बिहार में सात लाख बच्चे समेत कुल 23 लाख लोग विकलांग

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प्रदेशके ग्रामीण इलाकों में भारी संख्या में बच्चे विकलांग
पटना। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में कुल 23 लाख 31 हजार 900 विकलांग हैं। इसमें 13 लाख 43 हजार100 पुरुष और 9 लाख 87 हजार 909 महिलाएं हैं। कुल विकलांगों में करीब 7 लाख 17 हजार 505 बच्चे जनगणना के दौरान 14 साल से कम उम्र के थे। इन बच्चों में तीन लाख 88 हजार 939 पुरुष और तीन लाख 28 हजार 546 लड़कियां थी, जबकि 15 से 59 साल के उम्र के लोगों की संख्या 12 लाख 71 हजार 354 थी। प्रदेशभरमें देखने में अक्षम कुल एक लाख 81 हजार बच्चों में एक लाख 60 हजार 959 बच्चे ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। इसमें सुनने में एक लाख 70 हजार 933, बोलने में 48 हजार 553, चलने में 67 हजार 67, मानसिक रूप से कमजोर 23 हजार आठ सौ 69, मानसिक रूप से बीमार छह हजार 614 और 31 हजार 326 बच्चे कई प्रकार की विकलांगता से पीड़ित हैं।
देश का हालत चिंताजनक
रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में कुल 2करोड़ 68 लाख 14 हजार 994 लोग विकालांगता के शिकार हैं। इसमें ग्रामीण इलाके की संख्या 1करोड़ 86लाख 36 हजार 358 हैं। विकलांगता के शिकार लोगों में देशभर में 18 साल से कम उम्र की संख्या 55 लाख 72 हजार 336 हैं। इसमें देखने में 50लाख 33 हजार 431, सुनने में 50लाख 72 हजार 914, बोलने में 19 लाख 98हजार 692, चलने में 54 लाख 36हजार 826, मानसिक रूप से कमजोर 15लाख 5 हजार 964, मानसिक रूप से बीमार 7 लाख 22 हजार 880 और एक साथ कई प्रकार के विकलांगता के शिकार 21लाख 16 हजार 698 हैं।
देशभर के ग्रामीण इलाके में 40लाख बच्चे विकलांग
रिपोटर् के दौरान देश के ग्रामीण इलाकों में 40 लाख 02 हजार 635 बच्चे विकलांगता के शिकार थे। इनमें देखने में 7 लाख 33हजार 454 बच्चों को परेशानी आती है।
विकलांगों की शादी में परेशानी
रिपोर्टके मुताबिक प्रदेश भर में विकलांगों की शादी में भी परेशानी आती है। इसके मुताबिक 15 से 59 साल की उम्र में तीन लाख 54 हजार 140 लोग शादीशुदा नहीं हैं जबकि नौ हजार 405 लोग ऐसे हैं जो 60 साल से ज्यादा के हैं। शादी नहीं होने वाले मामलों में सबसे ज्यादा 63 हजार 48 दृष्टिबाधित लोग हैं।
कुल 87 प्रतिशत विकलांग गांवों में
सबसे चौकानें वाला आंकड़ा बिहार के गांवों का है। प्रदेश में करीब 23 लाख विकलांगों में 20 लाख 46 हजार 351 लोग हैं। इसमें 11लाख 80 हजार 813 पुरुष और आठ लाख 65हजार 548 महिलाएं हैं। विकलांगता के शिकार लोगों में 18 साल से कम उम्र के छह लाख 40 हजार 111 बच्चे हैं, जबकि 15 से 59 साल के बीच के लोगों की संख्या 11 लाख 210 लोग हैं। प्रदेशभर के कुल दृष्टि बाधित में चार लाख 80 हजार 118 लोग ग्रामीण इलाकों में है। सुनने में चार लाख 97 हजार 756 , बोलने में एक लाख 50 हजार 197, चलने में तीन लाख 30 हजार 394 , मानसिक रूप से कमजोर 78 हजार 520, मानसिक रूप से बीमार 32 हजार 651 और कई तरीके के विकलांगता से पीड़ित 98 हजार 594 लोग हैं।
देखने -सुनने में अक्षम सबसे ज्यादा
प्रदेशभरमें 18 साल से कम उम्र के विकलांग बच्चों में सबसे ज्यादा देखने और सुनने में अक्षम हैं। इसके मुताबिक एक लाख 81 हजार 430 बच्चें देखने में अक्षम हैं। इसमें 94 हजार 959 लड़के और 86 हजार 471 लड़कियां शामिल हैं। जबकि सुनने में अक्षम बच्चों की संख्या एक लाख 92 हजार 610 है। इसके अलावा 54 हजार 162 बच्चे बोलने में, 73 हजार 956 बच्चे चलने में, 26 हजार 663 बच्चे मानसिक रूप से कमजोर, सात हजार 368 मानसिक रुप से बीमार, 34 हजार 826 बच्चे ऐसे हैं जो कई तरीके की विकलांगता से जूझ रहे हैं।
बिहार  में विकलांगता को लेकर अंधापन नियंत्रण से लेकर राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन, पोलियो उन्मूलन समेत कई कार्यक्रमों पर करोड़ों रुपएा खर्च किया जाता है। इसके बावजूद देश में कुल 40 लाख 02हजार 635 विकलांग बच्चों में करीब 18 फीसदी से ज्यादा सात लाख बिहार में हैं। इसमें सबसे ज्यादा देखने और सुनने में अक्षम हैं। जबकि प्रदेश के विकलांगों में करीब 87 फीसदी से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में रहने वाले है। यह आंकड़े प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोलने के लिए भी काफी है। यह चौकानें वाला खुलासा हाल में रजिस्ट्रार जनरल आॅफ इंडिया के जारी आंकड़ों से हुआ है। साल 2011 में हुई जनगणना के आधार पर इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है।






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