बिहार में घुसते ही बैलगाड़ी क्यों बन जाती हैं ट्रेनें?
110 की स्पीड हो जाती है 19 किलोमीटर प्रति घंटा
दिग्विजय कुमार. मुजफ्फरपुर. बिहार की बॉर्डर में प्रवेश के साथ ही ट्रेनें बैलगाड़ी की तरह हो जाती हैं। दिल्ली से आने वाली ज्यादातर ट्रेनें गोरखपुर तक तो सही टाइम पर पहुंचती हैं, लेकिन उत्तर बिहार की सीमा में प्रवेश करते ही अपने डेस्टिनेशन तक कब पहुंचेगी यह रेलवे भी नहीं बता पाता है। हालांकि, यह सब खुद रेलवे ने ही तय किया हुआ है। यहां तक कि सप्तक्रांति एक्सप्रेस मुजफ्फरपुर से मोतीपुर की 26 किमी की दूरी जाते हुए 20 मिनट में तय करती है और लौटने में इसे 57 मिनट लग जाते हैं। रेलवे के चीफ कंट्रोलर और स्टेशनों पर बैठे स्टेशन मास्टर की मनमानी से भी यहां ट्रेनें रुकी रहती हैं और जब चलती हैं तो मानिए रेंग रही हों। उत्तर बिहार में रेलवे लाइन की स्थिति इतनी खराब है कि महज 113 किमी की दूरी तय करने में ट्रेनों को 17 स्थानों पर सावधानी बरतनी होती है। 110 किलोमीटर की रफ्तार से चलने वाली ट्रेनें छपरा से मुजफ्फरपुर के बीच 17 स्थानों पर औसतन 19 किलोमीटर की गति से ही चल पाती हैं। नरकटियागंज से मुजफ्फरपुर आने में भी 11 स्थानों पर ट्रेनें धीमी चलती हैं। कटिहार से मुजफ्फरपुर आने में 22 स्थानों पर ट्रेनों की गति न्यूनतम हो जाती हैं।
यहां थम जाते हैं ट्रेनों के पहिए
बिहार की सीमा में प्रवेश के साथ ट्रेनों के पहिए थम जाते हैं। मुजफ्फरपुर रेलवे यार्ड में 3 जगह, मुजफ्फरपुर-रामदयालुनगर, तुर्की यार्ड, सराय और हाजीपुर में दो-दो जगह, दिघवारा, गोल्डनगंज, छपरा कचहरी में 2 जगह और छपरा यार्ड में 4 जगह। यहां की ट्रेनें 10 से 30 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड से ही ट्रेनें चल पाती हैं।
आने-जाने के समय में इतना अंतर क्यों?
बरौनी से नई दिल्ली जाने वाली वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस मुजफ्फरपुर से सीवान तक 175 किमी की दूरी 3 घंटा 5 मिनट में तय करती है, वहीं दिल्ली से वापसी में सीवान से मुजफ्फरपुर यह ट्रेन 3 घंटा 48 मिनट में आती है। दरभंगा से नई दिल्ली जाने वाली बिहार संपर्क क्रांति सुपरफास्ट एक्सप्रेस मुजफ्फरपुर से सीवान तक 175 किलोमीटर की दूरी 3 घंटा में तय करती है, वहीं दिल्ली से वापसी में सीवान से मुजफ्फरपुर यह ट्रेन 4 घंटा 05 मिनट में आती है।
यह भी है कारण
रेलवे बोर्ड भी बिहार से गुजरने वाली ट्रेनों को दोयम दर्जे से देखता है। तभी तो मुजफ्फरपुर से दिल्ली जाने वाली सप्तक्रांति के लिए बगहा जाने में 3 घंटे 18 मिनट और वापसी के लिए 4 घंटे 24 मिनट समय तय किया है। यानी एक घंटे 6 मिनट ज्यादा। लंबी दूरी की अधिकतर ट्रेनों का यही हाल है। बिहार आने वाली अधिकतर ट्रेनें औसतन डेढ़ घंटे विलंब से पहुंचती हैं। कई गाड़ियां छह घंटे तक लेट होती हैं।
क्या कहते हैं अफसर
मुजफ्फरपुर में प्लेटफार्म की कमी व रामदयालुनगर से हाजीपुर तक सिंगल लाइन होने के कारण ट्रेन परिचालन में देरी हो रही है। रामदयालुनगर से हाजीपुर तक दोहरीकरण का काम जारी है। अगले कुछ वर्षों के अंदर दोहरीकरण का काम पूरा होते ही इसमें सुधार होगा। – दिलीप कुमार, सीनियर डीसीएम, सोनपुर रेल मंडल
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