बिना मकान और मास्टर के चल रहा इंटर कॉलेज
गुठनी का प्रसिद्ध तिलक हाईस्कूल बदहाली में
पुराने व जर्जर कमरों में दसवीं तक की कक्षाए
सिवान। मुख्यालय स्थित लोक मान्य तिलक उच्च विद्यालय गुठनी का प्रसिद्ध हाई स्कूल है। इसे जब इंटर कालेज की मान्यता मिली थी तो अभिभावकों के साथ बच्चों को भी काफी खुशी हुई थी। लेकिन विभागीय लापरवाही से यहां के छात्रों के उम्मीदों पर पानी फिर गया। आज तक न इंटर कालेज का भवन बना, न शिक्षक तैनात हुए। नामांकन भी नहीं हुआ और इंटर कालेज महज नाम का ही रह गया है। दसवीं से आगे यहां पढ़ाई नहीं हो पाती है।
इस विद्यालय में कुल आठ कमरे हैं जिसमें नौंवी व दसवीं कक्षा को मिलाकर कुल 1750 बच्चे और बच्चियां जैसे-तैसे पढ़ते हैं। विद्यालय भवन भी बहुत पुराना हो गया है। स्थिति ऐसा है कि यदा-कदा छत की छप्पर गिर जाती है तथा कई जगह से छत से पानी भी चूता है। बरसात के दिनों में सभी कमरों में पानी लग जाता है। विद्यालय का बरामदा कभी भी गिर सकता है जिससे कभी भी भयानक हादसा होना संभव है। पुराने व जर्जर कमरों में बड़ी मुश्किल से हाईस्कूल की कक्षाएं चलती हैं। दीवारों की रंगाई हुए बरसों बीत गए। मरम्मत भी नहीं होती। स्कूल भवन पर विद्यालय का नाम भी अब स्पष्ट नहीं है।
लाइब्रेरी सिर्फ नाम का :
विद्यालय में कहने के लिए लाइब्रेरी है। लाइब्रेरी के लिए एक कमरा है। पुस्तकालयाध्यक्ष की भी नियुक्ति हुई लेकिन न पुस्तकें आती हैं न बंटती हैं।
प्रयोगशाला का अभाव :
दसवीं कक्षा के विज्ञान वर्ग में प्रायोगिक परीक्षा होती है। लेकिन प्रयोग नहीं कराए जाते हैं। प्रयोगशाला में प्रयुक्त होने वाले कुछ सामान जैसे वीकर, फ्लास्क, परखनली जरूर रखे गए हैं जो बच्चों को दिखाया जाता है लेकिन किसी तरह के प्रयोग नहीं कराए जाते हैं। प्रयोगशाला रूम भी नहीं है न ही प्रयोग के लिए कोई इन्स्ट्रूमेंट ही है। स्थिति ऐसी है कि दसवीं पास छात्रों को भी प्रायोगिक क्रियाओं की सही जानकारी नहीं होती है। और तो और बच्चे परखनली को वीकर बोलते हैं।
कई वर्षो से बंद है शौचालय :
विद्यालय प्रांगण में शौचालय की स्थिति बहुत ही बदतर है, वर्षों पहले शौचालय बना था जो जल्द ही टूट गया। उसके बाद शौचालय की स्थिति नहीं सुधरी। इसकी छत भी टूटी हुई है। शौचालय की सीट टूटी हुई है और यह खंडहर जैसा बन गया है। शौचालय के खराब स्थिति से छात्राओं को काफी कठिनाई होती है।
शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं :
पीएचईडी से लेकर केन्द्र व राज्य सरकार की तमाम योजनाएं लोगों को शुद्ध एवं स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने में लगी है। लेकिन गुठनी स्थित लोकमान्य तिलक उच्च विद्यालय सह इंटर कालेज में आज तक सरकारी चापाकल नहीं लगा। करीब दो हजार छात्र-छात्राओं के बीच मात्र एक प्राइवेट चापाकल है जो 40-50 फीट से अधिक गहरा नहीं होगा। सारे बच्चे उसी जल को पीने को मजबूर हैं। इसके लिए न शिक्षा विभाग को चिंता है और न ही विद्यालय प्रशासन को।
प्लस टू का मान्यता है लेकिन नामांकन नहीं :
सरकार के रिकार्ड के अनुसार सन 2008 में इस विद्यालय को प्लस टू का मान्यता मिली लेकिन विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई। इंटरमीडिएट कालेज में पढ़ाने हेतु दो-चार शिक्षक भी नियोजित हुए तभी नामांकन शून्य रहा। हो भी कैसे? अभी तो यही सलामत नौंवी व दसवीं के छात्रों के बैठने की जगह रूम में नहीं है तो इंटर की पढ़ाई कहां होगी। विद्यालय में कमरे तथा शिक्षकों की कमी है। फर्नीचर का भी अभाव है। यह सोचने का विषय है। वैसे 2015 में 11 वीं कक्षा में एक भी छात्रों का नामांकन नहीं हुआ है।
तीन साल से धूल फांकते कम्प्यूटर :
विद्यालय में कहने के लिए कम्प्यूटर की भी सुविधा उपलब्ध है। पिछले तीन वर्षों से शिक्षक के अभाव के कारण कम्प्यूटर की पढ़ाई बिल्कुल नहीं होती और न तो कमरे ही खुलते हैं और न साफ-सफाई का कोई इंतजाम है। छात्रों की मानें तो विद्यालय में कभी भी कम्प्यूटर की पढ़ाई नहीं हुई है।
प्रधानाध्यापक महंथ प्रसाद ने बताया कि पहले पढ़ाई होती थी लेकिन पिछले तीन वर्षों से शिक्षक के अभाव में पढ़ाई नहीं हो रही है। कांट्रैक्ट के शिक्षक थे, कांट्रैक्ट टूटने के बाद अब तक नया शिक्षक नहीं आए हैं।
छात्राओं की उच्च शिक्षा विकट समस्या :
लोकमान्य तिलक उच्च विद्यालय सह इंटर कालेज के बिगड़े स्थिति को देखकर छात्राओं के उच्च शिक्षा पर ग्रहण लग गया है। प्रखंड मुख्यालय में दो इंटर कालेज हैं, दोनों की यही स्थिति है जिससे यहां के छात्र-छात्राओं को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के लार व अन्य जगहों पर पढ़ने जाने को विवश होना पड़ता है। from jagran.com
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