यातना सहकर पंजाब में हरितक्रांति के लिए बिहार से पलायन
ट्रेन यात्रा: जनसेवा का सफर किसी यातना से कम नहीं
रंजीत.सहरसा।
पंजाब में धान रोपनी के लिए शुरू हुए पलायन से अमृतसर जाने वाली जनसेवा एक्सप्रेस में जगह छोटी पड़ गई है। परिवार और खुद की भूख मिटाने की खातिर पिछले चार दिनों से जनसेवा में क्षमता से पांच गुना अधिक मजदूर यात्री ठंसकर सफर करने को मजबूर हैं। सभी बाईस बोगियों में 10 हजार से अधिक मजदूर यात्रियों की भीड़ से रेलवे को राजस्व सिर्फ एक दिन में 28 लाख के पार पहुंच गया है। वहीं चार दिनों में रेलवे को टिकट बिक्री से करीब एक करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है। चार दिनों में सहरसा, सुपौल, मधेपुरा और बनमनखी स्टेशन पर करीब 40 हजार से अधिक यात्रियों के टिकट बिक्री से राजस्व में वृद्धि हुई है।
बावजूद स्पेशल ट्रेन नहीं चलाए जाने से आग उगल रही गर्मी में 1450 किमी का अमृतसर का सफर किसी यातना से कम नहीं कटता। जान की परवाह किए बिना मजदूर यात्री पायदान में कपड़ा बांध बैठकर लंबी दूरी का सफर करने का जोखिम उठा रहे हैं। पसीने से तरबतर यात्री सीट पर एक दूसरे से चिपककर, खड़े-खड़े और शौचालय में भरकर सफर करने को विवश हैं। जगह नहीं मिलने के कारण प्यास मिटाने को पानी लेने यात्री बोगी से बाहर प्लेटफार्म पर उतर नहीं पाते। दैनिक यात्रियों ने ट्रेन की इस दुर्दशा को देखकर फिलहाल इससे सफर करना ही छोड़ दिया है। जगह की कमी से हर रोज 1500 से 2000 यात्री सहरसा स्टेशन पर ही छूट जाते हैं। बावजूद इसके रेल प्रशासन द्वारा स्पेशल ट्रेन नहीं चलाई जा रही है।
एक माह तक जारी रहेगा मजदूरों का पलायन:
पंजाब में धान रोपनी का समय एक माह तक रहने के कारण पलायन जारी रहेगा। कपड़े का झूला तैयार कर बैठे भटिंडा में धान रोपनी को जा रहे मजदूर यात्री फारबिसगंज निवासी अमरजीत कुमार ने कहा कि पेट की खातिर यह कष्ट उठाना पड़ेगा ही। मधेपुरा के सुखासनी गांव निवासी कैलाश साह और फारबिसगंज के ब्रह्मदेव ने कहा कि लुधियाना और भटिंडा में एक माह तक धान रोपनी कर एक बीघा का 2500 रुपए की दर से कमा लेंगे। तटबंध के अंदर लालगंज निवासी मुसहरू सादा ने कहा कि मनरेगा में बहुत दिन बाद काम भी मिला तो भुगतान नहीं हुआ। यहां बता दें कि कोसी क्षेत्र में उद्योग धंधे का नहीं रहना और मनरेगा में व्याप्त लूटखसोट व भुगतान का नहीं होना भी पलायन बढ़Þा रहा है। सहरसा में वर्ष 2013-14 और 2014-15 का मनरेगा मजदूरी भुगतान करीब 26 करोड़ का लंबित है।
एक लाख का टिकट वापस:
भीड़ की वजह से 9 जून को करीब एक लाख रुपए का टिकट सहरसा रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटरों पर वापस किया गया। वहीं 8 जून को 41 हजार रुपए का टिकट वापस किया गया था। मजदूरों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए डीसीआई रमण झा और पुलिस बलों को काफी मशक्कत झेलनी पड़ी।
समस्या
-चार दिन में कटा एक करोड़ का टिकट बावजूद स्पेशल ट्रेन नहीं
-क्षमता से पांच गुना अधिक यात्री जनसेवा में ठंसकर सफर करने को मजबूर
-जनसेवा एक्सप्रेस का सफर इन दिनों यातना से कम नहीं
-सभी 22 बोगियों में जगह पड़ी छोटी, 1450 किमी सफर करना पड़ रहा बैठकर व खड़े-खड़े
सिर्फ एक ट्रेन का प्रतिदिन का राजस्व पहुंचा 28 लाख के पार, बावजूद नहीं चलाई जा रही स्पेशल ट्रेन
टिकट बिक्री
दिनांक यात्री राशि
5 जून: 13 हजार 26 लाख
6 जून: 10 हजार 19 लाख
7 जून: 14 हजार 30 लाख
8 जून: 13.5 हजार 26.5 लाख cutsy from Livehindustan.com
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