Wednesday, July 29th, 2015
हाथी की मदमस्त चाल से दलित नेताओं में बेचैनी
पटना। बिहार की चुनावी राजनीति की सबसे बड़ी विशेषता प्राय: यह रही है कि यहां गैर बिहारियों को व्यक्तिगत रूप से चुनावी सफलता तो मिली है लेकिन दल के स्तर पर उन्हें सफलता नहीं मिलती है। मसलन उत्तर प्रदेश में राज करने वाली समाजवादी पार्टी अपने पड़ोसी राज बिहार में पहचान को मोहताज है। यह स्थिति तब है जबकि राष्ट्रीय स्तर जदयू-राजद के साथ उसका गठबंधन संभावित है। लेकिन इससे इतर मायावती की बहुजन समाज पार्टी है जिसने राज्य में अपना अहम स्थान मुकम्मिल कर लिया है। हालत तो यहRead More