गठजोड़ से भारी नुकसान, अब बिहार में गठबंधन से दूर रहेंगे कामरेड!

sita ram yuchuri biharसीताराम एचुरी ने माना-यूपी-बिहार में गठजोड़ माकपा को महंगा पड़ा
मदन जैड़ा. नई दिल्ली।
हिंदी पट्टी में खासकर कर बिहार और उत्तर प्रदेश में लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव के साथ चुनाव लड़ने से माकपा को नुकसान हुआ। वहीं, ओडिशा में बीजद के साथ चुनावी गठजोड़ भी घाटे का सौदा रहा। विशेष बातचीत में माकपा के महासचिव सीताराम एचुरी ने कहा कि पिछले 10-12 सालों में वामपंथी दल उत्तर प्रदेश और बिहार में कमजोर हुए हैं। जबकि कभी इन राज्यों में वामपंथ की मजबूत उपस्थिति हुआ करती थी। उनके अनुसार इसका कारण पार्टी को इन राज्यों में खुद को सामाजिक शोषण के खिलाफ लोगों से जोड़ नहीं पाना है। जबकि आर्थिक शोषण के खिलाफ आंदोलनों को उसने प्रमुखता से अंजाम दिया। उन्होंने कहा, राजद, सपा और बीजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से पार्टी को नुकसान हुआ। क्योंकि इन्हीं दलों की सरकारों के खिलाफ पार्टी ने आर्थिक शोषण की नीतियों को लेकर विरोध-प्रदर्शन किए और फिर उन्ही दलों के साथ चुनाव लड़े। यह उनकी चूक थी। दूसरी तरफ ए दल सामाजिक शोषण के खिलाफ खुद को शोषित तबके के साथ जोड़ने में सफल रहे तथा दलितों एवं पिछड़ों की राजनीति के मसीहा बनकर उभरे। इसका उन्हें फायदा मिला। एचुरी ने स्पष्ट तो नहीं किया लेकिन इस विश्लेषण से साफ है कि भविष्य में वामदल चुनाव गठनबंधन जैसे मुद्दे पर उत्तर प्रदेश और बिहार में इन पार्टियों से दूरी बनाए रखेंगे। दूसरे, पार्टी हिंदी पट्टी में खुद को नए सिरे से खड़ा करने की तैयारी में है। हालांकि, वह मानते हैं कि अब यह पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। एचुरी के अनुसार इसके लिए अब सामाजिक एवं आर्थिक दोनों मोर्चों पर पार्टी खुद को पूरी तरह से सक्रिय करेगी। अब लाल झंडा फैक्टरी पर ही नहीं, बल्कि गांव-गांव के कुएं पर भी होगा ताकि सामाजिक शोषण के खिलाफ आवाज उठाई जा सके। from livehindustan.com






Related News

  • मोदी को कितनी टक्कर देगा विपक्ष का इंडिया
  • राजद व जदयू के 49 कार्यकर्ताओं को मिला एक-एक करोड़ का ‘अनुकंपा पैकेज’
  • डॉन आनंदमोहन की रिहाई, बिहार में दलित राजनीति और घड़ियाली आंसुओं की बाढ़
  • ‘नीतीश कुमार ही नहीं चाहते कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, वे बस इस मुद्दे पर राजनीति करते हैं’
  • दाल-भात-चोखा खाकर सो रहे हैं तो बिहार कैसे सुधरेगा ?
  • जदयू की जंबो टीम, पिछड़ा और अति पिछड़ा पर दांव
  • भाजपा के लिए ‘वोट बाजार’ नहीं हैं जगदेव प्रसाद
  • नड्डा-धूमल-ठाकुर ने हिमाचल में बीजेपी की लुटिया कैसे डुबोई
  • Comments are Closed

    Share
    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com