भाजपा ने खोजी सम्राट अशोक की जाति

ashokपटना। जिस अशोक स्तंभ का महत्व भारत के संविधान में सीलबंद है, उसी अशोक स्तंभ के सम्राट् अशोक अब भाजपा की जातिगत राजनीति का ताजा निशाना बन गए हैं। बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सभी राजनीतिक दल जातिगत राजनीति को उभारने की अपनी कोशिशों में जुटे हुए हैं। इस दौड़ में भाजपा सबसे आगे दिख रही है। देश के ऐतिहासिक महत्व से जुड़े प्रतीकों को भी राजनीति में खींचने से गुरेज नहीं किया जा रहा है।
इन्हीं कोशिशों के अंतर्गत, पिछले दिनों, भाजपा नेताओं ने राष्ट्रवादी कुशवाहा परिषद के झंडे तले सम्राट् अशोक की 2320वीं जयंती मनाई। इसके बाद से ही देश के अलग-अलग इतिहासकारों ने भाजपा की सम्राट् अशोक को कुशवाहा जाति से जोड़ने की कोशिशों की भरपूर निंदा की है।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, जो कि कुशवाहा जाति के राजनीतिक दल के रूप में जानी जाती है, तीन संसदीय सीट के साथ भाजपा की एक सहयोगी पार्टी है।
जयंती के मौके पर ही केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिहार चुनाव में अपनी पार्टी के जीतने पर सम्राट् अशोक के नाम पर एक डाक टिकट निकालने की घोषणा की। साथ ही, उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा ऐतिहासिक महत्व के कारण रिजर्व कर दिए गए पटना के कुम्हरार क्षेत्र में सम्राट् अशोक की एक विशाल आदमकद मूर्ति लगवाने का भी वायदा किया। बिहार में कुशवाहा जाति सामाजिक रूप से बेहद मजबूत और प्रभावी ओबीसी जाति मानी जाती है। बिहार के कुल जनमत में कुशवाहा जाति का हिस्सा तकरीबन 9 फीसदी है।
अशोक के विषय में सबसे बड़ी जानकार मानी जाने वाली जानी-मानी इतिहासकार, रोमिला थापर के अुनसार इतिहास में सम्राट् अशोक की जाति के विषय में कोई जानकारी मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा कि शायद भाजपा नेताओं ने टेलीविजन पर आने वाले अशोका नाम की श्रृंखला को देखकर अपने दिमाग में एक अलग अशोक की कल्पना कर ली होगी। ashoka-maurya-lion-ancient-indiaउन्होंने यह भी कहा कि भाजपा सम्राट् अशोक से जुड़े जो भी दावे कर रही है उन सबका कोई भी ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा बिना किसी ऐतिहासिक सबूत के ही ऐतिहासिक चीजों और पात्रों को अपने हिसाब से तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है।
रोमिला थापर, जो कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पूर्व प्रोफेसर रह चुकी हैं, ने साल 1961 में सम्राट् अशोक पर एक किताब लिखी थी, जिसका शीर्षक था, अशोक और मुगल साम्राज्य का पतन। यह किताब इतिहास के गलियारों में सम्राट् अशोक से जुड़ी प्रामाणिक जानकारियों के लिए इतिहासकारों और इतिहास के छात्रों के बीच खासी लोकप्रिय है।
विख्यात इतिहासकार, आर.एस.शर्मा, का जिÞक्र करते हुए पटना विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष राजेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि इतिहास के मुताबिक चंद्रगुप्त मौर्य को एक मुरा शूद्र महिला ने जन्म दिया था, जो कि महाराजा नंद के दरबार में काम करती थी।
हालांकि, एक प्राचीन बौद्ध ग्रंथ के मुताबिक मौर्य वंश नेपाल की तराई में बसे गोरखपुर प्रांत के एक छोटे जनतंत्र पिप्फलीवन में राज्य करता था। चाहे ऐतिहासिक साक्ष्यों में कितना भी मतभेद हो एक बात तो पक्की है कि चंद्रगुप्त मौर्य, जो कि सम्राट् अशोक के दादा थे, का संबंध क्षत्रिय वंश से ही था।
वहीं, भाजपा और राष्ट्रवादी कुशवाहा परिषद के लोगों का कहना है कि उनके पास सम्राट् अशोक के कुशवाहा वंश का होने संबंधी ठोस दस्तावेज मौजूद हैं। भाजपा के विधायक, सूरज नंदन प्रसाद कुशवाहा, ने कहा कि उनके पास अपने दावे को सही साबित करने के लिए ऐतिहासिक सबूत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनका संगठन पिछले कई साल से सम्राट् अशोक की जयंती मनाता आ रहा है। वह पटना सिटी के एक कालेज में इतिहास पढ़ाते हैं।
देश के एक अन्यर विख्यात इतिहासकार, डी.एन.झा, ने भी रोमिला थापर के विचारों की पुष्टि की। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा द्वारा ऐसे मुद्दों को राजनीतिक लाभ के लिए उछालना बेहद दुखद है।तिल्का मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग के प्रोफेसर, के.के.मंडल, ने कहा कि यह पूरा मुद्दा भाजपा के राजनीतिक एजेंडे का एक भाग है। उन्होंने कहा कि भाजपा सोची-समझी नीति के तहत पूरे मुद्दे का भगवाकरण करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने इस पूरे प्रकरण को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और अपमानजनक बताया। from nbt






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