओ मंत्र
दिलचस्प है कि बिहार में कांग्रेस खुद की जीत के लिए नहीं वरन भाजपा को रोकने के लिए लगी हुई है। सीपी जोशी के लिए बिहार में भाजपा को सत्ता में आने से रोककर राहुल गांधी की साख बढ़ÞÞाना एवं बचाए रखना ही सबसे बड़ी चुनौति है। नीतिश एवं लालू के साथ गठबंधन में कांग्रेस के खाते में 243 में से 40 सीटें ही आई हैं। जोशी का जोर 40 सीटों पर जीत दिलवाने से ज्यादा कांग्रेस के वोट बैंक को गठबंधन के साथी प्रत्यािशयों को दिलवाकर उनको जीताने पर है। लालू की तुलना में सीपी जोशी के नीतिश कुमार से संवाद ज्यादा बेहतर है।
चार साल में राष्ट्रीय महासचिव तक का सफर तय किया
अजमेर में जन्मे भूपेंद्र यादव एडवोकेट हैं। वो 2010 तक सुप्रीम कोर्ट में वकालात कर रहे थे। वकालात के दौरान अरुण जेटली से नजदीकियों के चलते ही राजनीति में आए। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से गुजरात के सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस मामले में पहचान हुई। राजस्थान से 2011 में राज्यसभा पहुंचे। राजनीति का 4 साल का अनुभव है। कार्यकतार्ओं से बेहतर संवाद में मािहर। कुशल संगठन कर्ता।
अनुभव ज्यादा, लेकिन बिहार में पार्टी कमजोर
नाथद्वारा के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा. सीपी जोशी पेशे से प्रोफेसर हंै। स्पष्टवादिता पहचान है। सीधी बात सुनने के आदी। पीसीसी अध्यक्ष बनने के बाद राहुल के नजदीक आए। अंग्रेजी में बेहतर संवाद के चलते सीपी जोशी राहुल की पसंद बन गए। असम, गुजरात समेत कई राज्यों में चुनाव प्रबंधन का जिम्मा संभाल चुके हैं। राहुृल के प्रमुख सिपाहसालार में शुमार हैं। from-bhaskar.com
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