बिहार के गांवों में हैं शहरों से अधिक पढ़ाकू
रविशंकर सिंह.पटना।
शहरवासियों की तुलना में गांव के लोग साहित्यिक किताबें पढ़ने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। शहर वालों ने सात महीने में जितनी किताबें खरीदी, उसकी तुलना में डेढ़ गुना से अधिक किताबें ग्रामीण बिहार के पाठकों ने तीन महीने में ही खरीद ली। ए आंकड़े नेशनल बुक ट्रस्ट की सचल पुस्तक प्रदर्शनी में किताबों की बिक्री से प्राप्त हुए हैं। इस दौरान शहरियों ने कुल 7069 और गांव के लोगों ने 11 हजार 819 किताबें खरीदी। यही नहीं, पिछले वित्तीय वर्ष में 165 लोग बुक क्लब के मेंबर बने। इनमें से 100 ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। एनबीटी की ओर से वर्ष 2014-15 की अवधि में तीन चरणों में सचल पुस्तक प्रदर्शनी लगाई गई। पहले चरण में (16 मई से चार सितंबर 2014) तक पटना, वैशाली, छपरा व नालंदा जिला मुख्यालयों पर 108 प्रदर्शनियां लगाई गईं। इनमें 4976 किताबें बिकीं। इससे बुक ट्रस्ट को तीन लाख 70 हजार रुपए की आय हुई। वहीं, दूसरे चरण में (सात सितंबर-आठ नवंबर 2014) तक पटना व वैशाली के 60 शहरी क्षेत्रों में बुक वैन पहुंचीं। इस दौरान राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की 2093 किताबों की बिक्री से महज एक लाख छह हजार रुपए मिले। यानी पहले दो चरणों में सात महीने में एनबीटी ने चार लाख 76 हजार की किताबें बेची। तीसरे चरण में एनबीटी ने गांवों की ओर रुख किया। 30 नवंबर 2014 से आठ फरवरी 2015 के दौरान छपरा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सीवान और दरभंगा जिलों के पंचायत व प्रखंड स्तर पर लगी पुस्तक प्रदर्शनी में 11 हजार 819 पुस्तकों की बिक्री हुई। इससे आठ लाख सत्तर हजार की राशि मिली। पुस्तक प्रोन्नयन केंद्र पटना के कार्यक्रम अधिकारी डॉं. कमाल अहमद ने बताया कि गांवों में हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी के अलावा मैथिली व भोजपुरी की किताबों में लोग ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
बिहार पुस्तक परिक्रमा में भी यही ट्रेंड
गांवों में बिक्री को देखते हुए 30 अप्रैल से 13 जुलाई 2015 तक बिहार पुस्तक परिक्रमा के तहत गांवों में मोबाइल वैन पहुंच रही है। एनबीटी की मोबाइल बुक यूनिट 30 मई से 13 जून तक गया जाएगी। 14-28 जून तक औरंगाबाद और आखिरी चरण में 29 जून-13 जुलाई तक कैमूर में मोबाइल बुक यूनिट बिक्री के लिए उपलब्ध रहेगी। किताबों पर 10% की छूट है। from livehindustan.com
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