तो क्या बंद हो जाएगी सासामुसा चीनी मिल!
गोपालगंज। आर्थिक संकट से जूझ रही सासामुसा चीनी मिल अब बंद हो सकती है. इससे पहले प्रतापपुर चीनी मिल आर्थिक संकट को नहीं ङोल पाई और 28 जून को बंद हो गई. अब सासामुसा चीनी मिल पर भी बंदी के संकट मंडराने लगे हैं. चीनी मिल प्रबंधन अपनी संपत्तियों को बेचने की फिराक में पड़ा है. खुफिया जानकारी मिलने के बाद डीएम कृष्ण मोहन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. डीएम ने एसडीओ रेयाज अहमद खां तथा जिला ईख पदाधिकारी उमेश सिंह के नेतृत्व में टीम का गठन कर पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है, ताकि सरकार को स्थिति से अवगत कराया जा सके. जानकार बताते हैं कि इस वर्ष प्रति क्विंटल चीनी बनाने में 3326 रुपए की लागत आई है. लेकिन, चीनी को मिल मात्र 2290 रु पए क्विंटल बेच रही है. प्रति क्विंटल 1036 रुपए का घाटा चीनी मिल को उठाना पड़ रहा है.
मिल में 665 कर्मी हैं कार्यरत : बता दें कि सासामुसा चीनी मिल पर गन्ना कास्तकारों का बकाया 1895.62 लाख की राशि है. किसानों को उनके गद्मो की परचियों का भुगतान नहीं मिल रहा है. मात्र एक लाख रुपए का भुगतान प्रतिदिन करने का दावा मिल प्रबंधन कर रहा है. लेकिन, किसानों की मानें, तो मात्र 50 हजार रुपए का भुगतान हो रहा है, जबकि 50 हजार रुपए का भुगतान मिल के कर्मी अपने चहेतों का करा रहे हैं. सबसे गंभीर मामला यह है कि सासामुसा चीनी मिल ने अगले सत्र की तैयारी भी शुरू नहीं की है. विष्णु शूगर मिल, गोपालगंज तथा भारत शूगर मिल, सिधवलिया अगले सत्र की तैयारी में हैं. सासामुसा चीनी मिल के क्षेत्र में 281 गांव रिजर्व तथा 231 गांव फ्री एरिया का है, जहां 1.79 लाख गन्ना किसान सासामुसा चीनी मिल पर निर्भर हैं. अगर चीनी मिल बंद होता है, तो इन किसानों के सामने भी आर्थिक संकट उत्पन्न हो जाएगा. इसके साथ ही चीनी मिल में काम करनेवाले लगभग 665 कर्मी बेरोजगार हो जाएंगे.
चीनी मिल के जीएम जमालुद्दीन का कहना है कि कुछ लोगों के द्वारा चीनी मिल बंद होने की बात को अफवाह बनाया जा रहा है. हम प्रति दिन एक लाख रुपए की परचियों का भुगतान कर रहे हैं. चीनी मिल के बंद होने की बात मैनेजमेंट को भी पता नहीं है. वहीं जिलाधिकारी कृष्ण मोहन का कहना है कि सासामुसा चीनी मिल के द्वारा संपत्तियों को बेच कर समेटने तथा मिल को बंद करने की सूचना मिली है. इसकी जांच के लिए टीम गठित की गई है.
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