पटना. हाईकोर्ट ने 40 हजार फर्जी पंचायत, प्रखंड शिक्षक व नगर शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है। मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी और न्यायमूर्ति सुधीर सिंह की खंडपीठ ने पूछा-पांच साल से इन शिक्षकों को वेतन क्यों दिया जा रहा है।
सरकार को तो 2010 में ही पता चल गया था कि इनकी डिग्री फर्जी है। तत्कालीन शिक्षा सचिव और शिक्षा निदेशक के कई आदेशों के बावजूद इन शिक्षकों को क्यों नहीं हटाया गया? इन्हें वेतन देने से राजकोष पर 100 करोड़ रुपए सालाना का बोझ पड़ रहा है। खंडपीठ ने सरकार से इन शिक्षकों के विरुद्ध अब तक की गई कार्रवाई का 18 मई तक ब्योरा मांगा है। कोर्ट ने सोमवार को रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। याचिकाकर्ता के वकील दिनु कुमार ने कोर्ट को बताया कि जुलाई, 2006 से अब तक ढाई लाख पंचायत, प्रखंड व नगर निकाय शिक्षक नियुक्त हुए हैं।
40 हजार फर्जी…
इनमें 40 हजार से ज्यादा फर्जी या अमान्य डिग्रीधारी हैं। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग भी की है। मामले की गंभीरता को देखकर कोर्ट ने सरकार से पूछा कि वह आधे दशक तक क्यों सोई हुई थी? जब उसे मालूम है कि इनकी नियुक्ति प्रथमदृष्टया अवैध है तो उन्हें वेतन कैसे मिल रहा है? कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि ऐसी अवैध नियुक्ति करने वाले अधिकारी और नियोजन निकायों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई? इन सभी प्रश्नों के जवाब शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को अगले सोमवार तक देना है।
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