गंगा किनारे के जिलों का जल होगा आर्सेनिक मुक्त

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बिहार कथा. नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में राजनीतिक दलों ने सियासी जमीन को मजबूत करने की रणनीतियां तेज कर दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सूबे के विकास की योजनाओें को आगे बढ़ाने के लिए भारी भरकम पैकेज के ऐलान के बाद केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने जल एवं सिंचाई संबंधी योजनाओं का पिटारा खोलना शुरू कर दिया है। केंद्रीय जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने जहां बिहार की जनता को सूखे और बाढ़ की विभीषिका से राहत देने के लिए नेपाल के साथ संयुक्त रूप से सप्त-कोसी उच्च बांध के निर्माण को हरी झंडी दे दी है, वहीं सिंचाई और पीने के लिए उपयुक्त जल की समस्या से निपटने को योजना शुरू करने का ऐलान किया है। उमा भारती के अनुसार राज्य के कुछ इलाकोें के के लोग भूजल में आर्सेनिक जैसे जहरीले तत्वों के कारण दूषित जल पीने को मजबूर हैं। केंद्र सरकार ने बिहार की जनता को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए मेगा योजना शुरू की है और जल संसाधन मंत्रालय गंगा के किनारे पर बसे सभी जिलों को आर्सेनिक मुक्त कराने के लिए प्रतिबद्ध है। बिहार की गरमाती सियासत में उमा भारती ने खासकर दूषित भूजल के लिये केंद्र और राज्य में पूर्ववर्ती सरकारों को जिम्मेदार ठहराने में भी कोई संकोच नहीं किया। इस समस्या के निदान के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय भूमि जल बोर्ड की मदद से आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्र में ऐसे 28 गहरे नलकूप जिनका जल आर्सेनिक से प्रभावित नहीं है को तैयार करके स्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग को हस्तांितरित कर दिए हैं। मंत्रालय के अनुसार बिहार में बाढ़ और सूखे की विभीषिका को नियंत्रित करने के लिए नेपाल सरकार के साथ सप्त-कोसी उच्च बांध के निर्माण के लिए संयुक्त परियोजना शुरू करने का रास्ता साफ कर दिया गया है, इसका श्रेय उमा भारती प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देते नहीं थकती। मंत्रालय का दावा है कि सप्तकोसी उच्च बांध के निर्माण का काम पूरा होने के बार बिहार के 1.32 करोड़ लोगों को सूखे व बाढ़ जैसी विभीषिका से एक बड़ी राहत मिलेगी। वहीं यह परियोजना सूबे में 9.76 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई लाभ प्रदान करने के साथ ऊर्जा उत्पादन बढ़ायेगी तो बाढ़ नियंत्रण का भी सबब बनेगी।
चहुुंमुखी विकास की प्रतिबद्धता
uma bharatiकेंद्रीय मंत्री उमा भारती का कहना है कि राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए राज्य सरकार के प्रस्तारवित अंतर्राज्यीनय नदी जोड़ परियोजनाओं पर जल संसाधन मंत्रालय की संस्था राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण काफी तेजी से काम कर रही है और इस परियोजना का कोसी-मेदी और बूढ़ी-गंडक गंगा लिंक परियोजना की वृहद परियोजना तैयार कर ली है। इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन से बिहार सरकार के किसानों को लाभ होगा और लगभग 3.30 लाख हेक्टेयर वर्ग के किसान लाभान्वित होंगे। बूढ़ी गंडक नदी से 492 क्यूसेक का बाढ़ का खतरा कम होगा। इसके अलावा जल संसाधन मंत्रालय के अन्य सभी योजनाओं को भी केंद्र सरकार ने बिहार में तेजी से कवायद शुरू कर दी है।






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