बाहरी बिहारियों पर लालू-नीतीश की नजर

Bihar-to-be-the-first-state-to-allow-NRI-Votingपटना। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव का समय त्यौहारों के मौसम से भी टकराने वाला है। संयोग से दोनों ही में बिहार के लोग बेहद उत्सुकता के साथ भागीदारी करते हैं। दशहरा, दीवाली और छठ के त्यौहारों के समय बिहार से आने-जाने वाली ट्रेनों में पांव रखने की भी जगह नहीं होती। इस मौके को बिहार चुनाव में भुनाने के लिए जेडीयू और आरजेडी ने नई रणनीति बनाई है। सीएम नीतीश कुमार, बिहार के इन्हीं अप्रवासियों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली, मुंबई सहित देश के कई हिस्सों में बिहार सम्मान सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं। नीतीश कुमार को पीछे छोड़कर बिहारी अप्रवासियों को रिझाने में बीजेपी भी आगे रहना चाहती है। बीजेपी ने रणनीति बनाई है कि वह क्रम में सबसे पहले पड़ने वाले त्यौहार- दुर्गा पूजा के मौके पर बिहार आने वाले लोगों से चुनाव में समर्थन का आश्वासन ले लेगी।
नीतीश कुमार के 7 सर्कुलर रोड स्थित आवास पर इस अप्रवासी लड़ाई की कमान भी एक अप्रवासी बिहारी, प्रशांत किशोर के हाथ में है। जेडीयू को भरोसा है कि जिस तरह 10 साल पहले बिहारी अस्मिता के नाम पर लोगों ने उन्हें बिहार की कमान सौंपी थी, उसी अस्मिता के लिए अप्रवासी भी उसे अपना समर्थन देंगे। जेडीयू के प्रवक्ता अजय आलोक ने बताया कि नीतीश कुमार देश के सभी प्रमुख शहरों में बिहार सम्मान सम्मेलन में भाग लेंगे।
नीतीश की इस रणनीति के जवाब में अमित शाह ने भी ऐलान किया कि 22 अगस्त से बीजेपी सूरत, वडोदरा, अहमदाबाद और मुंबई में रैलियां आयोजित करेगी। नवसारी से बीजेपी के सांसद चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल को बिहार चुनाव अभियान में अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने फोन पर बातचीत में हमें बताया कि बीजेपी गुजरात और मुंबई में रहने वाले अप्रवासी बिहारियों से संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि राज्य से बाहर रहने वाले बिहारियों को लुभाने की नीतीश कुमार की कोशिश कभी सफल नहीं हो सकती है। पाटिल ने आरोप लगाया कि बिहार के लोगों को लालू यादव और नीतीश की असफलताओं और उदासीनता के कारण ही राज्य छोड़कर बाहर जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि लोगों में रोष है। उन्होंने बिहार के अप्रवासियों द्वारा गुजरात में सफलता हासिल करने के उदाहरण देते हुए कहा कि केवल सूरत शहर में ही 3 लाख से ज्यादा बिहारी ना केवल घर की तरह रह रहे हैं, बल्कि उन्हें नौकरी और सफलता भी मिली है। उन्होंने यह भी कहा कि सूरत में कम-से-कम 50 बड़े मिलों के मालिक बिहारी अप्रवासी हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में सत्ता में आने के बाद जो परिवर्तन होगा उससे पूरा माहौल बदलेगा। निवेशकों को बिहार में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। जो अप्रवासी राज्य के बाहर सफल हैं, वह भी अपने राज्य में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। ह्यलोगों को पढ़ाई या नौकरी के लिए अपना घर छोड़कर कहीं और नहीं जाना पड़ेगा,ह्य पाटिल ने कहा। -एनबीटी से






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