सारण समाचार :अभी भी राहत के लिए आवेदन दे सकते हैं किसान
कृषि इनपुट अनुदान वितरण की समीक्षा बैठक
छपरा। सारण जिला प्रभारी मंत्री द्वारा क्षतिग्रस्त फसलों के लिए कृषि इनपुट अनुदान वितरण की समीक्षा बैठक की गई। जिसमें प्रभारी मंत्री ने कहा कि बचे हुए किसान किसान सलाहकार से लेकर अंचल अधिकारी तक अपना आवेदन अनुदान के लिए दे सकते हैं।विगत शुक्रवार को सूबे के मुख्यमंत्री द्वारा सभी जिलाधिकारी, पुलिस कप्तान, आयुक्त एवं सचिव के साथ विडीओ कांफ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक की गई थी। जिसमें मुख्यमंत्री ने आदेश दिया था कि 10 दिनों के अंदर कृषि इनपुट अनुदान का वितरण सुनिश्चित कर लिया जाय। जिसके विरूद्ध प्रभारी मंत्री श्री मनोज कुमार सिंह ने आज सर्किट हाउस में जिला पदाधिकारी, पुलिस कप्तान एवं आयुक्त के साथ समीक्षा बैठक की । जिसमें उन्होने कहा कि बचे हुए किसान कृषि इनपुट अनुदान के लिए अपने किसान सलाहार, प्रख्ांड कृषि पदाधिकारी, अंचल अधिकारी के यहां आवेदन दे सकते है । प्रभारी मंत्री ने बताया कि अभी तक प्राप्त आवेदन 60302 हजार में 50158 आवेदन को स्वीकृत कर लिया गया है। साथ ही उन्होने कहा कि जिला को अभी 22 करोड़ आवंटन प्राप्त हो चुका है जबकि 26 करोड़ की आवश्यकता है जिसकी मांग की गई है। वहीं आपदा विभाग द्वारा प्रखंडों में कुल 127212000 रुपया उपावंटन किया जा चुका है तथा कोषागार द्वारा अपराहन 3 बजे तक 102877298 रूपया निकासी की गई।
छापेमारी में मोटरसाइकिल व मोबाइल बरामद
एकमा। महाराजगंज व एकमा पुलिस ने संयुक्त रूप से थाना क्षेत्र के बिंदालाल रामपुर गांव में छोपमारी कर लूटी गई मोटरसाइकिल व मोबाइल बरामद करदो लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इस संबंध में थानाध्यक्ष श्री चरण राम ने बताया कि कुछ दिन पूर्व महाराजगंज थाना क्षेत्र में हुई लूट में एक मोटरसाइकिल और मोबाइल की प्राथमिकी महाराजगंज थाने में दर्ज कराई थी। जिसको लेकर बिंदालाल रामपुर गांव के पिंटू मिश्र और पवन गिरि को उक्त समान समेत घर से गिरफ्तार कर महाराजगंज पुलिस ने अपने साथ लेकर चली आई।
पेड़ से गिरने से वृद्ध घायल
एकमा। थाना क्षेत्र के माने गांव में पेड़ से गिर कर एक व्यक्ति घायल हो गया। जिनका इलाज स्थानीय चिकित्सालय में चल रहा है। इलाज के दौरान परिजनों ने बताया कि घायल 60 वर्षीय व्यक्ति रामजन्म साह के दरवाजे पर लगा नीम के पेड़ पर चढ़ कर डाली काट रहे थे। इसी बीच अचानक गिर पड़े और घायल हो गए।
शिक्षकों के हड़ताल ने डाला पठनपाठन पर असर
छपरा। पिछले कई दिनों से चल रहे शिक्षकों के अनिश्चितकालीन हड़ताल, धरना, प्रदर्शन, अनशन आदि कार्यक्रमों ने प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर तक पठन-पाठन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। इसको लेकर जहां छात्र-छात्रा अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं वहीं अभिभावकगण चिंतित नजर आ रहे है। अन्य राज्यों के पठन-पाठन नियमित चलने से वहां के शैक्षणिक सत्र का काफी सुदृढ नजर आ रहा है। वहीं बिहार में शिक्षकों के हड़ताल होने के कारण इस पर खास प्रभाव पड़ा है। मैट्रिक उतर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य भी बाधित हो गया। जिसके कारण मैट्रिक परीक्षा के परिणाम आने में विलंब होने की संभावना को लेकर अभिभावकों में चिंता व्याप्त हो गई है। उधर शिक्षक नेता राजाजी राजेश का मानना हैं कि शिक्षकों की लंबी हड़ताल के लिए राज्य सरकार पूर्णत: जिम्मेवार है। यदि सरकार इस हड़ताल को गंभीरता पूर्वक लेती तब ऐसी स्थिति सामने उत्पन्न नहीं होती। वहीं नियोजित शिक्षक के नेता समरेन्द्र बहादुर सिंह का कहना हैं कि समान वेतन एवं समान कार्य को लेकर जारी यह हड़ताल तब तक चलेगी जब तक शिक्षकों की समस्याओं का समाधान स्थाई रूप से नहीं होगा। वहीं कई प्रखंडों से जुड़े नियोजित शिक्षकों ने इस बात को स्वीकार किया कि इस हडताल से पढाई अवश्य बाधित हो रही है। इसमें कोई शक नहीं हैं, मगर इस शिक्षकों के समक्ष भविष्य की चिंता छाई हुई है। सरकार ईमानदारी पूर्वक सकारात्मक ढंग से पहल करें तब यह समस्या स्वत: दूर हो जाएगी। मगर इसमें राज्य सरकार कोई दिलचस्पी नहीं ले रहीं है। शिक्षा मंत्री की घोषणा चुनावी घोषणा के रूप में चरितार्थ हो रहीं है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर बनी कमिटी एक मात्र औपचारिकता का संकेत दे रहा है। कई महिला शिक्षकों ने यहां तक संकेत दिया कि बिहार विधान सभा के चुनाव के समय पूर्व इस समस्या का समाधान नहीं होगा तब कभी भी नहीं होगा। जिले के सभी प्रखंडों में नियोजित शिक्षकों के हड़ताल ने छात्र-छात्राओं के पठन-पाठन को कौन कहे उनके शैक्षणिक सत्र पर भी असर डाल दिया है। अब देखना यह हैं कि राज्य सरकार कब तक इस हड़ताल को समाप्त करा रहीं है। हालांकि कई अभिभावकों ने यहा तक बताया कि इस दिशा में सरकार से ज्यादा शिक्षक जन प्रतिनिधि भी कम दोषी नहीं है। क्योंकि वे सरकार पर दबाव नहीं बना पा रहे है। अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के लिए शिक्षक संगठनों के गुणगान के बजाय राज्य सरकार के उपलब्धियों को दशार्ने में लगे है।
ओलावृष्टि एवं चक्रवात से हुई फसल क्षति के विरूद्ध जिले के 5714 किसानों के बीच 250.18 लाख रुपए की राशि वितरित
छपरा। पिछले पखवारे आए बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि एवं चक्रवातिय तुफान से हुई फसल क्षति के आलोक में जिले के 5714 किसानों के बीच 1870.69 हेक्टेयर फसल क्षति के विरूद्ध 250.18 लाख रुपए की राशि आरटीजीएस के माध्यम से सीधे किसानों के खाते में समाचार प्रेषण तक भेज दिया गया है। कुछ सामाचार पत्रों में प्रकाशित 10 हजार किसानों के आवेदन निरस्त किए जाने संबंधी खबर पर जिलाधिकारी दीपक आनंद ने साफ किया है कि किसानों के आवेदन निरस्त या अस्विकृत नहंी किए गए है। ऐसे आवेदनों में किसानों द्वारा बहुत पुरानी रसिद आवेदन के साथ संलग्न की गई है और इसके कारण उन आवेदनों को वेटिंग लिस्ट में रखा गया है। डीएम ने सभी ऐसे किसानों से अपील की है कि वे अभियान चला कर अद्यतन रसीद कटा कर प्रखंड कार्यालय में जमा करें ताकि उन आवेदनों के विरूद्ध स्वीकृति प्रदान कर उनके खाते में राशि हस्तान्तरीक कराई जा सके। जिलाधिकारी दीपक आनंद ने बताया कि प्रभावित किसानों के सूची एवं सत्यापन का कार्य प्रख्ांडों के वरीय प्रभारी प्रदाधिकारी की निगरानी में कराया गया है और सूची तैयार करने के उपरांत वरीय प्रभारी पदाधिकारियों के अनुश्रवण में पंचायत राहत अनुश्रवण सह निगरानी समिति के समक्ष सूची को पढ़कर सुनाने के उपरांत राशि किसानों के खाते में आरटीजीएस के माध्यम से भेजी जा रही है। बताते चले कि फसल क्षति के विरूद्ध अनुदान वितरण के कार्य का डीएम स्वयं सघन अनुश्रवण कर रहे है और प्रतिदिन देर संध्या में संबंधित पदाधिकारियों के साथ प्रतिदिन का प्रगति प्रतिवेदन प्राप्त कर आवश्यक दिशा निर्देश पदाधिकारियों को दे रहे है। उल्लेखनीय है कि छोटी जमीन वाले छोटे किसानों को अनुदान की राशि कृषि फसल की क्षति के लिए न्युन्तम 1000 रूपया दिया जाना है। जबकि बिना बुआई के लिए या प्रति कृषि भूमि के लिए कोई इनपुट अनुदान देय नहीं है। जिलाधिकारी दीपक आनंद ने सभी वरीय प्रभारी पदाधिकारियों एवं प्रखंड विकास पदाधिकारियों को शुद्ध एवं प्रमाणिक सूची के अनुरूप पंचायत राहत अनुश्रवण सह निगरानी समिति के समक्ष पढने के उपरांत प्रभावित किसानों के बीच अविलंब आरटीजीएस के माध्यम से राशि किसानों के खाते में भेजने का निर्देश दिया है।
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