शहरों से दोगुने कुंआरे गांवों में
गांव के लड़कों से बेटी की शादी नहीं करना चाह रहे हैं बिहार के माता-पिता
देवेंद्र तिवारी.पटना.
गुड़गांव, बेंगलुरू, नोएडा जैसे शहरों में लड़के-लड़कियां 30 साल के बाद शादी करना चाह रहे क्योंकि उन्हें पहले अपना कॅरियर सेट करना है। लेकिन, बिहार के गांव में अगर 29 साल तक के लड़कों की शादी नहीं हो तो क्या कहेंगे? दरअसल, लोग गांव में अपनी बेटी नहीं ब्याहना चाह रहे। रजिस्ट्रार जनरल आॅफ इंडिया ने जनगणना 2011 की रिपोर्ट का शादी-ब्याह आधारित विश्लेषण पिछले दिनों जारी किया तो कारणों की तह तक जाने की कोशिश की। बेटी की शादी चाह रहे सौ लोगों से बात की गई। जवाब मिला- कॅरियर को लेकर उदासीन होते हैं गांव के लड़के। ज्यादातर खेती आधारित लड़के मिलते हैं। शहर जैसी सुविधा गांवों में नहीं मिलती। बिजली-पानी जैसी आधारभूत सुविधा नहीं मिली। चकाचौंध का जीवन नहीं है। और, ऐसा ही सवाल जब बेटे के मां-बाप से पूछा गया तो सभी का जवाब मिला- गांव की लड़की शहरी माहौल में एडजस्ट नहीं कर पातीं। विश्लेषण के साथ पूरी रिपोर्ट…
गांव से लड़की ब्याह लाने में क्या परेशानी है, इस सवाल का जवाब देने वालों ने सबसे ज्यादा माहौल को एडजस्ट करने में परेशानी की बात तो बताई, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियां ग्रेजुएशन स्तर की पढ़ाई कर भी लेती हैं तो औपचारिक रूप से। इनका मानना है कि गांव के आसपास के कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों के प्रोफेशनली तैयार होने की संभावना नहीं के बराबर होती है। शहरी क्षेत्र में रहने वाली लड़कियां कॉलेज में पढ़ती हैं तो उनकी प्रतिभा को उभरने का मौका मिलता है। लब्बोलुआब यह कि शहरी लड़कियों के मुकाबले ग्रामीण लड़कियों का आउटलुक बेहद कमजोर होता है।
शहरों से दोगुने कुंआरे गांवों में
गांव के लड़के या लड़की से ब्याह रचाने से बचने की वजह संभव है कि हर केस में अलग हो, लेकिन रजिस्ट्रार जनरल आॅफ इंडिया के विश्लेषण से बहुत सारी बातें साफ हो रही हैं। देश में 29 साल की उम्र तक के कुआंरों की संख्या पिछले दिनों ही जारी की गई। रिपोर्ट के मुताबिक देश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में कुआंरों की संख्या लगभग बराबर थी। लेकिन, बिहार में रिपोर्ट के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 2011 तक 29 साल की उम्र वाले कुल 68,404 बिना शादी के थे। इसमें ग्रामीण क्षेत्र में कुआंरों की संख्या शहरों से दोगुनी थी। इसके मुताबिक साल 2011 तक प्रदेश भर में कुल कुआंरों में 59,119 लड़के और 9,285 लड़कियां थीं। इसमें ग्रामीण क्षेत्र में बिना शादी के कुल 46,126 थे। इसमें 40,502 लड़के और 5,624 लड़कियां थीं, जबकि शहरी क्षेत्र में इनकी संख्या काफी महज 22,278 थी। इसमें 18,617 लड़के और 3,661 लड़कियां शामिल थीं।
पटना की कहानी जुदा यहां शहर में ज्यादा कुंआरे
रिपोर्ट के मुताबिक 29 साल की उम्र तक प्रदेश के 38 में से 37 जिलों के ग्रामीण इलाकों में शहर से कई गुना ज्यादा कुंआरे थे। लेकिन, पटना जिले का हाल अलग है। यहां ग्रामीण की अपेक्षा शहरी इलाके में करीब तीन गुना ज्यादा कुंआरे थे। रिपोर्ट के मुताबिक जिले में साल 2011 तक 29 साल की उम्र के कुल 8,471 लोग कुंआरे थे, जिसमें 6,965 लड़के और 1,506 लड़कियां थीं। इसमें ग्रामीण इलाके के कुल कुंआरे 2,096 में 1,815 लड़के और 281 लड़कियां थीं। जबकि शहरी इलाके में 6,375 कुआंरों में 5,150 लड़के और 1,225 लड़कियां थीं।
देश में गांव-शहर में संख्या लगभग बराबर
आंकड़ों के मुताबिक साल 2011 में 29 साल की उम्र में बिना शादी वाले लोगों की संख्या 20 लाख 61 हजार 561 थी। इसमें 16 लाख 49 हजार 181 लड़के और चार लाख 12 हजार 380 लड़कियां थीं। देशभर में ग्रामीण इलाकों में कुआंरों की संख्या 9 लाख 94 हजार 789 थी, जिसमें 8 लाख 21 हजार 216 लड़के और एक लाख 73 हजार 573 लड़कियां थीं। शहरी इलाकों में भी इनकी संख्या लगभग बराबर 10 लाख 66 हजार 772 थी, जिसमें 8 लाख 27 हजार 965 लड़के थे. डीबी स्टार से साभार
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