Sunday, August 2nd, 2015
विकास हुआ पर बदहाली बाकी
संजय कुंदन इन दिनों देश की नजर बिहार पर टिकी है। कुछ ही महीने बाद यहां विधानसभा चुनाव होने हैं। राजनीतिक पंडितों में उत्सुकता है कि क्या हमेशा की तरह एक बार फिर यह राज्य कोई बड़ा सियासी उलटफेर करने जा रहा है? क्या लोकसभा चुनाव से जारी बीजेपी का विजय अभियान यहां थम जाएगा और पस्त पड़े विपक्ष में नई जान आएगी? राजधानी शहर पटना पोस्टरों से सज गया है लेकिन न जाने क्यों लोगों में वह सियासी गर्मजोशी और उत्तेजना नहीं दिखाई दे रही, जो कभी इस शहरRead More
हर बार से तीखी होगी बिहार की लड़ाई
आशुतोष झा, नई दिल्ली। बिहार में दो दशक बाद बदले राजनीतिक समीकरण और स्पष्ट रूप से बंटे दो खेमों में होने जा रही लड़ाई का फैसला संभवत: युवा व महिला वोटर ही करेंगे। लिहाजा बिहार की औसतन सीटों पर दोनों खेमों का संघर्ष उन 50-60 हजार वोटों के लिए होगा जो या तो पहली बार अपने राज्य के सत्ता गठन में हिस्सा लेंगे या बदले हुए समीकरण के अनुसार फैसला करेंगे। बिहार की 243 सीटों में प्रत्एक पर औसतन 32 हजार नए वोटर पहली बार मतदान करेंगे, जबकि पिछले दोRead More