एनडीए में फंसा है दो दर्जन सीटों का पेच
पटना.सभी दलों और गठबंधनों के उम्मीदवार प्रचार में जुट गए हैं, लेकिन एनडीए अभी सीट बंटवारे का गणित पूरी तरह नहीं सुलझा पाया है। दूसरे दलों में स्थिति तो कुछ ठीक है, लेकिन लोजपा के लगभग आधी सीट के लिए उम्मीदवारों की घोषणा अभी बाकी है। भाजपा के सात कैंडिटेट अबतक घोषित नहीं हुए हैं। महागठबंधन ने राजगीर को छोड़ सभी सीटों के लिए उम्मीदवार की घोषणा कर दी। दो दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीनों दलों के उम्मीदवारों की एक साथ घोषणा की। इसके पहले महागठबंधन ने सीट शेयरिंग का मामला भी सबसे पहले तय कर लिया था। उनके उम्मीदवार मैदान में उतर चुके हैं। लेकिन एनडीए में अभी सीट शेयरिंग की बात ही चल रही है। उधर भाजपा अब तक 153 सीटों के लिए उम्मीदवार की घोषणा कर सकी है।
इस मामले में लोजपा सबसे पीछे है। लोजपा को 40 सीटें गठबंधन में दी गई हैं। इसमें 15 के लिए नाम की घोषणा अभी बाकी है। शेष सीटों में भी कई को चुपके से सिम्बल दिया गया है। इसके अलावा अब भी कई सीटों पर मंथन चल रहा है। तरारी सीट लोजपा के खाते में नहीं गई थी। लेकिन राजनीतिक हलकों में चर्चा पर भरोसा करें तो यह सीट लोजपा अपने खाते में लेने में सफल हो जाएगी। इस सीट से सुनील पांडेय की पत्नी गीता पांडेय के चुनाव लड़ने की उम्मीद है। सुनील पांडेय के छोटे भाई और तत्कालीन विधान पार्षद हुलास पांडेय भी लोजपा के समर्थन से ही निकाय कोटे से विधान परिषद का चुनाव लड़े थे।
दरअसल लोजपा में जैसे-जैसे उम्मीदवारों की घोषणा होती जा रही है विक्षुब्धों की संख्या बढ़ती जा रही है। सबसे पहले रामविलास पासवान के करीबी रामा सिंह ने पार्टी से किनारा किया। फिर पार्टी प्रमुख के दामाद अनिल साधु ने साथ छोड़ा। उसके तुरंत बाद पूर्व विधायक रामनरेश सिंह ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। लिहाजा लोजपा अब पहले संभावित उम्मीदवारों को समझाकर ही एक का चयन करने में जुटी है। from , हिन्दुस्तान
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