बहू बजार की मंडी में बिहार की बेटियां
राजस्थान, हरियाणा में शादी के लिए बेची जा रही हैं बिहार की लड़कियां
बिहार कथा.पटना/जयपुर।
बिहार के विभिन्न जिलों में मानव तस्करों का एक ऐसा नेटवर्क है जो यहां के गरीब व पिछड़े तबके की लड़कियों को फंसा कर रोजस्थान में हरियाणा और राजस्थान में बेच देते हैं। जहां इन लड़कियों की शादी करा दी जाती है और फिर जब वे मां बन जाती है तो बच्चे को रेख कर उन्हें किसी दूसरे के यहां बेच दिया जाता है। दरअसल राजस्थान और हरियाणा के कुछ इलाकों में लड़कियों की संख्या लड़कों के अनुपात में बहुत कम है। इसलिए यहां कुछ ऐसे गिरोह के एजेंट हैं जो उन वंश वृद्धि के लिए शादी की गारंटी के नाम पर मोटी रकम लेते हैं। वे बिहार समेत पश्चिम बंगाल, असम, मध्यप्रदेशआदि पिछड़े इलाकों की लड़कियों को या तो बहलाफुसलाकर या नौकरी के बहाने तस्करी कर लाते हैं और उनकी शादी करवा देते हैं। राजस्थान यह पूरा गोरखधंधा बहू बाजार के नाम पर देश दुनिया के बीच अब धीरे-धीरे सामने आने लगा है। पुलिसे ने समय समय पर कार्रवाई करके ऐसे कई लोगों को गिरफ्तार कर बेची गई लड़कियों को बरामद किया है। इसी साल जनवरी में राजस्थन के अलवर जिले के टहला थाना क्षेत्र से 23 जनवरी को पुलिस ने एक ऐसी महिला को खोज निकाला जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में दर्ज थी. इस महिला ने अपने पति को फोन कर बताया था कि उसे राजस्थान में कहीं रखा गया है. पुलिस ने इसी फोन की लोकेशन ट्रेस कर महिला और उसकी बेटी को रमेश पुत्र रामसहाय के घर से खोज निकाला। उसे पचास हजार में बेचा गया था। जानकारों का कहना है कि घर बसाने के लिए खरीदी जा रही इन लड़कियों और महिलाओं को अब स्थानीय लोग पारो कहने लगे हैं। अकेले अलवर जिले में ही इनकी संख्या 15,000 से 20,000 के बीच है, पूरे मेवात और राजस्थान का आकलन किया जाए तो यह संख्या बढ़Þकर दो लाख से भी अधिक हो सकती है। इनमें से 80 फीसदी से अधिक लड़कियां नाबालिग होती हैं। इसमें बिहार से तस्करी कर लाई गई लड़कियों की भी अच्छी खासी संख्या है। अलवर जिले के अलावा राजस्थान के भरतपुर, धौलपुर, सीकर झुंझुनूं, हरियाणा के मेवात सहित करीब एक दर्जन जिलों में पारो लड़कियां बड़ी संख्या में मौजूद हैं, यही नहीं, राजधानी दिल्ली भी इससे अछूती नहीं बची है। अलवर जिले में एक एनजीओ मत्स मेवात शिक्षा एवं विकास संस्थान ने दो दर्जन गांवों में किए सर्वे में पाया कि अलवर में पारो लाने की मजबूरी उन परिवारों की है, जिनके बेटे की शादी नहीं हो पाती तब मजबूरी में पैसे देकर वे अपने बेटे की शादी बिहार, बंगाल, ओडिसा, असम, झारखंड, यूपी की लड़कियों के साथ करके लाते है। सर्वे में यह हकीकत भी सामने आई कि कई गांवों में 40 से 80 पारो शादी करके लाई गई हैं। जिन लड़कियों को शादी करके लाया गया है उनमें 95 फीसदी मामलों में लड़की के मां-बाप ने लड़कों से शादी के एवज में पांच हजार से लेकर ढाई लाख रु. तक लिए हैं। इनमें से 70 से 80 फीसदी लड़कियां जो पारो बनकर शादी करके यहां आई हैं, वे मजबूरी और दुख-दर्द झेलने के बाद भी अपना वैवाहिक जीवन जी रही हैं, जबकि 15 से 20 फीसदी लड़कियों को दलाल और एजेंट एक से दूसरी, और दूसरी से तीसरी जगह बेच देते हैं। एनजीओ के सचिव वीरेंद्र विद्रोही ने बताया कि उनके सर्वे के मुताबिक मेव, गुर्जर और हरियाणा के ब्राह्मणों में सबसे ज्यादा पारो खरीदी हुई बहू यानी पारो लाई जा रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक अलवर में 10,000 मेव समाज से, 4,000 गुर्जरों, ब्राह्मणों में 2,000 और अन्य जातियों राजपूत, कुम्हार, बनिया (वैश्य) में भी 4,000 से अधिक पारो लाई जा चुकी हैं।
शादी करने का मामला ज्यादातर एजेंटों के जरिए तय होता है इस कड़ी में कुछ दलाल भी सक्रिय हो गए हैं जो इतने मजबूत हैं कि फोन पर ही लड़कियों का सौदा करके शादी तय करवा देते है। कुछ लोगों ने इसका फायदा उठाना शुरू कर दिया है। वे लड़कियों को शादी करके यहां लाते है और बाद में उन्हें बेच देते हैं। राजस्थान में बिगड़ता लिंगानुपात महिलाओं की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा देने का एक बड़ा कारण है
पहले देह शोषण, फिर शादी
राजस्थान के धौलपुर के पुलिस अधीक्षक हरेंद्र महावर ने बताया कि जिले में एक गिरोह काम कर रहा है जो बिहार, यूपी और एमपी से लड़कियों को लाकर यहां बेचता है। इस तरह के अब तक 15-20 मामले सामने आ चुके हैं। ये लोग पहले खुद लड़की को अपने पास रखते हैं और उसका देह शोषण करते हैं, बाद में किसी और को बेच देते हैं और उसकी शादी करवा देते हैं।
इसलिए नहीं मिलती सजा
अलवर पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने बताया कि दूसरे राज्यों से महिला खरीद के मामले में परिजन महिला के मिलने पर मुकदमे से दूर भागते हैं, जिससे आरोपियों को सजा नहीं मिल पाती। टहला थाने के हालिया मामले में भी यही हुआ। वहीं धौलपुर जिले में मानव तस्कर निरोधक ब्यूरो की टीम का गठन होने के बाद से इस टीम ने 49 मामले दर्ज कर 60 महिलाओं को मुक्त करवाया है। पुलिस ने इस साल 7 मामले उजागर कर खरीद-फरोख्त और लड़कियों के अपहरण का मामला दर्ज किया।
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