सीवान में नए चेहरों से उड़ी भाजपा विधायकों की नींद
80 से ज्यादा लोग हैं दावेदारी की लाइन में
भाजपा में शामिल होने वालों की बढ़ी होड़
राजदेव रंजन.सीवान।
सीवान में भाजपा की मात्र तीन सीट खाली है, जहां पर वैकेंसी दिख रही है। इन क्षेत्रों में उम्मीदवरों की लम्बी फेहरस्ति है। अभी तक 80 लोग टिकट के लिए अप्लाई कर चुके हैं, पर सीट है आठ। इनमें भी पांच सीटों पर सीटिंग विधायक हैं। फिर भी दावेदारों को ऐसा लग रहा है कि पहले वाले विधायक का टिकट कटने वाला है। उन्हें ही टिकट मिलना तय है। शायद यही वजह है कि क्षेत्र में उनका दौरा भी तेज हो गया है। इन नेताओं के दावेदारी की वजह से सीटिंग विधायक भी कंफ्यूज हो गए हैं कि सक्रिय रहो नहीं तो टिकट कट जाएगा। क्षेत्र में उनकी सक्रियता भी दिख रही है। विभन्नि योजनाओं का ताबड़तोड़ शिलान्यास व उद्घाटन भी किया जा रहा है। सीवान में आठ विस क्षेत्र हैं, जहां पर पिछले चुनाव में सभी सीटों पर एनडीए की जीत हो गई थी। गठबंधन टूटने के बाद सीवान में पांच विधायक बीजेपी के हो गए हैं। तीन जदयू के खाते में चला गया। पिछले लोस चुनाव के क्रम में महाराजगंज में उपचुनाव में बीजेपी ने यह सीट छीन ली। सीवान में बीजेपी का पलड़ा भारी हो गया। बावजूद बीजेपी में शामिल होने की होड़ लगी है। यों कहें वैकेंसी है कम, लेकिन आवेदन पड़ रहे हैं अधिक। गोरेयाकोठी के बीजेपी के विधायक भूमेंद्र नारायण सिंह के निधन के बाद यह भी सीट खाली है। वैसे सीटिंग सीटों पर भी नए उम्मीदवारों की दावेदारी चल रही है। बड़हरिया व दरौंदा सीट की भी यही स्थिति है। पार्टी लेबल पर कोई चर्चा नहीं है, लेकिन स्थानीय स्तर पर दर्जनों नेता चुनाव लड़ने का मूड बना चुके हैं। सभी का कहना है कि जमीनी नेता होने के कारण उन्हें ही टिकट मिलेगा। भाजपा के पास दो ही सीट है जिसपर नए कैंडिडेट की तलाश करनी है। भाजपा जानती है कि जदयू विधायक श्याम बहादुर के खिलाफ सशक्त उम्मीदवार उतारना पड़ेगा तभी महागठबंधन के विजय को रोका जा सकता है। यही हाल दरौंदा में भी है। बहरहाल, दोनों क्षेत्रों से किसे टिकट मिलेगा यह कहना मुश्किल है, लेकिन अभी से ही टिकट के लिए घमासान जारी है। आठों विस क्षेत्रों पर पार्टी नेताओं ने टिकट के लिए दावेदारी ठोक दी है।
फिर आयातित कैंडिडेटों की मचेगी भगदड़
पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं को ऐसा लग रहा है कि बस टिकट मिलने भर की देर है। जीत तो होनी ही है। पार्टी में जिस तरह शामिल होने व टिकट पाने की होड़ मची है इससे पार्टी का नुकसान भी हो सकता है। पार्टी के पास वैकेंसी न के बराबर और दावेदारों की भरमार है। टिकट बंटने के बाद आयातित कैंडिडेटों में ऐसी भगदड़ मचेगी जो रोक पाना मुश्किल होगा।
पार्टी की लहर पर जीत
पार्टी की लहर पर जीतना चाहते हैं भाजपा विधायक: सीवान में आठ विस में छह पर भाजपा का कब्जा है। लेकिन एक दो को छोड़ सभी की हालत पतली है। वे जीत पाएंगे या नहीं खुद को शायद आश्वस्त नहीं हैं। उन्हें भरोसा है कि भाजपा की लहर व महागठबंधन के विरोधी वोटों के ध्रुवीकरण होने से जीत की नैया पार कर जाएगी। वैसे अबतक ए लोग वोटों के ध्रुवीकरण का ही लाभ लेते आ रहे हैं।
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