नए दोस्त बनाने निकली भाजपा के गले पड़ी मुश्किल
पटना। बिहार की कुल 243 सीटों में से राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) 40 सीटें मांग रही है। आरएलएसपी चीफ और केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी को बिहार में सामूहिक नेतृत्व प्रॉजेक्ट करने की सलाह दी है। इसके साथ ही उन्होंने चुनावी कैंपेन जल्दी शुरू कर आरजेडी और जेडी(यू) गठबंधन को घेरने की बात कही है। बिहार में आरजेडी, जेडी(यू) और कांग्रेस के साथ आने के बाद रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी पर दबाव बढ़Þा दिया है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस गठबंधन से बीजेपी के ए दोनों सहयोगी दल खुश हैं क्योंकि इस बुनियाद पर वे अपनी मांगे मनवाने के लिए दबाव की राजनीति खेल सकते हैं। बीजेपी को पहले लग रहा था कि लालू और नीतीश में समझौता नहीं होगा। लेकिन समझौता होते ही उपेंद्र कुशवाहा ने बयान दिया कि अब एनडीए की लिए बिहार में लड़ाई मुश्किल हो गई है।
कुशवाहा ने बीजेपी चीफ अमित शाह से अपना विचार साझा किया है। उन्होंने गुरुवार को शाह से मुलाकात की थी। कुशवाहा ने शाह से यह भी कहा कि बीजेपी को बिहार में सितंबर-अक्टूबर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन को प्रमुखता के पेश करना चाहिए। बिहार में बीजेपी की सहयोगी रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी भी है। आरएलएसपी के पास तीन लोकसभा सीटें हैं और एलजेपी के पास 6 सीटें हैं। बीजेपी के सीनियर नेता धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव इन सभी मसलों को देख रहे हैं। शाह के साथ मीटिंग में ए दोनों नेता भी मौजूद थे। लोकसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद से बीजेपी बिहार में मजबूत स्थिति में थी और वह अपने सहयोगी दलों के दबाव को एक झटके में किनारे कर सकती थी। लेकिन नीतीश और लालू के साथ आने से पूरा खेल बदल गया है। बीजेपी के दोनों सहयोगी अब अपने हिसाब से डील के लिए दबाव बनाने की स्थिति में हैं। बिहार में चुनावी नतीजे अलग-अलग जातीय समूहों के साथ समझौते पर काफी निर्भर करते हैं। दलितों में पासवान और ओबीसी में कोयरी जाति को साधने के लिए कुशवाहा और रामविलास पासवान बीजेपी के लिए मजबूरी हैं।
उपेंद्र कुशवाहा की 40 सीटों की मांग बीजेपी कबूल नहीं करेगी। लेकिन तीन लोकसभा सीटों के हिसाब से देखा जाए तो इनके हिस्से 18 सीटें आएंगी। सूत्रों के मुताबिक पासवान ने बीजेपी से 80 सीटों की मांग रखी है। लोकसभा सीटों की संख्या के आधार पर पासवान के हिस्से में 36 सीटें आएंगी। जाहिर है ऐसी स्थिति में बीजेपी के दोनों सहयोगी दल ऊंची मांग रखेंगे। दूसरी तरफ बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी बीजेपी के सामने 50 सीटों की मांग रखी है।
बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व बिहार में सीएम कैंडिडेट घोषित करने के पक्ष में नहीं है। हालांकि बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का नाम प्रमुखता से अनाधिकारिक तौर पर उछल रहा है। बीजेपी की मौजूदगी ऊंची जातियों में ज्यादा मजबूत है लेकिन सुशील कुमार मोदी पिछड़ी जाति बनिया से ताल्लुक रखते हैं। बीजेपी को डर है कि पिछड़ी जाति के सीएम कैंडिडेट उतारने से बिहार में ऊंची जातियों का उत्साह ठंडा पड़ सकता है। बीजेपी को लगता है कि यदि सीएम कैंडिडेट घोषित नहीं किया गया तो उसकी रणनीति बिहार में ज्यादा कामयाब रहेगी। -नवभारतटाइम्स.कॉम
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