समाजसेवा से मुंह मोड़ रही राजनीति

desh ka mood Bihar1.jpeg.psdसंजय सिहं, भागलपुर। पहले राजनीति को समाजसेवा का पर्याय समझा जाता था। लोग समाजसेवा के जरिए राजनीतिक गलियारों में पैठ बनाते थे। ए बड़े नेताओं के इर्द-गिर्द रह कर लोगों की छोटी-मोटी मदद करते थे। इसी से उनकी पहचान बनी थी। बाद में राजनीतिक रूप से सक्षम होने के बाद ए अपने खर्च से स्कूल, कॉलेज, धर्मशाला आदि के निर्माण की भी पहले करते थे। लेकिन, अब राजनीति समाजसेवा से मुंह मोड़ रही है। राजनीतिक गलियारे में जातिवाद और धनबल का बोलबाला हो गया है।
पूर्व बिहार के मुंगेर में तीन दिग्गज राजनीतिज्ञ हुए। उनमें से एक बनारसी सिंह मुंगेर के सांसद थे। इनके पुत्र राजेंद्र सिंह भी बिहार सरकार के मंत्री रह चुके थे। बनारसी सिंह ने अपने घर के समीप जमीन दान देकर स्वास्थ्य उपकेंद्र की स्थापना करवाई।
दूसरे राजनीतिज्ञ नरेंद्र सिंह थे। ये विधानसभा के सदस्य भी थे। इनके पुत्र शमशेर जंग बहादुर सिंह भी बिहार सरकार में मंत्री रहे। नरेंद्र सिंह ने अपने पिता हरि सिंह के नाम पर कॉलेज की स्थापना करवाई और शमशेर जंग बहादुर सिंह ने अपने पिता नरेंद्र सिंह के नाम पर कॉलेज खोला।
इसी तरह बिहार के मुख्यमंत्री जब श्रीकृष्ण सिंह थे। तब उनके मजबूत सिपहसलार नंद कुमार सिंह माने जाते थे। कांग्रेस की राजनीति में उनकी जबरदस्त पकड़ थी। आज इनके नाम पर भी मुंगेर में स्कूल खुला है। सैकड़ों छात्र यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। मुंगेर के विधायक रहे रामदेव सिंह यादव ने भी अपने नाम पर साइंस कॉलेज खोला।
उधर, जमुई के चकाई में भाजपा के भूतपूर्व विधायक फाल्गुनी यादव ने अपने कार्यकाल में अपने नाम पर कॉलेज खोल रखा था। इस उपेक्षित क्षेत्र में कॉलेज खुलना बड़ी बात है।
बांका में भी विधायक रहे पंडित वेणी शंकर शर्मा ने अपने पिता बलिराम शर्मा के नाम पर कॉलेज खोला था। इसी जिले के उपेक्षित प्रखंड शंभूगंज में राज्य सरकार के शिक्षा मंत्री रहे डॉ. दिवाकर सिंह ने अपने शहीद पिता शशि सिंह के नाम पर कॉलेज खोला।
कमोवेश यही हाल कोसी और सीमांचल का भी है। कोसी के सहरसा में भी अमरेंद्र मिश्र, डॉ. जगन्नाथ मिश्र, रमेश झा ने कहीं महिला कॉलेज तो कहीं विधि महाविद्यालय खोल कर अपने पूर्वजों की याद को जिंदा रखा। शिक्षा के विस्तार में इन नेताओं की इस इलाके में अहम भूमिका रही है।
सीमांचल के पूर्णिया में भी सूर्यनारायण यादव ने अपने तथा अपने पूर्वजों के नाम पर शिक्षण संस्थान की स्थापना कर मिसाल कायम की। कटिहार के विधायक रहे सीताराम चमरिया ने भी अपने जिले में अपने नाम पर कॉलेज की स्थापना की।
किशनगंज के वर्तमान सांसद मौलाना असरारुल हक कासमी ने महिलाओं की शिक्षा के लिए सीबीएसई पैटर्न पर मिल्ली गर्ल्स कॉलेज की स्थापना की है। किशनगंज के विधायक डॉ. जावेद आजाद के पिता मो. हुसैन आजाद की भी राजनीति में एक अलग हैसियत थी। उन्होंने विधायक रहते हुए किशनगंज क्षेत्र में स्कूल और कॉलेज की स्थापना की थी। लेकिन, पिछले दो दशकों से लगभग यह परंपरा लुप्त सी हो गई है। अब राजनीति जातिवाद और धनबल के पीछे भाग रही है। आम लोगों की बुनियादी समस्याओं को दूर करने के लिए राजनीतिज्ञ सरकारी योजनाओं पर आश्रित रहते हैं। पहले नेता अपनी संपत्ति दान कर अपने पूर्वजों के नाम पर निर्माण करवाते थे। अब नेता सरकारी धन से बनीं योजनाओं पर अपने पूर्वजों का नाम डलवाते हैं।from jagran.com






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