बिहार में 20 लाख युवा, कौशल प्रशिक्षण हवा में
संजय त्रिपाठी.पटना
प्रदेश में एक वर्ष में 20 लाख युवकों को कौशल प्रशिक्षण देने की घोषणा हवा हवाई साबित हो रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के बावजूद आलम यह है कि कई विभागों में कौशल विकास का परिणाम सिफर आया है। एक वर्ष में 20 लाख लोगों को कौशल प्रशिक्षण तो दूर, पांच लाख को भी कौशल प्रशिक्षण नहीं मिल पाया है। मालूम हो, मुख्यमंत्री ने 10 सितम्बर 2013 को बिहार राज्य कौशल विकास मिशन की बैठक में कहा था कि वर्ष 2013-14 से वर्ष 2017-18 के बीच राज्य के एक करोड़ युवकों का कौशल विकास कर उनकी आमदनी को बढ़Þाया जाएगा। राज्य सरकार ने पांच वर्षो में प्रदेश के एक करोड़ युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने का लक्ष्य निर्धारित किया यानी हर वर्ष 20 लाख लोगों को कौशल प्रशिक्षण दिया जाना था। लेकिन आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2013-14 में 455197 लोगों को ही कौशलयुक्त किया गया। इसी तरह वर्ष 2014-15 में 469576 युवकों को सरकार प्रशिक्षित कर पाई। सूबे में दो वर्षो में 40 लाख लोगों को प्रशिक्षण दिए जाने का लक्ष्य था, लेकिन 10 लाख से भी कम लोगों को कौशल प्रशिक्षण दिया गया। राष्ट्रीय सहारा के पास उपलब्ध सरकारी आंकड़े में स्वास्य विभाग ने दो वर्षो में शून्य प्रशिक्षण किया है जबकि उसे लक्ष्य के मुताबिक 43 हजार लोगों को प्रशिक्षित करना था। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद कौशल प्रशिक्षण के लिए सभी विभागों को लक्ष्य दिया गया था। स्वास्य विभाग को वर्ष 2013-14 में 20000 लोगों को कौशल प्रशिक्षण करना था लेकिन इस विभाग ने एक भी युवक को प्रशिक्षण नहीं दिया। यही हाल वर्ष 2014-15 में रहा। विभाग का परिणाम सिफर रहा। अनुसूचित जाति व अनुसूचित जन जाति कल्याण विभाग को भी वर्ष 2014-15 में 1.40 लाख लोगों को प्रशिक्षण देना था लेकिन इस विभाग ने एक व्यक्ति को भी प्रशिक्षण नहीं दिया। विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग को वर्ष 2013-14 में 50 हजार तथा वर्ष 2014-15 में 56 हजार लोगों को कौशल प्रशिक्षण देने का लक्ष्य दिया गया था लेकिन विभाग ने पहले वर्ष में मात्र 700 लोगों व दूसरे वर्ष (2014-15) एक भी व्यक्ति को प्रशिक्षण नहीं दिया। ऐसे में नीतीश सरकार का प्रति वर्ष 20 लाख लोगों को कौशलयुक्त करने का लक्ष्य कैसे प्राप्त होगा। बिहार में 600 प्रशिक्षण देने वाली संस्थाएं हैं, जबकि राज्य में इसकी जरूरत तीन हजार से ऊपर की है। ज्ञात हो कि देश में हुनरमंद लोगों की संख्या अन्य देशों की तुलना में काफी कम है। जानकारी के मुताबिक जहां दक्षिण कोरिया में 96 फीसद, जापान में 84 फीसद लोग हुनरमंद हैं वहीं भारत में कौशलयुक्त लोगों की संख्या 2-3 प्रतिशत ही है। केन्द्र ने वर्ष 2022 तक देश के 50 करोड़ लोगों को कौशलयुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य के आधार पर ही स्किल्ड इंडिया का अभियान चल रहा है लेकिन प्रदेश में कौशल प्रशिक्षण की रफ्तार को देखते हुए स्किल्ड इंडिया की हवा भी निकलती जान पड़ रही है। हालांकि राज्य सरकार ने कौशल प्रशिक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं। प्रशिक्षण के लिए दो अनुभवी कंपनियों से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी किए गए हैं।-from rastriya sahara
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