यहां चौक-चौराहों पर लगती है मजदूरों की मंडी!
मुकेश सिन्हा, छपरा. सारण। शहर में कई स्थानों पर प्रतिदिन मजदूरो की बोलिया लगती है उतार चढाव के बीच जिनकी बोली पट जाती है उस दिन के लिए वह मजदूर बिक जाता है। बोली लगने और बिकने का यह खेल प्रतिदिन चलता है। रोजी और रोटी के चक्कर में बेबस मजदूर की जिन्दगी की गाड़ी वर्षों से ऐसे ही चलती आ रही है। उसे यह भी नहीं मालूम की वर्ष में एक दिन ऐसा भी है जो विशेष रूप से मजदूरों के लिए बना है, लेकिन पेट की आग से वह इन सब बातो से अछुता सिर्फ कमाई के चक्कर में रहता है।
काम की तलाश में मजदूर सुबह से ही मौना चौक,कटहरी बाग, भगवान बाजार, गुदरी बाजार में कतार में लग जाते है। लोग अपनी जरुरत के अनुसार इन मजदूरो को पूरे दिन की मजदूरी तय कर ले जाते है। इसके वावजूद भी कितने मजदूरों को यहाँ काम भी नसीब नही होता और इसका फायदा ठेकदार उठाते हंै। मजदूरों को कीमत भी कम दिया जाता है और काम भी ज्यादा लिया जाता है। सरकारों द्वारा चलाई जा रही रोजगार गारंटी योजना इन मजदूरो के लिए शायद नही बनी हो। यह एक विडम्बना भी है कि देश में सभी दिवसो को विशेष आयोजन कर मनाया जाता है, लेकिन मजदूर दिवस सिर्फ अवकाश तालिका तक ही सिमित है। काम करने वाले मजदूर ना हीं इस दिवस को जानते है और ना हीं इसके उद्देश्य को उन्हें तो बस परिवार के लिए दो जून की रोटी की चिंता बनी रहती है।
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