मुजफ्फरपुर में 25 जुलाई को बिहार विजय का शंखनाद करेंगे नरेंद्र मोदी

modi-narendraविशेष संवाददाता/मुजफ्फरपुर/पटना/नई दिल्ली। बिहार विधान परिषद के चुनाव में राजद-जदयू-कांग्रेस गठबंधन को करारी शिकस्त देने के बाद भाजपा के रणनीतिकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 25 तारीख की पटना और मुजफ्फरपुर की यात्रा में जुट गए हैं। पटना के ऐतिहासिक श्रीकृष्णमेमोरियल हॉल में नरेंद्र मोदी जहां खेती-किसानी विशेषज्ञों और खेतिहरों के साथ सीधा संवाद करेंगे, वहीं उसी दिन मुजफ्फरपुर की रैली से बिहार विधानसभा चुनाव का भाजपा की ओर से आगाज करेंगे। प्रधानमंत्री के दोनों कार्यक्रम रणनीतिक तौर पर बेहद सोच समझ कर रखे गए हैं। पटना में पहले किसानों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री बिहार के अर्थशास्त्र को खेती से जोड़ेंगे। उन्हें इस बात का भलीभांति इल्म है कि झारखंड अलग होने के बाद से बिहार की उर्वर धरती ही वहां की मूल थाती है। कई क्षेत्रों में तीन और चार फसली जमीन है। किसानों को आधुनिक खेती का गुर विशेषज्ञ बताएंगे। हो सकता है कि प्रधानमंत्री अपने संक्षिप्त भाषण में भूमि अधिग्रहण विधेयक पर स्थानीय किसानों की राय जाने। उन्हें अलग से कुछ समझाएं, बुझाएं। प्रधानमंत्री जब पटना का दौरा करेंगे तब संसद का मानसून सत्र 21 तारीख से शुरू हो चुका होगा। इसी संसदीय सत्र में भूमि अधिग्रहण विधेयक को पारित कराने की कोशिश भाजपानीत केंद्र शासित सरकार करेगी। प्रधानमंत्री यह जानते हैं कि बिहार के किसानों को उन्नत बीज, अच्छे खाद समय पर पानी मिल जाए तो फसल से लोगों का पेट तो भरेगा ही, ‘वोटों की फसल’ से भाजपा भी लहलहाएगी। लिहाजा, प्रधानमंत्री के साथ स्थानीय कुछ किसानों को मंच साझा करने का मौका मिलेगा। इसका सीधा असर किसानों के वोट बैंक पर होगा।
100 दिन में होगी एक लाख मीटिंग
प्रभारी अनंत कुमार ने  बताया कि प्रधानमंत्री की रैली के बाद 100 दिनों में एक लाख मीटिंग करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 160 अति आधुनिक संचार सुविधाओं से लैस रथ तैयार किया गया है। रथ के माध्यम से 243 विधानसभा सीटों के अंतर्गत आने वाले 800 गांवों में पार्टी के कार्यकर्ता सीधे संपर्क करेंगे। अनंत कुमार ने बताया कि राज्य में केवल भाजपा ही ऐसी पार्टी है जो अब तक सभी 62 हजार पोलिंग बूथों पर जाकर स्थानीय वोटरों से मिलने जुलने का काम कर रही है। हर बूथ पर 21 कार्यकर्ताओं की टीम बहाल की गई है।
पहली रैली के लिए मुजफ्फरपुर ही क्यों:
बिहार के दलित, महादलित, मुस्लिम और पिछड़े वोट बैंकों की गोलबंदी समय-समय पर अलग-अलग नेताओं के नाम पर होती रही है। जातीय समीकरण के आधार पर विधानसभा के चुनाव फिर से होंगे यह तय है। इसीलिए भाजपा के रणनीतिकारों ने प्रधानमंत्री की पहली आम सभा के लिए मुजफ्फरपुर का चुनाव किया। यहां से कैप्टन जयनारायण निषाद के पुत्र अजय निषाद भाजपा के टिकट पर जीते। जयनारायण निषाद जदयू की टिकट पर लड़े तो उन्हें एक लाख 95 हजार वोट मिले थे जब कि उनके बेटे को भाजपा 4 लाख 70 हजार वोट मिले। दोगुने से भी ज्यादा। इस सीट पर निषाद, मल्लाह वोटों की संख्या अच्छी खासी है। पिछड़े वोटों की गोलबंदी के लिए भाजपा के रणनीतिकारों ने अजय निषाद की सीट मुजफ्फरपुर को इसीलिए चुना।
एसपीजी ने अभी से संभाल लिया मोर्चा: रैली स्थान को अभी से एसपीजी ने अपने कब्जे में ले लिया है। 27 अक्टूबर 2013 को गांधी मैदान में रैली के दौरान हुए बम विस्फोट में पांच लोग मारे गए थे जब कि 100 से ज्यादा लोग हताहत हुए थे। यही कारण है कि प्रधानमंत्री के लिए चाकचौबंद सुरक्षा व्यवस्था राज्य और केंद्र की सुरक्षा एजेंसी मिलकर कर रही है।






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