मोदी कोसी, ओवैसी सीमांचल में तलाश रहे जमीन

modi-and-owaisiएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी 16 को किशनगंज में और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 को सहरसा में करेंगे सभा
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने पांच सीटों पर किया है कब्जा, उत्तर प्रदेश में भी विस्तार का कर चुके हैं प्रयास
मोदी लहर को किशनगंज के मतदाता सीमांचल में लगा चुके हैं ब्रेक, पार्टी को इस बार बेहतर करने की उम्मीद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी की सभाओं के कारण राजनीति गरमाई

अमितेष सोनू
पूर्णिया/ पटना. बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सभी बड़े नेता कोसी और सीमांचल में अपनी-अपनी जमीन तलाशने में जुट गए हैं। कोसी की नब्ज भांपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां 18 अगस्त को सहरसा आ रहे हैं, वहीं फायर ब्रांड नेता एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी 16 अगस्त को किशनगंज पहुंच रहे हैं। इन दोनों नेताओं के अलग-अलग दौरे से अन्य पार्टियों में बेचैनी बढ़Þ गई है।
किशनगंज के रुईधासा मैदान में 16 अगस्त को एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी की जनसभा की तैयारी जोरों पर है। ओवैसी की पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीतकर राजनीतिक हलके में अपनी धाक भी जमाई है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो 70 फीसदी मुस्लिम मतदाता वाले किशनगंज में अगर वे अपनी बात समझा पाने में सफल हुए तो इसमें कोई शक नहीं कि सीमांचल समेत पूरे बिहार का राजनीतिक समीकरण बदल जाएगा। किशनगंज में 70, अररिया में 42, कटिहार में 41 और पूर्णिया में 20 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। इन्हीं मतदाताओं के ध्रुवीकरण ने मोदी लहर को सीमांचल में रोक दिया था।
राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा शुरू हो चुकी है कि अगर ओवैसी कार्ड चला तो समाजवादी एका का क्या होगा, क्योंकि समाजवादी एका में शामिल लालू प्रसाद और नीतीश कुमार इन वोटों को अपना कैडर वोट मानते रहे हैं। ऐसे में ओवैसी अगर सेंध लगाने में कामयाब हुए तो नीतीश-लालू को झटका लगना तय है। सीमांचल में सुरजापुरी और कुल्हैया मुस्लिमों की अच्छी खासी तादाद है। उनके नेता मौलाना असरारुल हक और तस्लीमउद्दीन माने जाते हैं।
वैसे किशनगंज के इतिहास पर गौर करें तो सैयद शहाबुद्दीन, शाहनवाज हुसैन, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और वर्तमान बीजेपी प्रवक्ता व वरिष्ठ पत्रकार एमजे अकबर को भी यहां की जनता गले लगा चुकी है। पूर्व में इन तीनों नेताओं ने किशनगंज संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। यहां बाहरी होना कोई खास मुद्दा नहीं माना जा सकता है। उधर, भाजपा के लिए भी सहरसा का कार्यक्रम काफी महत्वपूर्ण है। यहां भाजपा अपनी तैयारी में कोई कमी नहीं रहने देना चाहती है। पार्टी का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा की सफलता का असर पूरे क्षेत्र पर पड़ेगा। from dainikbhaskar.com






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