बिहार में जीत के लिए आकांक्षी वर्ग पर टिकी भाजपा की उम्मीदें
नई दिल्ली। भाजपा आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के लिए राज्य के आकांक्षी वर्ग पर निर्भर कर रही है क्योंकि उसे लगता है कि यह वर्ग ‘दुश्मन से दोस्त बने’ लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के गठबंधन को स्वीकार नहीं करेगा। इस साल के आखिर में होने वाले बेहद महत्वपूर्ण बिहार विधानसभा चुनाव पर निगाहें होने के साथ भाजपा को अपनी जीत का भरोसा है और उसने महादलित नेता एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को शामिल कर अपना गठबंधन मजबूत करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कल मांझी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिले थे और भाजपा को मजबूती प्रदान करते हुए बिहार चुनाव राजग के ‘अहम हिस्से’ के रूप में लड़ने की घोषणा की थी। शाह 21 जून को बिहार का दौरा करेंगे और प्रदेश भाजपा के नेताओं के साथ चर्चा करेंगे। वह वहां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के समारोह में भी हिस्सा लेंगे। भाजपा अपनी सहयोगी पार्टियों के साथ सीटों के बंटवारे पर भी चर्चा शुरू कर चुकी है। भाजपा के महासचिव और बिहार मामलों के प्रभारी भूपेंद्र यादव ने लोजपा नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के साथ चर्चा की है। यादव ने कल पासवान से उनके घर पर मुलाकात की थी और लालू-नीतीश गठबंधन को हराने के लिए आगे की रणनीति एवं लोजपा के साथ सीटों के बंटवारे पर चर्चा की। शाह उपेंद्र कुशवाहा से भी उनके घर पर मिले जिनकी आरएलएसपी बिहार में भाजपा की सहयोगी पार्टी है। दोनों ने चुनावी रणनीति पर चर्चा की। भाजपा को लगता है कि लालू और नीतीश का साथ आना यह दिखाता है कि राज्य में भाजपा की बढ़ती मजबूती से जनता परिवार के नेता ‘परेशान’ हैं और बिहार की जनता के फैसले से यह बात साबित हो जाएगी। या है। इसी बीच पार्टी ने केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार को बिहार चुनाव का प्रभारी और बिहार मेें पार्टी मामलों के पूर्व प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को चुनाव सह प्रभारी बना
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