चुनाव होगा बिहार में, मालामाल होगा चीन

dragenअगर भारतीय कुटीर उद्योग इस चुनावी चुनौती को स्वीकार करने में समर्थ होता तो हमारी सरकार देश के हजारों करोड़ रुपए को चीन जाने से रोक सकती थी। अफसोस कि खरीदारी में सभी राजनीतिक पार्टियों के लोग शामिल हैं, लेकिन किसी ने इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाया। एक आकलन के अनुसार पिछले साल लोकसभा चुनाव में केवल बिहार में ही चीन निर्मित प्रचार सामग्रियों का बाजार एक हजार करोड़ रुपए को पार कर चुका था। इस बार विधानसभा चुनाव के लिए इन प्रचार सामग्रियों के स्टॉकिस्ट से लेकर वितरक तक तैयार बैठे हैं।

राजीव रंजन. पटना। अब इसे भारतीय लोकतंत्र की विडंबना कहें या फिर पड़ोसी देश चीन की औद्योगिक ताकत! लोकतंत्र का महापर्व (चुनाव) भले ही बिहार में मनाया जाए, लेकिन धनवर्षा तो चीन में ही होगी! दरअसल, राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही चीन निर्मित प्रचार सामग्रियों की मांग होने लगी है। सारा बाजार आॅनलाइन है। चीन में बनी ईवीएम की रेप्लिका से लेकर झंडे-बैनर तक मिलेंगे। व्यापारियों के मुताबिक एक हजार करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार की संभावना है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। आर्थिक उदारीकरण के इस दौर में प्राय: हर चुनाव में चीन निर्मित सस्ती प्रचार सामग्रियां राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लेकर संबंधित राज्यों के बाजारों में धड़ल्ले से बेची-खरीदी जाती हैं।
अभी बिहार में चुनाव होना है, लिहाजा बाजार यहां है। आश्चर्य की बात यह कि आॅनलाइन इन प्रचार सामग्रियों की मांग तब होगी, जब देश में ‘मेक इन इंडिया’ के नारे के साथ घरेलू उद्योग को नई दिशा देने की वकालत की जा रही है। अगर भारतीय कुटीर उद्योग इस चुनावी चुनौती को स्वीकार करने में समर्थ होता तो हमारी सरकार देश के हजारों करोड़ रुपए को चीन जाने से रोक सकती थी। अफसोस कि खरीदारी में सभी राजनीतिक पार्टियों के लोग शामिल हैं, लेकिन किसी ने इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाया। एक आकलन के अनुसार पिछले साल लोकसभा चुनाव में केवल बिहार में ही चीन निर्मित प्रचार सामग्रियों का बाजार एक हजार करोड़ रुपए को पार कर चुका था। इस बार विधानसभा चुनाव के लिए इन प्रचार सामग्रियों के स्टॉकिस्ट से लेकर वितरक तक तैयार बैठे हैं।
विभिन्न राजनीतिक पार्टियों से संपर्क साधे जाने लगे हैं। भाजपा का चुनाव चिह्न ‘कमल’ से लेकर जदयू का ‘तीर’, राजद का ‘लालटेन’, लोजपा का ‘बंगला’, कांग्रेस का ‘पंजा’ और रालोसपा का ‘पंखा’ तक चीन से आने वाला है। झंडे और बैनर तक की आपूर्ति के लिए चीनी व्यापारी आॅनलाइन डिमांड पूरी करने की गारंटी दे रहे हैं। सहूलियत इतनी कि कोई पार्टी या व्यक्ति चुनाव-चिह्न की तस्वीर ई-मेल से चीन के व्यापारियों को भेज दे, उधर से वे उन चुनाव चिह्नों से लैस 30 रुपए की कलाई घड़ी, 60 रुपए का छाता, बिंदी-चूड़ी से लेकर जाने क्या-कुछ चंद दिनों के भीतर आपके पते पर पहुंचा देंगे।-jagran.com






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