बिहार चुनाव में ये चार खिलाड़ी क्या दिखा पाएंगे अपना जलवा?

bihar-election-tejaswi yadv with lalooबिहार चुनाव: ‘मेरे बेटे’ सबसे अच्छे!
नीरज सहाय.पटना, बीबीसी
जैसे बारिश में फसल रोपने का मौसम होता है, वैसे ही चुनाव राजनीतिक परिवारों को नई पीढ़ी लांच करने का मौका देती है। इस बार भी विधानसभा चुनाव का शोरगुल शुरू होने से पहले ही दो परिवारों के चार कुलदीपक अपनी रोशनी बिखेरने के लिए तैयार हैं।
विवादित बाहुबली नेता आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद राजनीति में उतरने की कोशिश में हैं। इसी तरह से पटना के एक दूसरे कोने में राष्ट्रीय जनता दल के सर्वेसर्वा लालू प्रसाद यादव के तीन बच्चे चुनाव लड़ने को तैयार हैं।
चेतन आनंद की माँ और पूर्व सांसद लवली आनंद जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा में शामिल हो गई हैं। जबकि पिता – पूर्व सांसद आनंद मोहन, हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। केतन वेल्हम बॉयज और सिमबायोसिस इंस्टिट्यूट आॅफ डिजाइन से कम्युनिकेशन डिजाइन की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। सवाल पूछने पर चेतन किसी मंझे हुए नेता की तरह उत्तर देते हैं।अपने माता पिता के बाद उनका राजनीति में आना उनके हिसाब से वंशवाद नहीं ‘संघर्षवाद’ है। bihar-election-lovely anandअपने पूर्वजों के आजादी की लड़ाई में शामिल होने कि दुहाई देते हुए केतन कहते हैं, “संघर्ष हमारे खून में है। अगर जरूरत पड़ी तो चौथी पीढ़ी भी राजनीति में आएगी।
मुख्यमंत्री माता-पिता की सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती यादव, तेज प्रताप यादव और तेजस्वी प्रसाद यादव। मीसा भारती यादव ने एमबीबीएस की डिग्री हासिल की है। तेजस्वी प्रसाद यादव ’12वीं तक’ दिल्ली के नामी डीपीएस में पढ़े हैं। बकौल उनके उसके बाद, वो क्रिकेट में मसरूफ हो गए। तेज प्रताप ने बिहार में धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ शुरू किया।
उनके पिता लालू प्रसाद के पुराने साथी और राज्य के कद्दावर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह भले मानते हों कि, “वंशवाद राजनीति के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।” यादव परिवार के इन तीन बच्चों के समर्थक पूरे उत्साह में हैं। पटना में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिन्हा कहते हैं, bihar-election-RJD laloo“चूँकि पिता आनंद मोहन चुनाव नहीं लड़ सकते इसलिए वो अपने बेटे को आगे ला रहे हैं।
इसी तरह से राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद अपराधिक मुकदमों कारणों से खुद चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।” सिन्हा कहते हैं, “बड़े नेता राजनीति को परिवार के एक निजी व्यवसाय के रूप में चलाते हैं। जैसे ए अपनी निजी संपत्ति परिवार में बांटते हैं उसी तरह ए लोग राजनीति का हस्तांतरण परिवार के बीच ही करते हैं।” –बीबीसी






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