गोपालगंज : 12वीं पास महंत के आगे 12वीं पास आदित्य बाबा का कठिन मुकाबला
आदित्य नारायण के घर ठंडा पीकर आदित्य बाबा का गुणगान करने वाले कार्यकर्ता फिलहाल इनके जीत का जितनी आसानी से यह दावा कर रहे हैं, संन्यासी महंत के आगे इनकी राह इतनी भी आसान नहीं होगी।
बिहार कथा
गोपालगंज। बिहार विधानपरिषद चुनाव को लेकर गोपालगंज में सरदर्गी तेज हो गई है। गोपालगंज से भाजपा के आदित्य नारायण पांडे ने कार्यकर्ताओं के हुजूम पार्टी के दिग्गजों के साथ शक्ति प्रदर्शन करते हुए मंगलवार को नामांकन किया। वे पिछले कई महीने से इस चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं। राज्य स्तर के नेताओं के साथ लॉबिंग के साथ क्षेत्र के प्रभावशाली लोगों को लुभाने की हर संभव कोशिश में थे। मगघ विश्वविद्यालय के कामर्स कॉलेज पटना से आईकॉम पास आदित्य नारायण को पार्टी आलाकामान ने उन्हें टिकट देने का पहले ही संकेत भी दे दिया था। जीत के जुगाड़ के लिए नामांकन से पहले उन्होंने गोपालगंज में एक साथ सभी पंचायत के मुखिया सरपंच और वार्ड सदस्यों के लिए भोज कार्यक्रम पर अच्छी खासी रकम खर्च की। लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि उनका यह दांव इसलिए उल्टा पड़ा क्योंकि कई वार्ड सदस्य इस भोज में शामिल नहीं हो पाए, वे नाराज हो गए। वहीं जिले के भाजपा के एक अन्य सक्रिय कार्यकर्ता बताते हैं कि आदित्य नारायण के पिछले दो चुनाव में हार के अनुभव इस चुनाव में काम आएगा। वहीं राजद प्रत्याशी के पास इस तरह के अनुभव की कमी है। विजयीपुर के एक पंचायत पदाधिकारी कहते हैं कि नामांकन से पहले ही आदित्य बाबा ने हर वार्ड सदस्य को चार चार हजार रुपए भिजवा दिया है, बाकी की किस्त बाद में आएगी, लेकिन दूसरी ओर महंत जी की ओर से सप्रेम की डायरी आई हुई है। हालांकि राजद-जदयू-कांग्रेस गठबंधन के कारण इस चुनाव में आदित्य नारायण पांडे महंत जी से कांटे के मुकाबले में हैं। हालांकि भाजपा में एक वर्ग ऐसा भी है जो भले ही आदित्य न ारायण पांडे के साथ दिखता है, लेकिन अंदर ही अंदर इन्हें नापसंद करता है। लेकिन यह मजबूरी है कि वे खुलकर कुछ बोलते नहीं है। इस संभावन से इनकार नहीं किया जा सकता है कि एक खास जाति विशेष का यह गुट आदित्य नारायण को अंदर ही अंदर चोट पहुंचाएगा। हालांकि नामांकन में दौरान आदित्य नारायण पांडे का जबरजस्त शक्ति प्रदर्शन दिखा।
ज्ञात हो कि आदित्यनारायण पांडे पहले राजद में थे। 2010 में 102 कुचायकोट विधानसभा चुनाव मैदान में थे। लेकिन जदयू के अमरेंद्र पांडे से शिकस्त खा गए। 19518 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे। कुचायकोट में करारी हार के बाद भी आदित्य नारायण पांडे का सियासी प्रेम खत्म नहीं हुआ। उन्होंने सियासी हवा का रुख भांप कर भाजपा का दामन थाम लिया।
भले ही भाजपा में वे नये नवेले हों, लेकिन रुपए की रसूख से गोपालगंज जिला भाजपा में इनका कद बिना पद का ही बढ़ता गया। दबी जुबान में आपसी चर्चा में ही पार्टी के पुराने सदस्य इनके खिलाफ की बात करते हैं, लेकिन सामने में कोई नहीं बोलता है। जानकार कहते हैं कि भले ही ये गोपालगंज के हैं, लेकिन इनकी असली कर्मभूमि झारखंड में है। झारखंड में ही ठेकेदारी में इन्होंने अकूत संपत्ति बनाई है। बेंगलुरु में फ्लैट है, झारखंड में खेती की जमीन है। चुनाव से पहले करीब एक साल से महीने में करीब एक से दो बार गोपालगंज दौरा होता रहा है। जब गोपालगंज मेंहोते हैं तो जिला स्तर के पार्टी कार्यकर्ता इनके यहां हाजिरी लगाने पहुंचते रहे हैं। यही नहीं पार्टी की बैठकें भी इनके घर में आयोजित होती है। हालांकि यह बात पुराने कार्यकर्ताओं को बुरी लगती है। भाजपा के प्रदेश कार्य समिति के सदस्य व भाजपा के पुराने कार्यकता विनोद कुमार सिंह कहते
हैं कि यह भाजपा की परंपरा रही है कि पार्टी की बैठकें किसी न किसी कार्यकर्ता के घर पर हो। लेकिन वहीं दूसरी ओर पार्टी के एक अन्य पदाधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं कि पार्टी की राजनीति में सब कुछ पैसा बोलता है। आदित्य बाबा के पास पैसा है, इसलिए कोई खुल कर नहीं बोल पाता है। नहीं तो इनके पुराने कार्यकर्ता गोपालगंज में हैं जिन्हें टिक्ट देकर मौका देना चाहिए था। तो दबी जुबान से भाजपा के कुछ समर्पित कार्यकर्ता आदित्यनाराण को अवसरवादी कहने से भी नहीं चूकते हैं। लेकिन उनके अवसरवाद की खिलाफ कोई नहीं कर सकता है। जिला स्तर के ही संघ के एक सक्रिय कार्यकर्ता ने बताया कि एक आपसी बातचीत के दौरान कुछ दिन पहले आदित्य नारायण पांडे का दर्द फूट पड़ा था। कह रहे थे कि पार्टी का हर नेता की नजर उनकी जेब पर होती है। किसी न किसी बहाने से रुपया खर्च कराने में लगे रहते हैं। खर्च करते करते परेशान हो चुके हैं। यही नहीं पिछले दिनों तो उनके दौरे में देरी की वजह भी यही रही कि आते ही पार्टी के कार्यकर्ता उन्हें घेर कर किसी न किसी बहाने खर्च कराएंगे। बीते दिनों जब गोपालगंज भीषण की चपेट में रहा, तब कई भाजपा कार्यकर्ता इनके आवासीय दरबार में आराम और राहत के लिए चक्कर लगा रहे थे। कहते हैं कि दोपहर में बड़ी गर्मी हैं, चलो आदित्य बाबा के यहां ठंडा पीते हैं।
आदित्य नारायण के घर ठंडा पीकर आदित्य बाबा का गुणगान करने वाले कार्यकर्ता फिलहाल इनके जीत का जितनी आसानी से यह दावा कर रहे हैं लेकिन संन्यासी महंत के आगे इनकी राह इतनी भी आसान नहीं होगी।
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