मांझी का दावा-लालू ने दिया समर्थन का आॅफर, शरद को अब भी राजद पर भरोसा

janta-parivar-lalu-mulayam-sharad-bihar electionनई दिल्ली। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले गठजोड़ को लेकर चल रही उठापटक के बीच जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने कहा है कि आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस मिलकर मैदान में उतरेंगे। उन्होंने कहा कि हम सब एक साथ आकर बीजेपी को चुनौती देंगे। लेकिन शरद यादव का बयान आने के बाद कांग्रेस ने साफ किया है कि अभी तक पार्टी ने गठबंधन को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने गुरुवार को बिहार के गया में बयान दिया है कि उन्हें लालू की पार्टी आरजेडी से समर्थन का आॅफर मिला है। शरद यादव के मुताबिक एकजुटता वक्त की जरूरत है। शरद ने कहा कि उन्हें अब भी इस बात का यकीन है कि आरजेडी और जेडीयू मिलकर चुनाव लड़ेंगी। हालांकि यादव ने कहा, ह्ययह तय है कि गठबंधन होगा और हम साथ चुनाव लड़ेंगे, लेकिन इसकी कोई तारीख बताना फिलहाल संभव नहीं है। यादव ने ए भी कहा कि कुछ चीजों को मीडिया के सामने बताना संभव नहीं है। यादव ने सीएम उम्मीदवार के बारे में आरजेडी के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह के बयान पर भी कुछ कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, मैं किसी के बयान पर बयान देना पसंद नहीं करता। शरद यादव की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब एक दिन पहले ही राजद प्रमुख लालू प्रसाद की ओर से भेजे गए दूत भोला यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच बैठक हो चुकी है। दूसरी तरफ, नीतीश कुमार पार्टी विधायकों और सांसदों के साथ बैठक कर अपनी पार्टी की चुनावी तैयारियों की समीक्षा के साथ-साथ लालू के साथ गठबंधन पर राय ले रहे हैं। माना जाता है कि मई के शुरुआती दिनों में आरजेडी-जेडीयू के बीच यह तय हुआ था कि दोनों दल 100-100 विधानसभा सीटों पर लड़ेंगे। बची हुई 43 सीटें कांग्रेस और भाकपा के साथ गठजोड़ होने पर उनके लिए छोड़ दी जाएंगी। यह भी तय हुआ था कि नीतीश ही सीएम कैंडिडेट होंगे और बिहार में जनता परिवार की ईकाई का कन्वीनर लालू प्रसाद को बनाया जाएगा।
किस बात पर गहराए थे मतभेद?
– अप्रैल में शुरुआती बातचीत के बाद आरजेडी ने संदेश भिजवाया था कि अगर चुनाव से पहले ही गठबंधन हो रहा है तो वह कम से कम 145 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। जेडीयू ने यह मांग नामंजूर कर दी। नीतीश कुमार ने तंज कसते हुए यह तक कहा कि ह्यऐसा है तो आरजेडी सभी 243 सीटों पर ही चुनाव लड़ ले।
– जेडीयू जहां इस बात पर अड़ी थी कि उसने 2010 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें जीती थीं, वहीं आरजेडी का कहना है कि लोकसभा चुनाव में जेडीयू की स्थिति इतनी कमजोर हो गई थी कि उसे 2 ही सीटें मिलीं। जबकि आरजेडी 4 सीटें ले आई। लिहाजा, उसे ज्यादा सीटें लड़ने दी जाएं।
– नीतीश को सीएम कैंडिडेट के तौर पर प्रोजेक्ट करने को लेकर भी लालू असहज बताए जाते हैं। दोनों के बीच गहराते मतभेद का फायदा उठाते हुए कांग्रेस ने संकेत दिए थे कि वह नीतीश को समर्थन दे सकती है। दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस राज्य में अकेले मैदान में थी। उसने सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन 4 ही सीटें मिली थीं।
किस तरफ जाएंगे मांझी?
jeetan ram majhi– हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा बना चुके मांझी ने पिछले दिनों यह शर्त रखी थी कि अगर लालू उन्हें सीएम कैंडिडेट घोषित करें और नीतीश को गठबंधन से दूर रखें तो वे मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार हैं। हालांकि, कुछ दिन पहले उन्होंने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर संकेत दिए कि वे किसी भी तरफ जा सकते हैं।
– 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को 25% महादलित वोट का साथ मिला था। मांझी की इसमें बड़ी भूमिका थी। वे मुसहर जाति से आते हैं। इस जाति के वोटर गया, जहानाबाद, खगड़िया, सुपौल, अररिया की करीब 30 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। शाहाबाद और चम्पारण की दर्जनभर सीटों पर भी इस जाति के वोटरों का असर है। from dainikbhaskar.com






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